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किसान पर मेहरबान मोदी सरकार?, 11,440 करोड़ रुपये की लागत से दलहन मिशन, गेहूं एमएसपी 2,585 रुपये प्रति क्विंटल

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 1, 2025 17:24 IST

सरकारी एजेंसियों, भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) के जरिये पंजीकृत किसानों से सुनिश्चित खरीद की जाएगी।

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ठळक मुद्दे2023-24 में 242 लाख टन दलहन उत्पादन को 2030-32 तक बढ़ाकर 350 लाख टन करने का लक्ष्य रखा है।उपज को 881 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 1,130 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर करने का लक्ष्य है। दुनिया का सबसे बड़ा दलहन उत्पादक और उपभोक्ता देश भारत इस फसल के बढ़ते आयात से जूझ रहा है।

नई दिल्लीः केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए 11,440 करोड़ रुपये के व्यय वाली छह वर्षीय केंद्रीय योजना को मंजूरी दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 'दलहनों में आत्मनिर्भरता मिशन'' को मंजूरी दी। इस योजना की अवधि 2025-26 से 2030-31 तक होगी। यह मिशन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 2025-26 के बजट में की गई घोषणा के अनुरूप है। दलहन मिशन विशेष रूप से अरहर, उड़द और मसूर के उत्पादन को बढ़ाने पर केंद्रित होगा, जिसमें सरकारी एजेंसियों, भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) के जरिये पंजीकृत किसानों से सुनिश्चित खरीद की जाएगी।

सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ''हम छह साल के लिए दलहन पर एक मिशन शुरू करने जा रहे हैं। इसके तहत कई पहल की जाएंगी।'' एक आधिकारिक बयान के अनुसार, इस मिशन के तहत सरकार ने 2023-24 में 242 लाख टन दलहन उत्पादन को 2030-32 तक बढ़ाकर 350 लाख टन करने का लक्ष्य रखा है।

दलहन की खेती का रकबा 242 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 310 लाख हेक्टेयर किया जाएगा, जबकि उपज को 881 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 1,130 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर करने का लक्ष्य है। यह पहल ऐसे समय में की जा रही है, जब दुनिया का सबसे बड़ा दलहन उत्पादक और उपभोक्ता देश भारत इस फसल के बढ़ते आयात से जूझ रहा है।

बढ़ती आय और जीवन स्तर में सुधार के कारण घरेलू मांग तेजी से बढ़ रही है, जबकि उत्पादन उस गति से नहीं बढ़ रहा। इस कारण हाल के वर्षों में दलहन के आयात में 15-20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस मिशन को 416 विशेष जिलों में संकुल आधारित नजरिये के माध्यम से लागू किया जाएगा। इसके तहत लगभग 1,000 नई पैकेजिंग और प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की जाएंगी।

इनमें प्रसंस्करण और पैकेजिंग सुविधाएं स्थापित करने के लिए अधिकतम 25 लाख रुपये की सब्सिडी उपलब्ध होगी। उत्पादकता में सुधार के लिए, दालों की ऐसी नयी किस्मों के विकास और प्रसार पर जोर दिया जाएगा, जो अधिक उत्पादकता वाली, कीट-प्रतिरोधी और जलवायु-प्रतिरोधी हों।

सरकार 2030-31 तक दलहन उत्पादक किसानों को 126 लाख क्विंटल प्रमाणित बीज वितरित करेगी, जो 370 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करेगा। राज्य बीज उत्पादन योजनाएं तैयार करेंगे, जिसमें प्रजनक बीज उत्पादन की निगरानी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) करेगी।

इस मिशन की एक प्रमुख विशेषता प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) की मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के अंतर्गत अरहर, उड़द और मसूर की सुनिश्चित खरीद है। नेफेड और एनसीसीएफ अगले चार वर्षों तक भागीदार राज्यों में उन किसानों से 100 प्रतिशत खरीद करेंगे, जो इन एजेंसियों के साथ पंजीकरण कराएंगे।

यह मिशन मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने और किसानों के विश्वास की रक्षा के लिए वैश्विक दलहन कीमतों की निगरानी हेतु एक तंत्र भी स्थापित करेगा। सरकार खरीद, भंडारण, प्रसंस्करण और कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने सहित मूल्य श्रृंखला को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करेगी।

‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने का जश्न देश भर में मनाया जाएगा : केंद्रीय मंत्रिमंडल

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने का जश्न पूरे भारत में मनाने का बुधवार को फैसला किया। संविधान सभा ने बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा रचित ‘वंदे मातरम्’ को राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिया था। केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इस गीत की भूमिका को ध्यान में रखते हुए, इसके 150वें वर्ष के उपलक्ष्य में देशव्यापी समारोह आयोजित करने का निर्णय लिया गया। ‘इंडिया डॉट जीओवी’ पोर्टल के अनुसार, वंदे मातरम् की रचना चटर्जी ने संस्कृत में की थी। इसे राष्ट्रगान, ‘जन-गण-मन’ के बराबर दर्जा प्राप्त है।

सरकार ने गेहूं का एमएसपी 160 रुपये बढ़ाकर 2,585 रुपये प्रति क्विंटल किया

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को फसल विपणन सत्र 2026-27 के लिये गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 6.59 प्रतिशत बढ़ाकर 2,585 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया। विपणन सत्र 2025-26 के लिये गेहूं का एमएसपी 2,425 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया था। इस तरह गेहूं के एमएसपी में इस साल 160 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, "मंत्रिमंडल ने छह रबी फसलों के लिए एमएसपी को मंजूरी दी है। गेहूं का एमएसपी 2,585 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है।"

गेहूं रबी सत्र की मुख्य फसल है जिसकी बुवाई अक्टूबर के अंत से शुरू होती है और मार्च से कटाई होने लगती है। अन्य रबी फसलों में ज्वार, जौ, चना और मसूर शामिल हैं। उन्होंने कहा कि रबी सत्र की फसलों के लिए एमएसपी का निर्धारण कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों के आधार पर किया गया है।

गेहूं के विपणन सत्र 2026-27 की शुरुआत अप्रैल से होगी। हालांकि गेहूं की बड़ी मात्रा में खरीद जून तक पूरी हो जाती है। सरकार ने 2025-26 फसल वर्ष (जुलाई-जून) के लिये 11.9 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य रखा है। 2024-25 में इसका अनुमानित उत्पादन 11.75 करोड़ टन रहा, जो अब तक का रिकॉर्ड है।

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