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आर्थिक मोर्चे पर खराब होंगे हालात, फिच ने भारत के आर्थिक परिदृश्य को निगेटिव किया

By निखिल वर्मा | Updated: June 18, 2020 11:26 IST

फिच ने कहा कि दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं को सामान्य स्थिति में आने में काफी समय लगेगा।

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ठळक मुद्दे देश में कोरोना वायरस को रोकने के लिए 25 मार्च से लॉकडाउन लागू किया गया।लॉकडाउन की वजह से भारत में आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ गई थीं

रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने भारत के आर्थिक परिदृश्य को संशोधित करते हुए निगेटिव कर दिया है। इसके पहले फिच ने भारत के लिए स्टेबल आउटलुक की बात कही थी। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने आर्थिक वृद्धि के अनुमान को कमजोर किया। 

फिच रेटिंग्स की ओर से गुरुवार को जारी बयान में कहा कि भारत के लिए लंबी अवधि की इश्यूअर डिफॉल्ट रेटिंग (आईडीआर) को बीबीबी- (BBB-) पर बरकरार रखा है। 

इससे पहले 26 मई को फिच रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष (2020-21) में भारतीय अर्थव्यवस्था में पांच प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया था। फिच ने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से देश में सख्त लॉकडाउन नीति लागू की गई है। इससे आर्थिक गतिविधियों में जबर्दस्त गिरावट आई, जिसका सीधा असर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पर पड़ेगा। 

देश की आर्थिक वृद्धि दर 2019-20 में 4.2 प्रतिशत रही जो 11 साल का न्यूनतम स्तर है। एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग और फिच रेटिंग्स ने भारत की अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष में 5 प्रतिशत की गिरावट की आशंका जतायी है। वहीं मूडीज ने 4 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान जताया है।

हालांकि एस एंड पी का कहना है कि 2021-22 में आर्थिक वृद्धि दर में उछाल आएगा और यह 8.5 प्रतिशत रहेगी। वहीं फिच ने इसके 9.5 प्रतिशत तथा मूडीज ने 8.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। मूडीज ने इस माह की शुरूआत में भारत की साख एक पायदान कम करते हुए कहा था कि भारत के समक्ष लंबी अवधि तक धीमी वृद्धि का जोखिम है।  

टॅग्स :इकॉनोमीभारतीय अर्थव्यवस्थासकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)
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