जूट संकट: सरकार को बोरे खरीदने के लिए 2,000 करोड़ रुपये और खर्च करने पड़ सकते हैं

By भाषा | Updated: May 9, 2021 22:20 IST2021-05-09T22:20:27+5:302021-05-09T22:20:27+5:30

Jute crisis: Government may have to spend 2,000 crores more to buy sacks. | जूट संकट: सरकार को बोरे खरीदने के लिए 2,000 करोड़ रुपये और खर्च करने पड़ सकते हैं

जूट संकट: सरकार को बोरे खरीदने के लिए 2,000 करोड़ रुपये और खर्च करने पड़ सकते हैं

कोलकाता, नौ मई कच्चे जूट की कीमत चालू सत्र 2020-21 में आसमान छू रही है, जिसके चलते खाद्यान्नों की पैकिंग के लिए पर्यावरण के अनुकूल जूट के बोरे खरीदने के लिए सरकारी खजाने पर 2,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है।

केंद्र और विभिन्न सरकारी एजेंसियां हर साल 10-12 लाख टन जूट के बोरे खरीदती हैं, जिनकी कीमत 5,500 करोड़ रुपये है।

एक अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘कच्चे जूट की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते मौजूदा जूट सत्र में बोरों पर सरकार को अतिरिक्त लगभग 2,000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे।’’

कच्चे जूट की कीमत एक समय 8,000 रुपये प्रति क्विंटल के पार हो गई थी, जो मार्च 2020 के मुकाबले लगभग 70-80 प्रतिशत अधिक है। बाद में पश्चिम बंगाल सरकार के हस्तक्षेप से कीमत घटकर लगभग 6500 रुपये प्रति क्विंटल हो गई।

सरकारी तंत्र में बोरे के मूल्य निर्धारण के लिए कच्चे जूट की कीमत को आधार माना जाता है। सरकार आमतौर पर बोरे की कीमत तय करने के लिए कच्चे जूट की तीन महीने की औसत कीमत को आधार बनाती है।

देश में इस समय जूट के रेशों की कमी है और जूट आयुक्त कार्यालय का मानना ​​है कि कम उत्पादन के साथ ही निर्यात के चलते संकट और बढ़ गया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Jute crisis: Government may have to spend 2,000 crores more to buy sacks.

कारोबार से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे