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दूरसंचार विभाग ने कंपनियों को आपस में बुनियादी ढांचा साझा करने के लिए नियमों में संशोधन किया

By भाषा | Updated: September 24, 2021 19:30 IST

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नयी दिल्ली, 24 सितंबर दूरसंचार विभाग द्वारा लाइसेंस नियमों में किए गए संशोधन के बाद अब दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियां कोर नेटवर्क सहित सक्रिय बुनियादी ढांचे को एक-दूसरे के साथ साझा कर पाएंगी।

इस कदम से रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के पूंजी और परिचालन व्यय में कमी आने की उम्मीद है।

दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने मोबाइल नेटवर्क के लिए बैकएंड कनेक्टिविटी प्रदान करने की खातिर उपग्रह संपर्क के इस्तेमाल को सक्षम करने के लिए वाणिज्यिक वीसैट लाइसेंस नियमों में भी बदलाव किया है।

लाइसेंस मानदंडों में जोड़े गए नये खंड के अनुसार, "लाइसेंसधारक लाइसेंसधारी द्वारा जारी किसी अन्य दूरसंचार लाइसेंस के तहत उसे अधिकृत अन्य सेवाएं प्रदान करने के लिए अपने स्वयं के सक्रिय और निष्क्रिय बुनियादी ढांचे को साझा कर सकता है।"

इससे पहले, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) को केवल मोबाइल टावर और नेटवर्क में कुछ सक्रिय इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जे आपस में साझा करने की मंजूरी थी।

उद्योग संगठन सीओएआई ने कहा कि दूरसंचार कंपनियों द्वारा नेटवर्क में सभी सक्रिय कलपुर्जों को साझा करने की मंजूरी देने के लिए लंबे समय से मांग की जा रही थी।

सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसियेशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के महानिदेशक एस पी कोचर ने कहा, "अब तक दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को केवल एंटीना, फीडर केबल, नोड बी और ट्रांसमिशन सिस्टम के संबंध में सक्रिय बुनियादी ढांचे को साझा करने की मंजूरी थी।"

उन्होंने कहा, "दूरसंचार प्रदाताओं के बीच एमएससी, एचएलआर, आईएन आदि जैसे कोर नेटवर्क तत्वों को साझा करने की मंजूरी से सेवा प्रदाताओं की लागत कम होगी और तेज सेवाएं देने में मदद मिलेगी। यह एक बहुत ही प्रगतिशील कदम है जो डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ाने में एक लंबा रास्ता तय करेगा।"

मोबाइल नेटवर्क के लिए बैकएंड कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए वीसैट टर्मिनलों के माध्यम से उपग्रह सेवा के इस्तेमाल की मंजूरी देने के लिए वाणिज्यिक वीसैट लाइसेंस में संशोधन से दुर्गम इलाकों और दूरदराज के क्षेत्रों में नेटवर्क सेवा को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

यह प्रावधान दूरसंचार कंपनियों की उन इलाकों में नेटवर्क शुरू करने में मदद करेगा जहां मोबाइल टावरों को जोड़ने के लिए ऑप्टिकल फाइबर केबल डालना मुश्किल होता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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