सरकार ने कामत को नवगठित विकास वित्त संस्थान का चेयरपर्सन नियुक्त किया
By भाषा | Updated: October 27, 2021 21:21 IST2021-10-27T21:21:45+5:302021-10-27T21:21:45+5:30

सरकार ने कामत को नवगठित विकास वित्त संस्थान का चेयरपर्सन नियुक्त किया
नयी दिल्ली, 27 अक्टूबर सरकार ने बैंकिंग क्षेत्र के दिग्गज के वी कामत को नवगठित 20,000 करोड़ रुपये राष्ट्रीय वित्तीय अवसंरचना एवं विकास बैंक (एनएबीएफआईडी) का चेयरपर्सन नियुक्त किया है। इससे कोष के संकट से जूझ रहे बुनियादी ढांचा क्षेत्र को निवेश उपलब्ध कराया जा सकेगा।
संसद ने इस साल मार्च में राष्ट्रीय वित्तीय अवसंरचना एवं विकास बैंक विधेयक, 2021 को मंजूरी दी थी। यह बैंक भारत में दीर्घावधि बुनियादी ढांचा वित्त पोषण को समर्थन देगा। इसमें बुनियादी ढांचा वित्तपोषण के लिए आवश्यक बांड और डेरिवेटिव्स बाजार का विकास शामिल है।
वित्त मंत्रालय के तहत वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) ने बुधवार को ट्वीट किया, ‘‘आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए नया रुख। केंद्र सरकार ने के वी कामत को एनएबीएफआईडी का चेयरपर्सन नियुक्त किया है। यह देश का नवगठित विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) है।’’
कामत ब्रिक्स समूह (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) द्वारा स्थापित नवविकास बैंक (एनडीबी) के पहले प्रमुख थे। उनका पांच साल का कार्यकाल पिछले वर्ष ही पूरा हुआ है। 73 वर्षीय कामत को दोस्तों के बीच केवी के नाम से जाना जाता है। उनके करियर की शुरुआत 1971 पूर्ववर्ती विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) आईसीआईसीआई के साथ हुई थी।
वर्ष 2008 में जब आईसीआईसीआई बैंक संकट में आया था, उस समय कामत ने ही बैंक के पुनरुद्धार की अगुवाई की थी।
वह अप्रैल, 2009 में बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। उसके बाद वह बैंक के गैर-कार्यकारी चेयरमैन बने थे।
कामत सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी इन्फोसिस के निदेशक मंडल में भी गैर-कार्यकारी चेयरमैन रह चुके हैं। डीएफआई की स्थापना बुनियादी ढांचा वित्तपोषण के लिए दीर्घावधि, निचले मार्जिन और जोखिम वाली प्रकृति की वजह से होने वाली विफलता से निपटने को की गई है।
ऐसे में डीएफआई का विकास के अलावा वित्तीय उद्देश्य भी है। शुरुआत में इस संस्थान पर सरकार का शतप्रतिशत स्वामित्व होगा।
यह राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा पाइपलाइन (एनआईपी) के तहत 7,000 बुनियादी ढांचा परियोजनाएं के वित्तपोषण में मदद करेगा।
डीएफआई नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग), केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) तथा केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के दायरे से बाहर होगा।
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