एयर इंडिया की नीलामी में बोली लगाने की अंतिम तारीख दो महीने बढ़ाकर की गई 30 जून

By सुमित राय | Published: April 28, 2020 05:39 PM2020-04-28T17:39:43+5:302020-04-28T18:17:01+5:30

एयर इंडिया की नीलामी में बोली लगाने की अंतिम तारीख को सरकार ने दो महीने बढ़ाकर की 30 जून कर दी है।

Government extends deadline to submit bids for Air India sale till June 30 | एयर इंडिया की नीलामी में बोली लगाने की अंतिम तारीख दो महीने बढ़ाकर की गई 30 जून

एयर इंडिया की नीलामी में बोली लगाने की अंतिम तारीख दो महीने बढ़ाकर 30 जून की गई। (फाइल फोटो)

Highlightsसरकार ने एयर इंडिया की नीलामी में बोली लगाने की अंतिम तारीख 30 जून कर दी गई है।यह दूसरी बार है जब बोली लगाने की तारीख आगे बढ़ाई गई है।सरकार ने घाटे में एयर इंडिया में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए 27 जनवरी को ज्ञापन जारी किया था।

कर्ज में दबी एयर इंडिया की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए सरकार ने नीलामी में बोली लगाने की अंतिम तारीख दो महीने बढ़ाकर की 30 जून कर दी है। बताया जा रहा है कि यह फैसला कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण वैश्विक स्तर पर आर्थिक गतिविधियों पर लगे ब्रेक के कारण लिया गया है।

यह दूसरी बार है जब बोली लगाने की तारीख आगे बढ़ाई गई है। सरकार ने घाटे में चल रही एयर इंडिया में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए 27 जनवरी को आरंभिक सूचना ज्ञापन जारी किया था और 17 मार्च तक बोलियां मांगी थी। लेकिन फिर इसे बढ़ाकर 30 अप्रैल कर दिया गया।

एयर इंडिया को बेचने की दूसरी कोशिश

एयर इंडिया को बेचने की 2 साल में यह दूसरी कोशिश है। 2018 में भी सरकार ने कंपनी के 76% शेयर बेचने के लिए बोलियां मांगी थी, लेकिन कई खरीदार नहीं मिला। इसलिए इस बार शर्तों में ढील दी गई है। 2018 में सरकार मैनेजमेंट कंट्रोल अपने पास रखना चाहती थी।

नई शर्तों के मुताबिक खरीदार को एयर इंडिया के सिर्फ 23,286.5 करोड़ रुपए के कर्ज की जिम्मेदारी लेनी होगी। एयरलाइन पर कुल 60,000 करोड़ रुपए का कर्ज है। यानी करीब 37,000 करोड़ रुपए के कर्ज का भार सरकार खुद उठाएगी। सफल खरीदार को एयर इंडिया का मैनेजमेंट कंट्रोल भी सौंप दिया जाएगा।

1932 में टाटा ग्रुप ने की थी शुरुआत

बता दें कि एयर इंडिया की शुरुआत साल 1932 में टाटा ग्रुप ने की थी, तब इसका नाम टाटा एयरलाइन था। 15 अक्टूबर 1932 को जेआरडी टाटा ने कराची से मुंबई की फ्लाइट खुद उड़ाई थी। 1946 में इसका नाम बदलकर एअर इंडिया हुआ था और आजादी के बाद साल 1953 में इसका राष्ट्रीयकरण हुआ।

इसी की एक सहयोगी कंपनी वायुदूत शुरू हुई थी जो रीजनल फीडर कनेक्टिविटी देती थी। लेकिन यह कंपनी में बहुत घाटे में चली गई। साल 1993 में वायुदूत का इंडियन एयरलाइन्स में मर्जर हो गया। जिससे पूरे समूह का कर्ज बढ़ गया। इसके बाद यह ग्रुप कर्ज के बोझ से नहीं उभर सका। 2007 में एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइन्स के मर्जर से संकट और गहरा गया।

Web Title: Government extends deadline to submit bids for Air India sale till June 30

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