2016 में नोटों का मूल्य 16.41 लाख करोड़ और 2022 में बढ़कर 31.05 लाख करोड़ रुपए हुआ
By शरद गुप्ता | Published: December 19, 2022 09:53 PM2022-12-19T21:53:21+5:302022-12-19T21:56:51+5:30
लोकसभा में पूछे एक प्रश्न के लिखित उत्तर में वित्त मंत्री ने बताया कि जहां 2016 में 9026.60 करोड़ करेंसी नोट बाजार में थे वहीं 2022 में यह संख्या बढ़कर 13053.3 करोड़ हो गई.
नई दिल्लीः नोटबंदी के 6 साल बाद सरकार ने मान लिया है कि यह अपने उद्देश्य में सफल नहीं रही है. इस दौरान प्रचलन में आए करेंसी नोटों की संख्या में जहां लगभग 45 प्रतिशत वृद्धि हुई वहीं उनके मूल्य में लगभग 90 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई.
लोकसभा में पूछे एक प्रश्न के लिखित उत्तर में वित्त मंत्री ने बताया कि जहां 2016 में 9026.60 करोड़ करेंसी नोट बाजार में थे वहीं 2022 में यह संख्या बढ़कर 13053.3 करोड़ हो गई. यानी उनकी संख्या में 44.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. वित्त मंत्री ने अपने उत्तर में यह भी बताया कि 2016 में इन नोटों का मूल्य 16.41 लाख करोड़ रुपए था जो 2022 में बढ़कर 31.05 लाख करोड़ रुपए हो गया.
यानी उनका मूल्य 89.2 प्रतिशत बढ़ गया. 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा करते समय उनके तीन उद्देश्य बताए थे - अर्थव्यवस्था से काले धन को खत्म करना, नकली करेंसी नोट पर रोक लगाना और कैशलेस अर्थव्यवस्था बनाना. डीएमके सांसद पी वेलुसामी ने सरकार से पूछा था कि क्या चलन में रहने वाली मुद्रा में वृद्धि हो रही है.
जनता के पास कितनी नकदी है और पिछले वर्ष की तुलना में इसमें कितने प्रतिशत वृद्धि हुई है, क्या नकदी के कम उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए डिजिटल भुगतान के तरीकों का उपयोग करने के लिए कैशबैक योजनाओं को जारी रखने का विचार है और क्या डिजिटल भुगतान के लिए बैंक सेवा शुल्क ले रहे हैं और बिना सेवा शुल्क के डिजिटल भुगतान तंत्र लागू करने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन के पटल पर रखे उत्तर में बताया कि पिछले साल के मुकाबले चलन में आए करेंसी नोटों के मूल्य में इस वर्ष लगभग 8% मूल्य में वृद्धि हुई है. उन्होंने यह भी बताया कि कैशबैक योजना 5 जून 10 2017 से लागू की गई थी और 30 जून 2018 को बंद कर दी गई थी.
उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार का लक्ष्य कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ना है ताकि काले धन के सर्जन और चलन को कम किया जा सके और डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया जाए. वित्त मंत्री ने कहा 30 अगस्त 2020 को राजस्व विभाग में बैंकों को सलाह दी थी कि वे इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों का उपयोग किए गए लेनदेन पर एकत्र किए शुल्क को तुरंत वापस करें.
भविष्य में ऐसे किसी भी लेनदेन पर शुल्क न लगाएं. उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक के 17 मार्च 2020 के परिपत्र के मुताबिक व्यापारी रियायत दर या मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) संबंधी निर्देशों का पालन किया जाए और सुविधा (कन्वीनियंस फी) या संचालन शुल्क (हैंडलिंग फी) जैसे अन्य शुल्क की जानकारी को पेमेंट एग्रीगेटर्स द्वारा पहले ही प्रदर्शित किया जाए.