INTERVAL: नंबरों का खेल नहीं, शिक्षा जुनून है जरूरी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 29, 2024 12:51 PM2024-03-29T12:51:52+5:302024-03-29T12:52:44+5:30
INTERVAL: "इंटरवल" किसी भी समस्या की पहचान कर उसका समाधान खोजने में विश्वास रखती है। कंपनी ने गौर किया कि बच्चों की बुनियादी शिक्षा मजबूत नहीं होने के कारण आगे की पढ़ाई में भी उन्हें दिक्कत आती है।
INTERVAL: अन्य एडटेक कंपनियों के विपरीत "इंटरवल" का लक्ष्य सिर्फ मुनाफा कमाना नहीं है। निश्चित रूप से कंपनी का व्यवसाय मॉडल टिकाऊ होना चाहिए, लेकिन कंपनी के संस्थापकों और कर्मचारियों को असली जुनून शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाने का है। उनका मानना है कि मौजूदा शिक्षा प्रणाली खामियों से भरी है और बच्चों की सीखने की क्षमता का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाती। "इंटरवल" किसी भी समस्या की पहचान कर उसका समाधान खोजने में विश्वास रखती है। कंपनी ने गौर किया कि बच्चों की बुनियादी शिक्षा मजबूत नहीं होने के कारण आगे की पढ़ाई में भी उन्हें दिक्कत आती है।
इसी समस्या को सुलझाने के लिए कंपनी ने व्यक्तिगत तौर पर ध्यान देने वाले कोर्स शुरू किए। कंपनी यहीं नहीं रुकी, उसने प्री-केजी के बच्चों के लिए भी कोर्स शुरु करके शिक्षा के दायरे को व्यापक बनाया। शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए "इंटरवल" नवाचार और वैज्ञानिक पद्धति पर बल देती है।
कंपनी के कोर्स बनाने में शिक्षा विशेषज्ञों और बाल मनोवैज्ञानिकों का सहयोग लिया जाता है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि कोर्स न सिर्फ बच्चों की रुचि जगाएं बल्कि उनके सर्वांगीण विकास में भी सहायक हों।कंपनी की सफलता का एक और राज है लोगों पर फोकस करना। "Interval" यह मानती है कि शिक्षा का आधार शिक्षक और छात्र के बीच का रिश्ता होता है।
इसलिए कंपनी यह सुनिश्चित करती है कि उसके शिक्षक न सिर्फ योग्य हों बल्कि छात्रों को प्रेरित करने और उनका मार्गदर्शन करने में भी सक्षम हों। तकनीक को कंपनी एक माध्यम के रूप में इस्तेमाल करती है, ना कि किसी चमत्कारी समाधान के तौर पर।कंपनी का फोकस सिर्फ बच्चों के अंकों या परीक्षा परिणामों पर नहीं है, बल्कि उन पर पड़ने वाले दीर्घकालिक प्रभाव पर है।
कंपनी का लक्ष्य बच्चों में जिज्ञासा जगाना, उनकी सोचने-समझने की क्षमता विकसित करना और उन्हें आ आजीवन सीखने के लिए प्रेरित करना है।"इंटरवल" की सफलता इस बात का सबूत है कि जुनून और समस्या-समाधान के नजरिए से शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाए जा सकते हैं।
कंपनी का मॉडल भविष्य के शिक्षा जगत की एक झलक दिखाता है। यह संभव है कि भविष्य में शिक्षा ज्यादा व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुरूप हो, नवाचार और तकनीक का ज्यादा इस्तेमाल हो, और शिक्षा का लक्ष्य सिर्फ डिग्री हासिल करना ना होकर समग्र विकास हो।