लाइव न्यूज़ :

गोपीनाथ ने बताया, नोटबंदी से 2016 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में दो प्रतिशत कम हुई आर्थिक वृद्धि दर

By भाषा | Updated: December 19, 2018 04:13 IST

देश में दो साल पहले की गयी नोटबंदी से 2016 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर में दो प्रतिशत का नुकसान हुआ था।

Open in App

 देश में दो साल पहले की गयी नोटबंदी से 2016 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर में दो प्रतिशत का नुकसान हुआ था। एक शोधपत्र में इसका खुलासा किया गया है। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ इस शोधपत्र की सह-लेखिका हैं।

सरकार ने आठ नवंबर 2016 को 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोट को बंद करने की घोषणा की थी। इससे तत्कालीन समय में परिचालन की 86 प्रतिशत मुद्राएं एक झटके में परिचालन से बाहर हो गयी थीं। इसके बाद देश में लंबे समय तक नकदी संकट का सामना करना पड़ा था। गोपीनाथ अगले महीने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की मुख्य अर्थशास्त्री का पदभार संभालने वाली हैं।

‘नकदी एवं अर्थव्यवस्था: भारत की नोटबंदी से प्राप्त सबूत’ नामक शोधपत्र में कहा गया, ‘‘हमारे परिणाम से पता चलता है कि नोटबंदी की घोषणा वाली तिमाही में आर्थिक गतिविधियों की वृद्धि दर कम से कम दो प्रतिशत कम हुई।’’ 

अमेरिका स्थित राष्ट्रीय आर्थिक शोध ब्यूरो ने इस शोधपत्र को प्रकाशित किया है। हॉवर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ग्रैब्रिएल कोडोरो-रीच इसके मुख्य लेखक हैं। सह लेखकों में रिजर्व बैंक की रणनीतिक शोध इकाई की अगुआई कर चुकी अर्थशास्त्री प्राची मिश्रा और रिजर्व बैंक के शोध प्रबंधक अथिनव नारायणन भी शामिल हैं।

शोधपत्र में कहा गया कि नोटबंदी से रात्रि के दौरान की आर्थिक गतिविधियों में भी गिरावट आयी और 2016 में नवंबर-दिसंबर महीने के दौरान रोजगार सृजन में तीन प्रतिशत से अधिक की गिरावट आयी।

उल्लेखनीय है कि नोटबंदी की घोषणा वाली तिमाही यानी वित्त वर्ष 2016-17 की तीसरी तिमाही में देश की जीडीपी वृद्धि दर सात प्रतिशत रही थी जो चौथी तिमाही में और कम होकर 6.1 प्रतिशत पर आ गयी थी। वित्त वर्ष 2017-18 में देश की आर्थिक वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रही थी। नोटबंदी से पहले की छह तिमाहियों में औसत आर्थिक वृद्धि दर करीब आठ प्रतिशत रही थी। हालांकि नोटबंदी के बाद की सात तिमाहियों में यह औसत करीब 6.8 प्रतिशत पर आ गयी।

शोधपत्र में कहा गया कि आधुनिक भारत में आर्थिक गतिविधियों में नकदी अभी भी काफी महत्वपूर्ण बना हुआ है। इसमें कहा गया कि कर संग्रह में सुधार, नकदी के बजाय बचत के लिये वित्तीय तरीकों को अपनाने तथा बिना नकदी के भुगतान आदि मामले में नोटबंदी से दीर्घकालिक फायदे भी हो सकते हैं।

टॅग्स :नोटबंदीबिज़नेस
Open in App

संबंधित खबरें

कारोबारRupee vs Dollar: अब तक के सबसे निचले स्तर पर रुपया, डॉलर के मुकाबले 28 पैसे टूटा; जानें कैसे उठेगा

कारोबारकागज उद्योग को सरकार की सपोर्ट की सख्त जरूरत, आईपीएमए

कारोबारDollar vs Rupee: डॉलर के सामने पस्त हुआ रुपया, 90.02 प्रति डॉलर के साथ सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंचा भारतीय रुपया

कारोबारRupee vs Dollar: कमजोर रुपया 32 पैसे टूटकर 89.85 प्रति डॉलर पर पहुंचा, कैसे उठेगा?

कारोबारM-Cap: सेंसेक्स की टॉप 10 कंपनियों में से 7 को जबरदस्त फायदा, 96,201 करोड़ रुपये बढ़ा मार्केट कैप

कारोबार अधिक खबरें

कारोबार500 किमी तक की उड़ान के लिए किराया 7,500, 500-1,000 किमी के लिए टिकट की कीमत 12,000 रुपये तय, जानें रेट लिस्ट

कारोबारIndiGo Crisis: 7 दिसंबर रात 8 बजे तक सभी यात्रियों को तत्काल पैसा वापस करो?, मोदी सरकार ने दिया आदेश, छूटे हुए सभी सामान अगले 48 घंटों के भीतर पहुंचाओ

कारोबारIndiGo Crisis: 1000 से अधिक विमान कैंसिल?, रेलवे ने यात्रियों को दी बड़ी राहत, कई स्पेशल ट्रेनों को दिखाई हरी झंडी, जानिए टाइम टेबल

कारोबारईपीसी क्षेत्रः 2030 तक 2.5 करोड़ से अधिक नौकरी?, 2020 के बाद से भर्ती मांग में 51 प्रतिशत की वृद्धि

कारोबारIndiGo Crisis: हवाई किराए मनमानी पर सख्ती, केंद्र सरकार का एक्शन, सभी रूट पर कैप?