लोगों को खाद्य तेल से राहत की उम्मीद!, खुदरा कीमतों में 15-20 रुपये प्रति लीटर की कमी, सरकार ने कंपनियों से कहा-1.57 लाख करोड़ रुपये के खाद्यतेलों का आयात किया
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 4, 2023 09:29 PM2023-05-04T21:29:46+5:302023-05-04T21:31:10+5:30
खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने यहां प्रमुख उद्योग प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक के दौरान कहा, ‘‘खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट का लाभ उपभोक्ताओं को जल्द से जल्द दिया जाना चाहिए।’’
नई दिल्लीः केंद्र ने बृहस्पतिवार को खाद्य तेल कंपनियों से कीमतें घटाने को कहा। उसने कहा कि वैश्विक कीमतों में आई गिरावट का लाभ उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराने के लिए खाद्य तेल की कीमतें कम की जानी चाहिए। खाद्य तेलों के एक प्रमुख आयातक देश, भारत ने विपणन वर्ष 2021-22 (नवंबर-अक्टूबर) के दौरान 1.57 लाख करोड़ रुपये के खाद्यतेलों का आयात किया।
यह मलेशिया और इंडोनेशिया से पामतेल खरीदता है जबकि सोयाबीन तेल का आयात अर्जेंटीना और ब्राजील से किया जा रहा है। खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने यहां प्रमुख उद्योग प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक के दौरान कहा, ‘‘खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट का लाभ उपभोक्ताओं को जल्द से जल्द दिया जाना चाहिए।’’
एक सरकारी बयान में कहा गया है कि सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) और इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (आईवीपीए) के प्रतिनिधि वैश्विक कीमतों में गिरावट के बीच खाद्यतेल की खुदरा कीमतों में और कमी पर चर्चा करने के लिए बैठक में मौजूद थे।
इस बीच, धारा ब्रांड के तहत खाद्यतेल बेचने वाली मदर डेयरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसने अधिकतम खुदरा कीमतों में 15-20 रुपये प्रति लीटर की कमी की है और नया स्टॉक अगले सप्ताह बाजार में आ जाएगा। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बृहस्पतिवार को डिब्बाबंद मूंगफली तेल का खुदरा मूल्य 189.13 रुपये प्रति किलोग्राम, सरसों का तेल 150.84 रुपये प्रति किलोग्राम, वनस्पति तेल 132.62 रुपये प्रति किलोग्राम, सोयाबीन तेल 138.2 रुपये प्रति किलोग्राम, सूरजमुखी तेल 145.18 रुपये प्रति किलोग्राम और पाम तेल 110.05 रुपये प्रति किलो है।
खाद्य मंत्रालय ने कहा कि आयातित खाद्य तेलों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट का रुख है जो भारत में खाद्य तेल क्षेत्र के लिए सकारात्मक परिदृश्य उपलब्ध कराता है। बयान में कहा गया है, ‘‘उद्योग ने सूचित किया है कि पिछले दो महीनों में विभिन्न खाद्य तेलों की वैश्विक कीमतों में 200-250 डॉलर प्रति टन की गिरावट आई है, लेकिन खुदरा बाजारों में इसका असर दिखने में समय लगेगा और खुदरा कीमतों में जल्द ही कमी आने की उम्मीद है।’’
खाद्य तेल संघों को सलाह दी गई है कि वे इस मुद्दे को अपने सदस्यों के समक्ष तुरंत उठाएं और यह सुनिश्चित करें कि तत्काल प्रभाव से खाद्य तेलों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट के अनुरूप प्रत्येक तेल का एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) कम किया जाए। इसके अलावा, खाद्य मंत्रालय ने उस कीमत को कम करने के लिए कहा है जिस पर कारोबारियों द्वारा वितरकों को खाद्य तेलों की आपूर्ति की जाती है।
ब्यान में कहा गया है कि जब भी तेल कारोबारियों द्वारा वितरकों को कीमत में कमी की जाती है, तो उद्योग को उपभोक्ताओं को लाभ दिया जाना चाहिए। इसमें कहा गया है, ‘‘कुछ कंपनियों, जिन्होंने अपनी कीमतें कम नहीं की हैं और उनकी एमआरपी अन्य ब्रांडों की तुलना में अधिक है, को भी अपनी कीमतें कम करने की सलाह दी गई है।’’
बैठक के दौरान मूल्य आंकड़ा संग्रह और खाद्य तेलों की पैकेजिंग जैसे अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की गई। भारत अपनी कुल खाद्य तेल जरूरतों के 50 प्रतिशत आयात करता है। नवंबर 2022 से मार्च 2023 तक खाद्य तेलों का आयात पिछले तेल विपणन वर्ष की इसी अवधि के 56,42,918 टन से बढ़कर 69,80,365 टन हो गया। विपणन वर्ष 2021-22 में भारत का खाद्य तेल आयात खर्च 34 प्रतिशत बढ़कर 1.57 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि मात्रा के लिहाज से यह 6.85 प्रतिशत बढ़कर 140.3 लाख टन रहा।