Monetary Policy Committee 2023: एमपीसी की बैठक शुरू, क्या रेपो रेट में होंगे बदलाव?, जानें क्या कह रहे विशेषज्ञ

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 6, 2023 04:42 PM2023-12-06T16:42:17+5:302023-12-06T16:43:26+5:30

Monetary Policy Committee 2023: चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर का उम्मीद से अधिक होना और मुद्रास्फीति में नरमी है।

Monetary Policy Committee 2023 mpc rbi MPC meeting begins will there be changes in repo rate Know what experts are saying | Monetary Policy Committee 2023: एमपीसी की बैठक शुरू, क्या रेपो रेट में होंगे बदलाव?, जानें क्या कह रहे विशेषज्ञ

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Highlightsआरबीआई ने पिछली चार मौद्रिक नीति समीक्षाओं में रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया। अंतिम बार फरवरी में रेपो दर को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया गया था। मई, 2022 से शुरू हुआ नीतिगत दर में वृद्धि का सिलसिला एक तरह से थम गया।

Monetary Policy Committee 2023: भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन चलने वाली बैठक बुधवार को शुरू हुई। यह माना जा रहा है कि एमपीसी इस बार भी नीतिगत दर रेपो को यथावत रख सकती है। इसका प्रमुख कारण चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर का उम्मीद से अधिक होना और मुद्रास्फीति में नरमी है।

आरबीआई ने पिछली चार मौद्रिक नीति समीक्षाओं में रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया। अंतिम बार फरवरी में रेपो दर को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया गया था। इसके साथ रूस-यूक्रेन युद्ध और उसके कारण वैश्विक आपूर्ति बाधित होने से महंगाई बढ़ने के कारण मई, 2022 से शुरू हुआ नीतिगत दर में वृद्धि का सिलसिला एक तरह से थम गया।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास छह सदस्यीय एमपीसी के निर्णय की घोषणा आठ दिसंबर को करेंगे। एमपीसी से अपेक्षा के बारे में इक्रा की प्रमुख अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही में जीडीपी आंकड़ा मौद्रिक नीति समिति के पिछले अनुमान से अधिक रहा है।

हालांकि, खाद्य मुद्रास्फीति से संबद्ध विभिन्न पहलुओं को लेकर चिंता बनी हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘इन सबको देखते हुए हमारा अनुमान है कि एमपीसी दिसंबर, 2023 की मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर को यथावत रख सकती है। हालांकि, मौद्रिक नीति का रुख आक्रामक हो सकता है।’’

डॉयचे बैंक रिसर्च के अनुसार, आरबीआई 2023-24 के लिए सकल घरेलू उत्पाद के पूर्वानुमान को 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर सकता है जबकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान को 5.4 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखे जाने की संभावना है। उसने कहा, ‘‘आरबीआई संभवतः रेपो दर और रुख को अपरिवर्तित रखेगा। साथ ही नकदी की स्थिति को सख्त बनाये रख सकता है।

आरबीआई यह सुनिश्चित करेगा कि अल्पकालिक दर 6.85-6.90 प्रतिशत के आसपास बनी रहे...।’’ विनिर्माण, खनन और सेवा क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन के साथ देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में 7.6 प्रतिशत रही। एक साल पहले इसी तिमाही में यह 6.2 प्रतिशत थी।

इसके साथ भारत दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तीव्र आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने वाला देश बना हुआ है। एसकेए ग्रुप के निदेशक संजय शर्मा ने कहा कि कुछ समय से आरबीआई लगातार नीतिगत दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखे हुए है। यह आर्थिक परिदृश्य को लेकर आरबीआई के भरोसे को दर्शाता है।

उन्होंने कहा, ‘‘मुद्रास्फीति में नरमी को देखते हुए इस बार भी उम्‍मीद है कि‍ आरबीआई रेपो दर को स्थिर रखेगा, इससे संभावित घर खरीदारों को लाभ होगा।’’ उल्लेखनीय है कि मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं के दाम कम होने से खुदरा मुद्रास्फीति अक्टूबर में घटकर 4.87 प्रतिशत रही।

एमपीसी ने अक्टूबर की मौद्रिक नीति समीक्षा में खुदरा मुद्रास्फीति 2023-24 में 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। सरकार ने आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है।

अंसल हाउसिंग के निदेशक कुशाग्र अंसल ने कहा कि अपनी पिछली घोषणाओं में आरबीआई ने रेपो दरों को यथावत रखा है, जो रियल एस्टेट कंपनियों और खरीदारों के लिए सकारात्मक रुख का संकेत देता है। हम इस बैठक के बाद भी केंद्रीय बैंक की ओर से रेपो दर बरकरार रहने की उम्मीद कर रहे हैं। स्थिर ब्याज दर घर खरीदारों को रियल एस्‍टेट की ओर आकर्षित करेंगी।

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