विशेषज्ञों ने कहा- अगले साल की पहली तिमाही से कम होने लगेगी महंगाई, RBI इस साल के अंत तक बढ़ा सकता है रेपो रेट
By मनाली रस्तोगी | Published: August 22, 2022 10:18 AM2022-08-22T10:18:32+5:302022-08-22T12:59:52+5:30
विश्लेषकों ने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति मार्च तक 6 प्रतिशत से नीचे आ सकती है, जिससे दरों में बढ़ोतरी का मौजूदा चक्र समाप्त हो जाएगा।
मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की विशेषज्ञ समिति ने कहा है कि अगले साल की पहली तिमाही में महंगाई कम होना शुरू होगी। मौद्रिक नीति समिति की रपट में यह भी कहा गया है कि आरबीआई इस साल दिसंबर तक रेपो रेट में 50-60 आधार अंक (बीपीएस) की बढ़ोतरी कर सकता है। मौद्रिक नीति समिति के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी से मार्च 2023) तक मुद्रास्फीति की दर छह प्रतिशत से कम हो सकती है।
मुद्रास्फीति की दर कम होने से महंगाई में कमी आती है। भारतीय रिजर्व बैंक देश की मौद्रिक और बैंक नीति का नियमन और नियंत्रण रखता है। रेपो रेट वह ब्याज दर है जिसपर आरबीआई अन्य कारोबारी बैंकों को ऋण देता है। जिस ब्याज दर पर आरबीआई अन्य कारोबी बैंकों से ऋण लेता है उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।
जुलाई में भारत की मुद्रास्फीति की दर 6.71 प्रतिशत थी। लगातार तीसरे महीने मुद्रास्फीति की दर में कमी आयी है लेकिन अब भी यह आरबीआई की सुरक्षित सीमा दो से छह प्रतिशत से अधिक है। वित्तीय संस्था बारक्लेज से जुड़े अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने इसपर टिप्पणी करते हुए कहा, "हमें उम्मीद है कि आरबीआई सितम्बर से दिसंबर 2022 की तिमाही में रेपो रेट में 25 बीपीएस दरों की बढ़तोरी करेगा जिससे रेपो दर बढ़कर 5.90 प्रतिशत हो जाएगी।" आरबीआई ने इस साल मई से लेकर जुलाई तक रेपो रेट में 140 आधार अंक की बढ़ोतरी की है।
मौद्रिक नीति समिति ने कहा कि देश में खुदरा मूल्य वृद्धि को चार प्रतिशत तक रखने का लक्ष्य था लेकिन यह हासिल नहीं हो सका। बाजोरिया ने कहा कि यूरोपीय संघ ने इस साल 5 दिसंबर से रूस से कच्चा तेल खरीदने पर रोक लगा दिया है। इसके बाद यूरोपीय खरीदार रूस की जगह किसी अन्य से कच्चा तेल खरीदने को मजबूर होंगे तो इसका भारत में कच्चे तेल की आपूर्ति पर सकारात्मक असर पडे़गा।