नई दिल्ली: 90 के दशक और उससे पहले तक महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के मुकाबले काफी सीमित थी। इसके कई कारण भी रहे हैं, लेकिन आज बदलती परिस्थिति और संसद के साथ देश की विधानसभाओं में उनके लिए 33 फीसदी सीटों का आवंटन इसी बात को दर्शाता है कि उनकी जागरुकता और हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है।
लेकिन, 2024 में होने जा रहे आम चुनाव में ये नया नियम लागू न होकर साल 2029 से पूर्ण रूप से लागू होगा। ये बताने का सीधा सा संदेश ये है कि महिलाओं की हिस्सादारी भारतवर्ष में दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। दूसरी तरफ 2011 जनगणना आंकड़ों की मानें तो 121 करोड़ की कुल जनसंख्या में 623.7 मिलियन पुरुष (51.54 फीसदी) और 586.46 मिलियन (48.46 फीसदी) महिलाएं हैं। वहीं, साक्षरता दर भी बढ़ी हैं, जिसमें पुरुष 82.10 फीसदी और महिलाएं इस दर में 65.46 फीसदी रहीं।
अब बात आती है कि देश के किन शहरों में महिलाओं की बढ़ती संख्या कहा सबसे ज्यादा है, तो आइए एक-एक कर जानते हैं कि कौन सा प्रदेश और उसका शहर इस सूची में कहां पर है। इसमें सबसे पहला स्थान तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई का आता है, जहां महिलाओं की संख्या 78 लाख है। फिर महाराष्ट्र के शहर पुणे का नाम आता है, जहां महिलाओं की आबादी 69.4 लाख उपस्थित है।
इस क्रम में आईटी हब कर्नाटक के शहर बेंगलुरु में इनकी मौजूदगी 64.4 लाख है और तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में महिलाएं 62.4 लाख है, जबकि महाराष्ट्र के एक दूसरा शहर और भारत की आर्थिक राजधानी वाली मुंबई में यह संख्या 61.1 लाख तक है। दूसरी ओर गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में 58.6 लाख महिलाओं की संख्या है।
फिर, विजाग में 56.1 लाख, पश्चिम बंगाल की राजधानी में 54.8 लाख, तमिलनाडु का शहर कोयंबटूर में 51.1 लाख और आखिर में एक और तमिलनाडु का शहर मदुरै में भी 49.3 लाख महिलाएं की जनसंख्या मौजूद है।