कोरोना वायरसः लोन के मुद्दे पर बैंकों को ग्राहकों से इंकार-पत्र लेकर आरबीआई में जमा कराने को पाबंद किया जाए!
By प्रदीप द्विवेदी | Published: June 17, 2020 03:44 PM2020-06-17T15:44:14+5:302020-06-17T15:44:14+5:30
ईएमआई को लेकर अभी भी उलझनें बनी हुई हैं, तो ऋण देने के मामले में भी बैंकों की दिखावटी सद्भावनाएं ही नजर आ रही हैं. लोन देने के मामले में बैंक आज भी पुराने ढर्रे पर ही हैं, यदि आपके कागज बैंक को संतुष्ट कर सकते हैं, मतलब- बैंक की नजर में आप पात्र हैं, तो आपको लोन मिल सकता है और यदि पात्र नहीं हैं तो आपको ऋण नहीं मिल सकता है.
जयपुरः अकाल के समय के साहुकारों के तौर-तरीकों से भी ज्यादा खराब कोरोना काल का बैंकिंग सिस्टम है. आरबीआई ने कोरोना संकट के मद्देनजर लोगों को राहत पहुंचाने के इरादे से बैंकों को कई तरह की छुट प्रदान की हैं, लेकिन इससे आमजन को कोई खास फायदा नहीं हुआ है.
ईएमआई को लेकर अभी भी उलझनें बनी हुई हैं, तो ऋण देने के मामले में भी बैंकों की दिखावटी सद्भावनाएं ही नजर आ रही हैं. लोन देने के मामले में बैंक आज भी पुराने ढर्रे पर ही हैं, यदि आपके कागज बैंक को संतुष्ट कर सकते हैं, मतलब- बैंक की नजर में आप पात्र हैं, तो आपको लोन मिल सकता है और यदि पात्र नहीं हैं तो आपको ऋण नहीं मिल सकता है.
इस वक्त हालत यह है कि पात्र लोग इस मंदी में लोन लेकर कोई रिस्क लेना नहीं चाहते हैं और बैंक की नजर में जो पात्र नहीं हैं, उन्हें लोन मिल नहीं सकता है, अर्थात- केन्द्र सरकार और आरबीआई की कोराना काल की राहत केवल कागजी बन कर रह गई है.
यदि केन्द्र सरकार वास्तव में लोगों को राहत देना चाहती है, तो बैंकों को इस बात के लिए पाबंद किया जाना चाहिए कि वह हर ग्राहक से संपर्क करे, उन्हें लोन ऑफर करे, जो व्यक्ति लोन लेना चाहता है, उसे लोन दे और यदि कोई व्यक्ति लोन नहीं लेना चाहता है तो उसका, इंकार-पत्र कि मुझे लोन नहीं चाहिए, प्राप्त करके बैंक आरबीआई में जमा करवाए. यदि बैंकों के सिस्टम में आवश्यक सुधार नहीं किया गया, तो कोरोना काल में लोगों को राहत देने की घोषणाएं, केवल कागजी घोषणाएं ही रह जाएंगी!