बोरों के कम उत्पादन से जूट क्षेत्र को 1,500 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान

By भाषा | Updated: December 19, 2021 19:55 IST2021-12-19T19:55:14+5:302021-12-19T19:55:14+5:30

Estimated loss of Rs 1,500 crore to jute sector due to less production of sacks | बोरों के कम उत्पादन से जूट क्षेत्र को 1,500 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान

बोरों के कम उत्पादन से जूट क्षेत्र को 1,500 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान

कोलकाता, 19 दिसंबर मौजूदा सत्र में खाद्यान्न के भंडारण के लिए जूट से बनी बोरियों का जरूरी मात्रा में उत्पादन नहीं हो पाने से जूट क्षेत्र को करीब 1,500 करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ है।

जूट के प्रमुख उत्पादक राज्य पश्चिम बंगाल की सरकार और केंद्र के समर्थन के बावजूद जूट से बनी बोरियों की 4.81 लाख गांठें कम पड़ गईं। ऐसी स्थिति में भंडारण निकायों को प्लास्टिक बोरियों का भी इस्तेमाल करना पड़ गया। अनाज के भंडारण में मुख्यतः जूट से बने बोरों का ही इस्तेमाल होता है।

जूट उद्योग के एक सूत्र ने पीटीआई-भाषा से कहा, "नवंबर और दिसंबर में जुट मिलें अनाज भंडारण में इस्तेमाल होने वाले जूट बोरों की आपूर्ति ठीक तरह से नहीं कर पाईं। यह कमी बोरों की 4.8 लाख गांठों की रही। इससे जूट क्षेत्र को 1,500 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है।"

केंद्र की मोदी सरकार ने नवंबर में जूट सत्र 2021-22 में पैकेजिंग के लिए जूट से बने बोरों के इस्तेमाल को अनिवार्य करने वाले मानकों को मंजूरी दी थी। इन मानकों के मुताबिक, सारे खाद्यान्नों की पैकिंग जूट के बोरों में की जाएगी जबकि चीनी की 20 फीसदी पैकिंग इन बोरों में करना अनिवार्य होगा।

हालांकि तदर्थ सलाहकार समिति ने जूट के बोरों में खाद्यान्न के भंडारण संबंधी मानक को ढीला करने का सुझाव दिया था।

एक जूट मिल के मालिक ने कहा कि कच्चे जूट का बाजार भाव 7,200 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि जूट आयुक्त ने मिलों के लिए कच्चे माल के तौर पर जूट का भाव 6,500 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। इस कीमत अंतराल से मिलें जरूरी बोरों का उत्पादन नहीं कर सकीं।

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Web Title: Estimated loss of Rs 1,500 crore to jute sector due to less production of sacks

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