एफएटीएफ निगरानी सूची में पाकिस्तान को डालो?, आतंकियों के खिलाफ सबूत पेश करेगा भारत, 2018 में एफएटीएफ लिस्ट में था पड़ोसी देश

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 23, 2025 16:01 IST2025-05-23T16:00:04+5:302025-05-23T16:01:50+5:30

एफएटीएफ एक स्वतंत्र अंतर-सरकारी निकाय है जो धनशोधन, आतंकवादियों को वित्तपोषण और सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार के वित्तपोषण से निपटने के लिए वैश्विक मानक निर्धारित करता है।

Pakistan Put FATF monitoring list India present evidence against terrorists neighbouring country was FATF list in 2018 | एफएटीएफ निगरानी सूची में पाकिस्तान को डालो?, आतंकियों के खिलाफ सबूत पेश करेगा भारत, 2018 में एफएटीएफ लिस्ट में था पड़ोसी देश

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Highlightsधनशोधन और आतंकवादियों के वित्तपोषण पर लगाम लगाने के लिए एक कार्ययोजना पेश की थी। भारत, पाकिस्तान को दोबारा निगरानी सूची में डालने के लिए वित्तीय कार्रवाई कार्य बल के समक्ष मामला रखेगा।भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। हमले में 26 लोग मारे गए थे।

नई दिल्लीः भारत वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की अगली बैठक में पाकिस्तान को निगरानी सूची में फिर से रखे जाने के लिए ठोस सबूतों के साथ अपना पक्ष रखेगा। धनशोधन पर लगाम लगाने और आतंकवादियों को वित्त पोषण रोकने में पाकिस्तान की नाकामी के कारण भारत यह कदम उठाएगा। सरकारी सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। एफएटीएफ की पूर्ण बैठक साल में तीन बार...फरवरी, जून और अक्टूबर में होती है। पाकिस्तान को 2018 में एफएटीएफ की सूची में रखा गया था। बाद में उसने धनशोधन और आतंकवादियों के वित्तपोषण पर लगाम लगाने के लिए एक कार्ययोजना पेश की थी।

इसके बाद 2022 में उसे एफएटीएफ की इस सूची से हटा दिया गया था। एफएटीएफ एक स्वतंत्र अंतर-सरकारी निकाय है जो धनशोधन, आतंकवादियों को वित्तपोषण और सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार के वित्तपोषण से निपटने के लिए वैश्विक मानक निर्धारित करता है।

यह पूछे जाने पर कि क्या भारत, पाकिस्तान को दोबारा निगरानी सूची में डालने के लिए वित्तीय कार्रवाई कार्य बल के समक्ष मामला रखेगा, सूत्र ने कहा, "हम इस मामले को एफएटीएफ के समक्ष उठाएंगे।" उल्लेखनीय है कि 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। उस हमले में 26 लोग मारे गए थे।

माना जा रहा है कि पाकिस्तान अपने भू-भाग से संचालित होने वाली आतंकवादी गतिविधियों पर कार्रवाई करने में विफल रहा है और हथियार एवं गोला-बारूद खरीदने के लिए बहुपक्षीय एजेंसियों से मिले धन का दुरुपयोग कर रहा है। सूत्र ने कहा, ‘‘इस बात के ठोस सबूत और आंकड़े हैं कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और अन्य बहुपक्षीय संस्थानों से जो कर्ज मिलता है, उसका उपयोग हथियार खरीदने और आतंकवाद को बढ़ाना देने में किया जाता है। इसको ध्यान में रखते हुए एफएटीएफ की अगली बैठक में पाकिस्तान को एफएटीएफ की निगरानी सूची में रखने के लिए ठोस सबूत रखे जाएंगे।’’

इससे पहले, भारत ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की प्रमुख क्रिस्टलिना जॉर्जीवा के समक्ष पाकिस्तान को वित्तीय सहायता दिये जाने का मुद्दा उठाया था। यही कारण है कि पाकिस्तान को कुछ शर्तों के साथ कर्ज को मंजूरी दी गयी है। सूत्र ने यह भी कहा कि विश्व बैंक समेत अन्य बहुपक्षीय संस्थानों में अगर पाकिस्तान को कर्ज देने का प्रस्ताव आता है तो भारत उसका विरोध करेगा।

पाकिस्तान को वित्तीय सहायता पर आईएमएफ ने कहा- उसने सभी शर्तें पूरी कीं

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा है कि उसके कार्यकारी बोर्ड ने इस महीने पाकिस्तान को एक अरब डॉलर की सहायता दी है, क्योंकि उसे पता चला है कि देश ने सभी शर्तें और लक्ष्य पूरे कर लिए हैं। वैश्विक निकाय के संचार विभाग की निदेशक जूली कोजैक ने कहा कि आईएमएफ ने पिछले साल सितंबर में पाकिस्तान को दी गई विस्तारित कोष सुविधा (ईएफएफ) की समीक्षा की और उसके आधार पर बोर्ड ने नौ मई को राशि को मंजूरी दी।

आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड ने पाकिस्तान को हालिया सहायता को मंजूरी दे दी, जबकि भारत को आशंका है कि इस धनराशि का इस्तेमाल सीमा पार आतंकवाद के लिए किया जा सकता है। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 16 मई को आईएमएफ पर वित्तीय सहायता पर पुनर्विचार करने का दबाव डाला और कहा कि इस्लामाबाद इसका एक बड़ा हिस्सा आतंकवादी ढांचे को वित्तपोषित करने के लिए इस्तेमाल कर सकता है। कोजैक ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड ने पिछले साल सितंबर में पाकिस्तान के ईएफएफ कार्यक्रम को मंजूरी दी थी और उस समय पहली समीक्षा 2025 की पहली तिमाही के लिए निर्धारित की गई थी। उन्होंने कहा कि समीक्षा पूरी होने के बाद हालिया सहायता प्रदान की गई।

साथ ही, कोज़ैक ने कहा कि स्थापित कार्यक्रम शर्तों से कोई भी विचलन पाकिस्तान कार्यक्रम के तहत भविष्य की समीक्षाओं को प्रभावित करेगा। उन्होंने कहा, “मैं यहां इस बात पर ज़ोर देना चाहती हूं कि यह कार्यक्रमों के तहत एक मानक प्रक्रिया का हिस्सा है कि हमारा कार्यकारी बोर्ड ऋण कार्यक्रमों की प्रगति का आकलन करने के लिए समय-समय पर समीक्षा करता है।

आईएमएफ अधिकारी ने कहा, “बोर्ड विशेष रूप से इस बात पर ध्यान देता है कि क्या कार्यक्रम सही दिशा में चल रहा है, क्या कार्यक्रम के अंतर्गत शर्तें पूरी हो गई हैं, और क्या कार्यक्रम को वापस सही दिशा में लाने के लिए कोई नीतिगत परिवर्तन आवश्यक है।” उन्होंने कहा, “पाकिस्तान के मामले में, हमारे बोर्ड ने पाया कि पाकिस्तान ने वास्तव में सभी लक्ष्य पूरे कर लिए हैं।

उसने कुछ सुधारों पर प्रगति की है। इसी कारण, बोर्ड ने आगे बढ़कर कार्यक्रम को मंजूरी दे दी।” पाकिस्तान के मामले को सामान्य रूप से समझाते हुए उन्होंने कहा कि ईएफएफ के अंतर्गत प्राप्त सभी धनराशियां केंद्रीय बैंक के भंडार में आवंटित की जाती हैं।

पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में सक्रिय साझेदार बना हुआ है : विदेश कार्यालय

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने शुक्रवार को कहा कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में यह देश निरंतर एक सक्रिय साझेदार बना हुआ है। विदेश कार्यालय का यह बयान राजस्थान के बीकानेर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बृहस्पतिवार को की गई उन टिप्पणियों के जवाब में आया है, जिसमें कहा गया था कि अगर पाकिस्तान ने आतंकियों को भेजना जारी रखा, तो उसे (पाकिस्तान को) पाई-पाई के लिए मोहताज होना पड़ेगा। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा था, ‘‘पाकिस्तान को भारत के हक का पानी नहीं मिलेगा, भारतीयों के खून से खेलना, पाकिस्तान को अब महंगा पड़ेगा।

यह भारत का संकल्प है, और दुनिया की कोई ताकत हमें इस संकल्प से डिगा नहीं सकती।’’ जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के एक दिन बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदम उठाने की घोषणा की थी, जिनमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना भी शामिल है। इस आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे।

विदेश कार्यालय ने कहा, ‘‘आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में पाकिस्तान निरंतर एक सक्रिय साझेदार बना हुआ है और पाकिस्तान को आतंकी कृत्यों से जोड़ने का कोई भी आरोप तथ्यात्मक रूप से गलत और स्पष्ट रूप से भ्रामक है।’’ पाकिस्तान ने भारत से जिम्मेदारी और संयम बरतने का आग्रह किया।

विदेश कार्यालय ने कहा कि पाकिस्तान शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व, क्षेत्रीय स्थिरता और रचनात्मक भागीदारी के लिए प्रतिबद्ध है। विदेश कार्यालय ने यह भी कहा कि शांति के लिए पाकिस्तान की इच्छा को उसकी कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए, क्योंकि पाकिस्तान के लोग और उसके सशस्त्र बल देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए पूरी तरह तैयार और सक्षम हैं। इसने कहा कि किसी भी ‘‘दुस्साहस या आक्रमकमता’’ का कड़ा और उचित जवाब दिया जाएगा।’’

विदेश कार्यालय ने कहा कि पाकिस्तान ने अतीत में भी अपने संकल्प को प्रदर्शित किया है और आवश्यकता पड़ने पर वह फिर से ऐसा करेगा। भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद, 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया था।

भारत की कार्रवाई के बाद, पाकिस्तान ने 8, 9 और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमले करने का प्रयास किया था। वहीं, भारतीय सेना ने कई पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों पर भीषण जवाबी हमले किए। चार दिनों के संघर्ष के बाद, 10 मई को दोनों पक्षों के बीच टकराव रोकने पर सहमति बनी।

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