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जनवरी में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 7.59 प्रतिशत, खाने-पीने का सामान महंगा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: February 12, 2020 19:06 IST

पिछले साल जनवरी महीने में यह 1.97 प्रतिशत रही थी। खुदरा मुद्रास्फीति में यदि खाद्य मुद्रास्फीति की बात की जाये तो जनवरी 2020 में यह 13.63 प्रतिशत रही जबकि एक साल पहले जनवरी 2019 में इसमें 2.24 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी।

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ठळक मुद्देयह दिसंबर 2019 के 14.19 प्रतिशत के मुकाबले कम हुई है। रिजर्व बैंक ने इस महीने मौद्रिक नीति समीक्षा में ऊंची मुद्रास्फीति का हवाला देते हुए प्रमुख नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया।

खाने-पीने का सामान महंगा होने से जनवरी में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 7.59 प्रतिशत पर पहुंच गयी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर 2019 में 7.35 प्रतिशत रही थी।

वहीं पिछले साल जनवरी महीने में यह 1.97 प्रतिशत रही थी। खुदरा मुद्रास्फीति में यदि खाद्य मुद्रास्फीति की बात की जाये तो जनवरी 2020 में यह 13.63 प्रतिशत रही जबकि एक साल पहले जनवरी 2019 में इसमें 2.24 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी।

हालांकि, यह दिसंबर 2019 के 14.19 प्रतिशत के मुकाबले कम हुई है। रिजर्व बैंक ने इस महीने मौद्रिक नीति समीक्षा में ऊंची मुद्रास्फीति का हवाला देते हुए प्रमुख नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया।

विनिर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन से दिसंबर में औद्योगिक उत्पादन 0.3 प्रतिशत घटा

देश का औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) दिसंबर, 2019 में 0.3 प्रतिशत घट गया। विनिर्माण क्षेत्र का प्रदर्शन खराब रहने से औद्योगिक उत्पादन में गिरावट आई है। दिसंबर, 2018 में औद्योगिक उत्पादन में 2.5 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार दिसंबर में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 1.2 प्रतिशत घट गया। '

एक साल पहले इसी महीने में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 2.9 प्रतिशत बढ़ा था। इसी तरह दिसंबर, 2019 में बिजली उत्पादन में भी 0.1 प्रतिशत की गिरावट आई। एक साल पहले समान महीने में यह 4.5 प्रतिशत बढ़ा था। हालांकि, खनन क्षेत्र का उत्पादन 5.4 प्रतिशत बढ़ गया, जो दिसंबर, 2018 में यह एक प्रतिशत घटा था। चालू वित्त वर्ष के पहले नौ माह (अप्रैल-दिसंबर) के दौरान औद्योगिक उत्पादन 0.5 प्रतिशत घट गया है। इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 4.7 प्रतिशत बढ़ा था।

रबी अनाज उत्पादन 4.5 प्रतिशत बढ़कर 13.42 करोड़ टन होने का अनुमान: रिपोर्ट

उत्तर पूर्वी मानसून (अक्टूबर से दिसंबर) में सामान्य से अधिक बरसात के बाद मिट्टी की बेहतर नमी वाली स्थिति के चलते वर्ष 2019-20 में रबी फसल उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में 4.52 प्रतिशत बढ़कर 13 करोड़ 42 लाख टन होने का अनुमान है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

नेशनल बल्क हैंडलिंग कॉर्पोरेशन (एनबीएचसी) के रबी फसल अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2018-19 में कुल रबी अनाज उत्पादन 12 करोड़ 84 लाख टन रहा था। इस दौरान गेहूं का रकबा 12.03 प्रतिशत बढ़कर 3.34 करोड़ लाख हेक्टेयर तथा उत्पादन 9.01 प्रतिशत बढ़कर 11 करोड़ 14 लाख टन होने का अनुमान है। हालांकि, रबी धान का रकबा 23.24 प्रतिशत घटकर 26.1 लाख हेक्टेयर रहने की संभावना है जो पिछले साल 34 लाख हेक्टेयर था।

दाल और गेहूं पर ध्यान केंद्रित करने से धान उत्पादन 27.96 प्रतिशत घटकर 1.03 करोड़ टन रहने की संभावना है। इससे पिछले वर्ष रबी मौसम में धान उत्पादन 1.43 करोड़ टन रहा था। वर्ष 2019-20 में मोटे अनाज का कुल उत्पादन 4.92 प्रतिशत बढ़कर 1.25 लाख टन हो जाने का अनुमान है। ज्वार (24.3 लाख टन), मक्का (82.8 लाख टन) और जौ (18.3 लाख टन) के उत्पादन में वृद्धि की संभावना है। कुल मिलाकर, दलहन रकबा पिछले साल के 1.56 करोड़ हेक्टेयर से 1.86 प्रतिशत बढ़कर 1.59 करोड़ हेक्टेयर होने का अनुमान है।

हालांकि, दलहन उत्पादन 2.47 प्रतिशत घटकर एक करोड़ 52 लाख टन रहने की उम्मीद है। जबकि चना खेती का रकबा और उत्पादन क्रमशः 10.14 प्रतिशत (एक करोड़ 60 लाख हेक्टेयर) और 7.90 प्रतिशत (एक करोड़ 90 लाख टन) बढ़ने का अनुमान है। हालांकि, कुल तिलहन खेती रकबा 0.87 प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ 79.7 लाख हेक्टेयर और उत्पादन पिछले साल के एक करोड़ 10 लाख टन से 7.39 प्रतिशत घटकर एक करोड़ 02 लाख टन रहने की उम्मीद है।

सरसों खेती का रकबा 0.29 प्रतिशत घटकर 69.2 लाख हेक्टेयर रहने का अनुमान है और उत्पादन पिछले साल के 93.4 लाख टन से 6.92 प्रतिशत घटकर 86.9 लाख टन रहने का अनुमान है। मूंगफली और सूरजमुखी का उत्पादन घटकर क्रमश: 8.87 प्रतिशत (11.2 लाख टन) और 39.24 प्रतिशत (80 हजार टन) रहने का अनुमान है। 

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