लगातार सातवें महीने एफपीआई की निकासी जारी, अप्रैल में शेयरों से 17,144 करोड़ रुपये निकाले

By भाषा | Published: May 1, 2022 11:51 AM2022-05-01T11:51:05+5:302022-05-01T11:53:05+5:30

ट्रेडस्मार्ट के चेयरमैन विजय सिंघानिया के अनुसार अप्रैल में एफपीआई के शेयर बाजारों से बाहर निकलने की बड़ी वजह मुद्रास्फीति की ऊंची दर है।

FPI withdrawals continue for the seventh consecutive month, withdrew Rs 17,144 crore from shares in April | लगातार सातवें महीने एफपीआई की निकासी जारी, अप्रैल में शेयरों से 17,144 करोड़ रुपये निकाले

लगातार सातवें महीने एफपीआई की निकासी जारी (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का भारतीय बाजारों से निकासी का सिलसिला अप्रैल में लगातार सातवें महीने जारी रहा। अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा आक्रामक तरीके से ब्याज दरों में वृद्धि की आशंका के बीच एफपीआई ने अप्रैल में भारतीय शेयर बाजारों से 17,144 करोड़ रुपये निकाले हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस अलावा निकट भविष्य में धारणा में उतार-चढ़ाव कायम रहेगा।

वैश्विक स्तर पर आक्रामक दरों से ब्याज दरों में बढ़ोतरी तथा कच्चे तेल की ऊंची कीमतों की वजह से धारणा प्रभावित रहेगी। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक सात महीनों यानी अप्रैल तक शुद्ध बिकवाल रहे हैं और उन्होंने शेयरों से 1.65 लाख करोड़ रुपये की भारी राशि निकाली है। इसकी प्रमुख वजह अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में आक्रामक तरीके से वृद्धि की आशंका और यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पैदा हुआ भू-राजनीतिक संकट है।

लगातार छह महीने की बिकवाली के बाद अप्रैल के पहले सप्ताह में एफपीआई शुद्ध लिवाल रहे थे और उन्होंने 7,707 करोड़ रुपये का निवेश किया था। लेकिन उसके बाद कम कारोबारी सत्रों वाले सप्ताह यानी 11 से 13 अप्रैल के दौरान उन्होंने फिर बिकवाली की। उसके बाद के हफ्तों में भी उनका बिकवाली का सिलसिला जारी रहा। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में एफपीआई ने भारतीय बाजारों से 17,144 करोड़ रुपये निकाले हैं।

हालांकि, यह मार्च के 41,123 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी के आंकड़े से कम है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पावेल ने मई में ब्याज दरों में आधा प्रतिशत की वृद्धि का संकेत दिया है। यह एक प्रमुख वजह है कि एफपीआई भारतीय बाजारों से निकासी कर रहे हैं। कोटक सिक्योरिटीज के प्रमुख-इक्विटी शोध (खुदरा) श्रीकांत चौहान ने कहा, ‘‘एफपीआई अप्रैल में शुद्ध बिकवाल बने रहे। इसकी प्रमुख वजह फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में आक्रामक तरीके से बढ़ोतरी की आशंका है।’’

मॉर्निंगस्टार इंडिया में एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में आक्रामक बढ़ोतरी की आशंका ने निवेशकों की धारणा को प्रभावित किया है। इसकी वजह से निवेशक जोखिम लेने से बच रहे हैं और वे भारत जैसे उभरते बाजारों में निवेश को लेकर ‘देखो और इंतजार करो’ की नीति अपना रहे हैं।

ट्रेडस्मार्ट के चेयरमैन विजय सिंघानिया के मुताबिक, अप्रैल में एफपीआई के शेयर बाजारों से बाहर निकलने की बड़ी वजह मुद्रास्फीति की ऊंची दर है। समीक्षाधीन अवधि में शेयरों के अलावा एफपीआई ने ऋण या बांड बाजार से भी शुद्ध रूप से 4,439 करोड़ रुपये की निकासी की है। अप्रैल में एफपीआई ने भारत के अलावा ताइवान, दक्षिण कोरिया और फिलिपीन जैसे उभरते बाजारों से भी निकासी की है।

Web Title: FPI withdrawals continue for the seventh consecutive month, withdrew Rs 17,144 crore from shares in April

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