नियमनों को सुसंगत बनाने, अनुपालन बोझ कम करने के लिए आरआरए का गठन किया
By भाषा | Published: April 15, 2021 08:15 PM2021-04-15T20:15:18+5:302021-04-15T20:15:18+5:30
मुंबई, 15 अप्रैल भारतीय रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को दूसरे नियामकीय समीक्षा प्राधिकरण (आरआरए 2.0) का गठन किया। आरआरए के गठन का उद्देश्य नियमनों को सुसंगत बनाना और नियमन वाली इकाइयों के अनुपालन बोझ को कम करना है।
केंद्रीय बैंक ने बयान में कहा कि रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव को नियमन समीक्षा प्राधिकरण प्रमुख नियुक्त किया गया है। रिजर्व बैंक ने शुरुआत में एक अप्रैल, 1999 को एक साल के लिए आरआरए का गठन किया था। आरआरए का गठन नियमन, सर्कुलर, रिपोर्टिंग प्रणाली की समीक्षा के लिये किया गया था। इसके लिए आम लोगों, बैंकों और वित्तीय संस्थानों से विचार लिए गए थे।
आरआरए की सिफारिशों से कई प्रक्रियाओं को सुसंगत तथा अधिक दक्ष बनाने में मदद मिलती है। साथ ही इससे नियामकीय सुझावों को सुगम करने और मास्टर सर्कुलर जारी करने का रास्ता साफ होता है। आरआरए नियमन वाली इकाइयों के रिपोर्टिंग बोझ को भी कम करने में मददगार होता है।
बयान में कहा गया है, ‘‘पिछले दो दशक के दौरान रिजर्व बैंक के नियामकीय कामकाज के घटनाक्रमों के मद्देनजर यह प्रस्ताव किया गया है कि केंद्रीय बैंक के नियमनों और अनुपालन प्रक्रियाओं की इसी तरह से फिर समीक्षा की जाए और उन्हें अधिक सुसंगत तथा प्रभावशाली बनाया जाए।’’
इसी के मद्देनजर एक मई, 2021 से एक साल के लिए आरआरए का गठन किया गया है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि आरआरए सभी नियमन वाली इकाइयों तथा अन्य अशंधारकों के साथ विचार-विमर्श करेगा।
बयान में कहा गया है कि आरआरए 2.0 नियामकीय निर्देशों को सुसंगत करेगा, प्रक्रियाओं के सरलीकरण के जरिये नियमन वाली इकाइयों के नियामकीय बोझ को कम करेगा। साथ ही इकाइयों के लिए जहां भी संभव होगा रिपोर्टिंग की जरूरत को कम करेगा।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।