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नीति आयोग ने सरकार को इलेक्ट्रिक वाहन खरीद पर फेम-दो के अलावा प्रोत्साहन देने का सुझाव दिया

By भाषा | Updated: April 28, 2021 19:52 IST

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नयी दिल्ली, 28 अप्रैल नीति आयोग ने कहा है कि सरकार को हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों के तेजी से उपयोग और विनिर्माण (फेम-2) योजना के तहत दी जा रही सब्सिडी के अलावा बिजली चालित वाहनों पर अलग से प्रोत्साहन देना चाहिए।

नीति आयोग ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहन की स्थिति पर अपने विश्लेषण में यह भी कहा कि सरकार को इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) और संबद्ध कंपनियों को कर्ज की प्राथमिकता क्षेत्र की सूची में रखना चाहिए।

आयोग ने कहा, ‘‘सरकार को फेम-2 सिब्सडी के अलावा ईवी खरीद पर सब्सिडी के साथ इसकी खरीद को लेकर लिये गये कर्ज पर ब्याज सहायता भी देनी चाहिए। ’’

इसके अलावा संस्थान ने ईवी के लिये प्राथमिकता वाला ‘लेन’ और अलग से पार्किंग जैसे गैर-वित्तीय प्रोत्साहन का भी सुझाव दिया है।

आयोग ने यह भी कहा कि शहरों के अंदर केवल इलेक्ट्रिक वाहनों की मंजूरी के लिये ग्रीन जोन निर्धारित करने तथा पेट्रोल-डीजल से चलने वाली गाड़ियों पर भारी कर लगाकर हरित गाड़ियों को प्रोत्साहित किया जा सकता है।

नीति आयोग ने कहा, ‘‘हरित गलियारे निर्धारित किये जाने चाहिए जहां केवल ई-बसों को ही चलने की अनुमति हो।’’ आयोग के अनुसार ईवी चार्जिंग बुनियादी ढांचा के विकास में निवेश के लिये वितरण कंपनियों को प्रोत्साहन देने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर नीति तैयार की जानी चाहिए।’’

उसने यह भी कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र को कर्ज की सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर वित्तीय संस्थानों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

आयोग ने बैटरी अदला-बदली स्टेशनों को संबद्ध कल-पुर्जों के बाजार में भागदारी के लिये अवसर उपलब्ध कराने की भी वकालत की है।

उल्लेखनीय है कि सरकार ने राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन योजना 2020 अधिसूचित की है। इसमें राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने, सड़क पर चलने वाले वाहनों से प्रतिकूल पर्यावरण प्रभाव को कम करने तथा ईवी के लिये घरेलू विनिर्माण क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया गया है।

इसके अलावा सरकार ने फेम-2 योजना अधिसूचित की है। इसका मकसद देश में ईवी बाजार को प्रोत्साहित करना, चार्जिंग बुनियादी ढांचा कारोबार को लाइसेंस मुक्त करना और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये चार्जिंग बुनियादी ढांचे को लेकर दिशानिर्देश और मानक तैयार करना है।

फिलहाल, ईवी और कम कार्बन उत्सर्जन वाले वाहनों की कुल वाहन बिक्री में हिस्सेदारी एक प्रतिशत से भी कम है।

हालांकि स्वच्छ वाहन को बढ़ावा देने के लिये कई कदम उठाये गये हैं लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में लोग इलेक्ट्रिक वाहन लेने के लिये लोग आगे नहीं आ रहे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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