MRF Share Price: एमआरएफ ने रचा इतिहास, टायर बनाने वाली कंपनी के शेयर के दाम एक लाख रुपये से ऊपर पहुंचे
By विनीत कुमार | Published: June 13, 2023 12:02 PM2023-06-13T12:02:04+5:302023-06-13T12:10:42+5:30
MRF मुंबई के दलाल स्ट्रीट में एक लाख प्रति शेयर की उपलब्धि हासिल करने वाली पहली कंपनी बन गई है। एमआरएफ के शेयर मई में ही एक लाख रुपये से कुछ कम रह गए थे। इसके बाद से ही ये उम्मीद थी कि देर-सबेर कंपनी इस उपलब्धि को हासिल कर लेगी।
मुंबई: टायर निर्माता कंपनी MRF ने मंगलवार को इतिहास रच दिया। कंपनी के शेयर के दाम एक लाख को पार कर गए। एक लाख रुपये प्रति शेयर होने के साथ ही एमआरएफ दलाल स्ट्रीट पर इस उपलब्धि को हासिल करने वाली पहली कंपनी बन गई। एमआरएफ के शेयर सुबह करीब 10:45 बजे 1.04 फीसदी की तेजी के साथ 1,00,000.95 रुपये पर कारोबार कर रहे थे। एमआरएफ के शेयर मई में ही एक लाख रुपये से कुछ कम रह गए थे, लेकिन विश्लेषकों का मानना था कि कंपनी के शेयर अभी या बाद में इस मील के पत्थर को छूने में कामयाब होंगे।
MRF बेशक रिकॉर्ड्स में अभी भारत का सबसे महंगा स्टॉक है, हालांकि जब यह मूल्य-से-कमाई (प्राइस टू अर्निंग, P/E) या प्राइस-टू-बुक वैल्यू (P/BV) जैसे मापदंडों की बात आती है तो यह सबसे महंगा नहीं है। एमआरएफ के शेयरों में एक साल में 45 फीसदी से ज्यादा की जबरदस्त बढ़त देखी जा रही है। इस साल की शुरुआत से यह शेयर करीब 14 फीसदी चढ़ा है। इस बीच इसने पिछले तीन सालों में 82 फीसदी का रिटर्न दिया है।
एमआरएफ ने पिछले महीने की शुरुआत में बताया था कि कच्चे माल की कम लागत की वजह से मार्च तिमाही में उसका एकीकृत शुद्ध मुनाफा दो गुना होकर 341 करोड़ रुपये हो गया। कंपनी ने वित्त वर्ष 2021-22 की जनवरी-मार्च तिमाही में 165 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा अर्जित किया था। एमआरएफ लिमिटेड ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि उसकी परिचालन से होने वाली आय चौथी तिमाही में बढ़कर 5,842 करोड़ रुपये हो गयी, जो कि एक साल पहले की इसी अवधि में 5,305 करोड़ रुपये थी।
पूरे वित्त वर्ष 2022-23 कंपनी का शुद्ध लाभ 769 करोड़ रुपये रहा जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 669 करोड़ रुपये था। कंपनी की परिचालन आय 2021-22 के 19,317 करोड़ रुपये के मुकाबले वित्त वर्ष 2022-23 में बढ़कर 23,008 करोड़ रुपये हो गयी। एमआरएफ ने कहा था कि साल की दूसरी छमाही में कच्चे माल की कीमतों में नरमी आने के साथ लागत में कमी आई। इसका असर चौथी तिमाही में बेहतर मुनाफे के रूप में देखने को मिला।
(भाषा इनपुट)