Onion prices: जल्द ही रुलाने वाली हैं प्याज की कीमतें, नवंबर महीने में 100 रुपये प्रति किग्रा से उपर जाने की संभावना
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: October 28, 2023 04:37 PM2023-10-28T16:37:51+5:302023-10-28T16:39:13+5:30
एक हफ्ते पहले ही खुदरा बाजारों में प्याज 40-50 रुपये प्रति किलो बिक रहा था, लेकिन अब कीमतें हर दिन बढ़ती जा रही हैं। नवंबर के पहले सप्ताह तक 100 रुपये तक पहुंचने की संभावना है।
नई दिल्ली: प्याज की कीमतों में एक बार फिर तेजी देखी जा रही है और नवंबर महीने में इसके 100 रुपये प्रति किलोग्राम से उपर जाने की संभावना है। पिछले कुछ दिनों में दिल्ली-एनसीआर के बाजारों में प्याज की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। पिछले सप्ताह जहां प्याज 30-50 रुपये प्रति किलो बिक रही थी, वहीं अब यह 70-80 रुपये पर है और नवंबर के पहले सप्ताह तक 100 रुपये तक पहुंचने की संभावना है।
कम उत्पादन और आपूर्ति की कमी ने प्याज की कीमतों में उबाल लाया है। प्रमुख उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से फसल की आवक में देरी के कारण दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद जैसी जगहों पर खुदरा कीमतें 60 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई हैं, जो एक पखवाड़े पहले 40 रुपये प्रति किलोग्राम थी।
नवरात्रि त्योहार के बाद प्याज की कीमतों में अचानक उछाल से खरीदार और विक्रेता दोनों हैरान हैं। एक हफ्ते पहले ही खुदरा बाजारों में प्याज 40-50 रुपये प्रति किलो बिक रहा था, लेकिन अब कीमतें हर दिन बढ़ती जा रही हैं। महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे कई अन्य राज्य भी प्याज की कीमतों में उछाल से प्रभावित हैं। बेंगलुरु में इसकी कीमत 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ गई है।
मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार बेंगलुरु के यशवंतपुर में कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) यार्ड में प्याज 65-70 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचा जा रहा था। इस वर्ष कर्नाटक में कम उत्पादन का कारण कुछ क्षेत्रों में अनियमित बारिश और सूखा हो सकता है।
उपभोक्ता मामलों के विभाग के अनुसार, 26 अक्टूबर तक प्याज की औसत थोक कीमत बढ़कर 3,112.6 रुपये प्रति क्विंटल हो गई, जो 1 अक्टूबर के 2,506.62 रुपये प्रति क्विंटल से काफी अधिक है। दिल्ली के गाजीपुर सब्जी बाजार के व्यापारियों के अनुसार प्याज की आमद कम है जिसके परिणामस्वरूप कीमतें ऊंची हैं। एक हफ्ते पहले दरें 200 रुपये, 160 रुपये या 250 रुपये थीं। आपूर्ति में कमी के कारण पिछले हफ्ते दरें बढ़ गई हैं।