आईबीसी ने कर्जदार-कर्जदाता के संबंधों को नए सिरे से परिभाषित किया : समीक्षा
By भाषा | Updated: January 29, 2021 20:59 IST2021-01-29T20:59:16+5:302021-01-29T20:59:16+5:30

आईबीसी ने कर्जदार-कर्जदाता के संबंधों को नए सिरे से परिभाषित किया : समीक्षा
नयी दिल्ली, 29 जनवरी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शुक्रवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2020-21 में कहा गया है कि दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) ने कर्जदार-ऋणदाता के संबंधों को नए सिरे से परिभाषित किया है।
समीक्षा में कहा गया है कि सितंबर, 2020 तक समाधान प्रक्रिया की आधिकारिक घोषणा से पहले ही 80 प्रतिशत कॉरपोरेट कर्जदारों के मामलों का समाधान कर लिया गया।
समीक्षा में कहा गया है कि आईबीसी ने दिसंबर, 2020 तक समाधान योजना के जरिये 308 कॉरपोरेट कर्जदारों का ‘बचाव’ किया है। इनपर ऋणदाताओं का 4.99 लाख करोड़ रुपये का बकाया था।
‘‘हालांकि, इन कंपनियों के कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) में जाने तक उनके पास उपलब्ध संपत्तियों का वसूली मूल्य सिर्फ 1.03 लाख करोड़ रुपये था। संहिता के तहत ऋणदाताओं ने 1.99 लाख करोड़ रुपये की वसूली की, जो उनकी संपत्तियों के वसूली मूल्य से 193 प्रतिशत अधिक है।’’
समीक्षा में कहा गया है कि आईबीसी को 2016 में लागू किया गया था। उस समय से सितंबर, 2020 तक 18,892 आवेदनों में से 5.15 लाख करोड़ रुपये की चूक के 14,884 मामलों को न्याय निर्णय की प्रक्रिया में जाने से पहले राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की विभिन्न पीठों से वापस ले लिया गया।
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