केरोसिन की खपत 2013-14 से 2022-23 के दौरान सालाना आधार पर 26 फीसद घटी: रिपोर्ट
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 17, 2024 10:56 AM2024-03-17T10:56:43+5:302024-03-17T11:01:31+5:30
देश में केरोसिन या मिट्टी के तेल की खपत में 2013-14 और 2022-23 के बीच साल-दर-साल आधार पर 26 फीसद की भारी गिरावट आई है। इसका मुख्य कारण सरकार की स्वच्छ ऊर्जा को प्रोत्साहन देने की नीतियां हैं।
नई दिल्ली: देश में केरोसिन या मिट्टी के तेल की खपत में 2013-14 और 2022-23 के बीच साल-दर-साल आधार पर 26 फीसद की भारी गिरावट आई है। इसका मुख्य कारण सरकार की स्वच्छ ऊर्जा को प्रोत्साहन देने की नीतियां हैं। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों 'ऊर्जा सांख्यिकी भारत 2024' में ये बात सामने आई है। हाल के समय की ऊर्जा नीतियों का प्रभाव देश में ईंधन के रूप में केरोसिन की खपत पर स्पष्ट दिखता है।
आंकड़ों से पता चलता है कि केरोसिन की खपत में 2013-14 से 2022-23 तक सालाना आधार (सीएजीआर) पर 25.78 फीसदी की की गिरावट आई है। इसमें लगातार गिरावट देखने को मिली है। रिपोर्ट के मुताबिक, सभी पेट्रोलियम उत्पादों में एचएसडीओ (डीजल) की खपत में पिछले साल की तुलना में 2022-23 में 12.05 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली है। कुल ईंधन खपत में डीजल की हिस्सेदारी सबसे अधिक 38.52 प्रतिशत है।
पिछले वर्ष की तुलना में पेट्रोल और पेट कोक की खपत में क्रमशः 13.38 फीसद और 28.68 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। डीजल की खपत 2021-22 में 7.66 करोड़ टन थी, जो 2022-23 में 12.05 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 8.59 करोड़ टन हो गई है। रिपोर्ट कहती है कि प्राकृतिक गैस की खपत में समय के साथ उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 के दौरान, ऊर्जा के उद्देश्य से प्राकृतिक गैस की खपत 7.7 प्रतिशत घटकर 36,383 अरब घनमीटर (बीसीएम) रह गई। यह 2021-22 में 39,414 अरब घनमीटर थी।
इसी तरह गैर-ऊर्जा उद्देश्य के लिए प्राकृतिक गैस की खपत 1.1 फीसदी की मामूली वृद्धि के साथ 2021-22 के 22,077 बीसीएम से बढ़कर 2022-23 में 22,319 बीसीएम हो गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्राकृतिक गैस की अधिकतम खपत उर्वरक उद्योग में 32.35 प्रतिशत की रही। इसके बाद सड़क परिवहन सहित शहर गैस वितरण नेटवर्क (20.06 प्रतिशत) का स्थान रहा। रिपोर्ट में बताया गया है कि बिजली की अनुमानित खपत 2012-13 के 8,24,301 गीगावाट घंटा (जीडब्ल्यूएच) से बढ़कर 2021-22 के दौरान 12,96,300 जीडब्ल्यूएच हो गई। यह सालाना आधार पर 5.16 प्रतिशत की वृद्धि है।