Government Banking Sector: बैंकों तक सबकी पहुंच आसान हो, सरकार ने बैंकिंग क्षेत्र के लिए दिशानिर्देश जारी किया, पढ़ें गाइडलाइन

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 21, 2024 05:59 PM2024-03-21T17:59:29+5:302024-03-21T18:00:46+5:30

Government Banking Sector: उद्देश्य एक ऐसा वातावरण बनाना है जो बैंकों के भीतर विविध क्षमताओं वाले व्यक्तियों का स्वागत और समायोजन कर सके।

Government Banking Sector Everyone should easy access to banks government issued guidelines read | Government Banking Sector: बैंकों तक सबकी पहुंच आसान हो, सरकार ने बैंकिंग क्षेत्र के लिए दिशानिर्देश जारी किया, पढ़ें गाइडलाइन

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Highlightsडिजिटल मंच और प्रशिक्षण पहल के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है। 20 अप्रैल तक प्रतिक्रिया और सुझाव आमंत्रित किए हैं।उपयोगकर्ताओं के लिए सुलभ बनाने के लिए तैयार किया किया जाना चाहिए।

Government Banking Sector: सरकार ने बैंकिंग क्षेत्र तक पहुंच को सुगम करने से संबंधित दिशानिर्देशों के मसौदे पर लोगों से टिप्पणियां एवं सुझाव आमंत्रित किए हैं ताकि बैंकिंग सेवाओं को दिव्यांगों समेत सभी लोगों के लिए सुलभ बनाया जा सके। दिव्यांग सशक्तीकरण विभाग के नियमों के मसौदे में बैंकिंग क्षेत्र के भीतर भौतिक बुनियादी ढांचे, स्वचालित मशीनों, डिजिटल मंच और प्रशिक्षण पहल के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है। इन दिशानिर्देशों में कहा गया है कि इसका उद्देश्य एक ऐसा वातावरण बनाना है जो बैंकों के भीतर विविध क्षमताओं वाले व्यक्तियों का स्वागत और समायोजन कर सके।

इसके मुताबिक, बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी जानकारी या सेवा काउंटर सभी उपयोगकर्ताओं के लिए सुलभ हों। इसमें व्हीलचेयर उपयोगकर्ताओं, छोटे कद के व्यक्तियों और देखने-सुनने में अक्षम लोगों के लिए प्रावधान शामिल हैं। दिशानिर्देशों में एटीएम और स्वयं-सहायता मशीनों के लिए पहुंच प्रावधानों का विस्तृत विवरण दिया गया है।

इसके अलावा बैंकिंग वेबसाइट और डिजिटल दस्तावेज़ों को विकलांग उपयोगकर्ताओं के लिए सुलभ बनाने के लिए तैयार किया किया जाना चाहिए। सरकार ने आम जनता और हितधारकों से प्रस्तावित दिशानिर्देशों पर 20 अप्रैल तक प्रतिक्रिया और सुझाव आमंत्रित किए हैं।

बैंकों को इरादतन चूककर्ता घोषित करते समय तर्कसंगत आदेश देना चाहिए: बंबई उच्च न्यायालय

बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मुख्य परिपत्र के तहत किसी संस्था या व्यक्ति को इरादतन चूककर्ता घोषित करने से पहले तर्कसंगत आदेश पारित करना चाहिए। न्यायमूर्ति बी पी कोलाबावाला और न्यायमूर्ति सोमशेखर सुंदरेसन की खंडपीठ ने चार मार्च को अपने आदेश में कहा कि इरादतन चूककर्ताओं को वित्तीय क्षेत्र तक पहुंच से बहिष्कृत कर दिया जाता है और इसलिए परिपत्र के तहत बैंकों को दिए गए विवेक का उपयोग आरबीआई के नियमों के अनुसार सावधानी के साथ किया जाना चाहिए।

उच्च न्यायालय ने कहा, “जो बैंक और वित्तीय संस्थान इरादतन चूक की घटना की घोषणा करने के लिए मुख्य परिपत्र लागू करना चाहते हैं, उन्हें अपनी पहचान समिति और समीक्षा समिति द्वारा पारित तर्कसंगत आदेशों को साझा करना होगा।” पीठ आईएलएंडएफएस फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (आईएफआईएन) के पूर्व संयुक्त प्रबंध निदेशक मिलिंद पटेल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

इस याचिका में फरवरी, 2023 में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें कंपनी और उसके प्रवर्तकों को आरबीआई द्वारा जारी 2015 के मुख्य परिपत्र के तहत इरादतन चूककर्ता घोषित किया गया था। आरबीआई का परिपत्र बैंकों/वित्तीय संस्थानों को तिमाही आधार पर इरादतन चूककर्ताओं का आंकड़ा जमा करने के लिए कहता है। यह आंकड़ा भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) को भी भेजा जाता है। 

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