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Lockdown: मई महीने में 2.1 करोड़ नौकरियों का सृजन, सीएमआईई के आंकड़े ने दी जानकारी

By अजीत कुमार सिंह | Updated: June 2, 2020 16:23 IST

देश के बड़े इकॉनॉमी थिंक टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनॉमी के आंकड़ों की मानें तो मई महीने में कुछ लोगों के ही सही काम पर वापस लौटने से लेबर मार्केट कंडीशन में सुधार हुआ हैं. हालांकि बेरोज़गारी की दर बहुत ही ऊंची 23.5 प्रतिशत बनी हुई हैं.

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ठळक मुद्देमंदी की मार झेल रही अर्थव्यवस्था को लॉकडाउन ने बुरी तरह प्रभावित किया है, जिसकी वजह से बड़ी संख्या में श्रमिक बेरोजगार हो गए.श्रम भागीदारी दर 35.6 प्रतिशत से बढ़कर 38.2 प्रतिशत और रोजगार दर 27.2 प्रतिशत से 29.2 प्रतिशत हो गई.

नई दिल्लीः लॉकडाउन 5 या कहे देश में अनलॉक-1 लागू होने बाद पटरी से उतर चुकी अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटती नज़र आ रही है. ऐसा कहना आसान नहीं हैं लेकिन आंकड़े कुछ ऐसा ही इशारा कर रहे हैं.

देश के बड़े इकॉनॉमी थिंक टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनॉमी के आंकड़ों की मानें तो मई महीने में कुछ लोगों के ही सही काम पर वापस लौटने से लेबर मार्केट कंडीशन में सुधार हुआ हैं. हालांकि बेरोज़गारी की दर बहुत ही ऊंची 23.5 प्रतिशत बनी हुई हैं.

सीएमआईई के आंकड़े बताते हैं कि मई के महीने में 2.1 करोड़ नौकरियों का सृजन हुआ हैं. हालांकि कि देश में 2 महीने से भी ज्यादा समय से लॉकडाउन लगा है जिसने पहले से ही मंदी की मार झेल रही अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है और जिसकी वजह से बड़ी संख्या में श्रमिक बेरोजगार हो गए.

तो आइए बुलेट प्वाइंट में जानें 10 बड़ी बातें

1-मई 2020 में बेरोजगारी दर 23.5 प्रतिशत थी जो कि अप्रैल 2020 में भी समान थी लेकिन, श्रम भागीदारी दर 35.6 प्रतिशत से बढ़कर 38.2 प्रतिशत और रोजगार दर 27.2 प्रतिशत से 29.2 प्रतिशत हो गई.

2-मई में जिन 2.1 करोड़ लोगों को रोजगार मिला 1.4 करोड़ छोटे व्यापारी और दिहाड़ी मजदूर हैं. इसी तबके पर लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार पड़ी है. ये कुल नियोजित आबादी का एक तिहाई हिस्सा है. अप्रैल के महीने में इनमें से 71 प्रतिशत ने अपने रोज़गार गवां दिये थे. देश में अनलॉक 1 लागू होने अर्थव्यवस्था के धीरे-धीरे खुलने के बाद ये अपने काम पर वापस आ गए हैं. चूँकि ये मुख्य रूप से स्व-नियोजित व्यक्ति होते हैं, इसलिए हालात अनुकूल होते ही इनके लिए काम फिर से शुरू करना अपेक्षाकृत आसान होता है. 

3- 2019-20 में औसतन 4.4 करोड़ लोगों की तुलना में मई 2020 में 3 करोड़ लोगों को रोज़गार मिला.

4-थिंक टैंक प्रमुख महेश व्यास कहते हैं कि लॉकडाउन के बाद अप्रैल में रोज़गार गवांने वाले मई में वापस लौटे हैं. अप्रैल में जो लोग श्रम बाजार से चले गए थे, ऐसे लोग निष्क्रिय बेरोजगार की श्रेणी में थे. इसका मतलब ये हैं कि ये बेरोज़गार थे और काम करने के लिए भी तैयार थे लेकिन सक्रिय रूप से नौकरी की तलाश में नहीं थे. मई में इनमें से कई लोग वापस आ गए थे और सक्रिय रूप से नौकरियों की तलाश कर रहे थे. मई में रोज़गार के आकड़ों में वृद्धि के पीछे ये एक बड़ा कारण हैं. 

5-सीएमआईई के अनुसार मई में 2.1 करोड़ रोज़गार की वृद्धि अप्रैल के मुकाबले 7.5 प्रतिशत ज्यादा है. इनमें  छोटे व्यापारियों और दिहाड़ी मजदूरों की रोज़गार में 39 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई. 

6- सीएमआईई प्रमुख महेश व्यास कहते हैं कि मुख्य श्रम बाजार में अप्रैल की तुलना में भले ही मई में सुधार के संकेत हैं लेकिन श्रम बाजार की स्थिति अभी भी लॉकडाउन से पहले की तुलना में बहुत खराब बनी हुई है. 

7-महेश व्यास ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सैलरी वाली नौकरियां पाना अपेक्षाकृत कठिन है और लॉकडाउन के दौरान गईं सैलरी वाली नौकरियां पाना तो और कठिन काम है. ये वो नौकरियां है जो बेहतर मानी जाती हैं, इसी लिए अच्छी नौकरियों का लगातार जाना चिंताजनक है.

8-मई 2020 में नौकरियों में वृद्धि लॉकडाउन में मिले आंशिक छूट की वजह से हैं. इस तरह की आंशिक छूट से स्वरोजगार या असंगठित क्षेत्र में रोजगार पैदा हो सकते हैं. इस छूट में 25-29 साल के युवाओं के लिए रोजगार के मौके नहीं थे जो बेहतर नौकरियों की तलाश में थे. इस वक्त में वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए नौकरियां नहीं हैं. सैलरी वाली नौकरियां तभी बढ़ सकती हैं जब निवेश बढ़ेगा. 

9-मई 2020 के दौरान जो 2.1 करोड़ नौकरियों के आंकड़े हैं उनमें 25-29 वर्ष आयु वर्ग में रोजगार में गिरावट आई है. हर उम्र के लोगों के रोजगार में वृद्धि हुई लेकिन 25 से 29 साल की उम्र के लोगों के रोजगार में गिरावट देखने को मिली हैं. 

10-केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा किए गये एलानों से ये संकेत मिलता है कि जून के महीने में और छूट मिल सकती हैं. अगर ऐसा होता है तो रोजगार के आंकड़ों में और सुधार देखने को मिल सकता हैं. इस दौरान मिलने वाली अधिकतर नौकरियां खराब गुणवत्ता वाली या असंगठित क्षेत्र में होंगी. लॉकडाउन के वजह से एक बड़ी आबादी के रोज़गार को हुए नुकसान की भरपाई होने में लंबा समय लगने वाला हैं. 

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