कोयला से गैस ईंधन बनाने की योजना, 6000 करोड़ होंगे निवेश, प्राकृतिक गैस, मेथनॉल और अन्य जरूरी उत्पादों के आयात पर निर्भरता कम, जानें भविष्य में क्या होगा असर
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 15, 2023 02:42 PM2023-07-15T14:42:50+5:302023-07-15T14:44:34+5:30
मंत्रालय सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के लिए 6,000 करोड़ रुपये के परिव्यय से कोयला/लिग्नाइट से गैस ईंधन बनाने की परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए एक समग्र योजना पर विचार कर रही है।
नई दिल्लीः देश में कोयला से गैस ईंधन के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार 6,000 करोड़ रुपये की योजना लाने पर विचार कर रही है। आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई।
कोयला मंत्रालय ने बयान में कहा कि देश में कोयला से गैस ईंधन बनाने की प्रौद्योगिकी अपनाने से कोयला क्षेत्र में क्रांति आ जाएगी, जिससे प्राकृतिक गैस, मेथनॉल और अन्य जरूरी उत्पादों के आयात पर निर्भरता कम हो जाएगी। बयान के अनुसार, “मंत्रालय सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के लिए 6,000 करोड़ रुपये के परिव्यय से कोयला/लिग्नाइट से गैस ईंधन बनाने की परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए एक समग्र योजना पर विचार कर रही है।”
मंत्रालय ने कहा कि कोयला/लिग्नाइट से गैस ईंधन बनाने की योजना के लिए इकाइयों का चयन प्रतिस्पर्धात्मक और पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा। योजना के दो खंड हैं। पहले खंड में सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) को सहयोग देगी, जबकि दूसरे खंड में निजी क्षेत्र और सार्वजनिक उपक्रम दोनों शामिल होंगे।
इस खंड के तहत कम से कम एक परियोजना का चयन शुल्क-आधारित बोली प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा। इसके मानदंड तय करने के लिए नीति आयोग से परामर्श लिए जाएंगे। बयान के अनुसार, तीसरे खंड में परियोजनाओं के प्रदर्शन, स्वदेशी प्रौद्योगिकी और छोटे पैमाने के उत्पाद-आधारित गैस ईंधन बनाने वाले संयंत्रों के उपयोग के लिए बजटीय सहायता का प्रावधान शामिल है। मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2029-30 तक कोयला से 10 करोड़ टन गैस बनाने का लक्ष्य रखा है।