Coronavirus Lockdown: देशव्यापी बंद का होटल उद्योग पर विनाशकारी प्रभाव, सरकार से मांग रहे मदद
By भाषा | Updated: April 12, 2020 14:09 IST2020-04-12T14:09:55+5:302020-04-12T14:09:55+5:30
कोरोना वायरस की रोकथाम के लिये जारी ‘लॉकडाउन’ (बंद) से होटल क्षेत्र पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है और वे सरकार से क्षेत्र पर लगने वाले शुल्क से राहत समेत कुछ मदद की उम्मीद रखते हैं ताकि अपने कर्मचारियों का वेतन दे सके।

देशव्यापी बंद का होटल उद्योग पर विनाशकारी प्रभाव, सरकार से मांग रहे मदद
नयी दिल्ली, 12 अप्रैल (भाषा) कोरोना वायरस की रोकथाम के लिये जारी ‘लॉकडाउन’ (बंद) से होटल क्षेत्र पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है और वे सरकार से क्षेत्र पर लगने वाले शुल्क से राहत समेत कुछ मदद की उम्मीद रखते हैं ताकि अपने कर्मचारियों का वेतन दे सके। लेमन ट्री होटल्स के चेरमैन और प्रबंध निदेश्क पतंजलि जी केसवानी ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘देशव्यापी बंद से विनाशकारी प्रभाव पड़ा है। होटल ऐसा कारोबार है जो पूंजी गहन है और उसमें स्थिर लागत काफी ऊंची है।’’ उन्होंने कहा कि इसमें गहन पूंजी में मुख्य हिस्सा वित्तीय संस्थानों से लिया गया कर्ज है। और इस कर्ज पर ब्याज के साथ कर्ज अदायगी भी करनी होती है। यानी इस क्षेत्र पर स्थिर लागत में कई चीजें शमिल हैं जिसमें वेतन, सरकार को दिया जाना वाला शुल्क एवं अन्य स्थायी किस्म के खर्चे शामिल हैं।’’
केसवानी ने कहा, ‘‘फरवरी के अंत तक होटल उद्योग में उपलब्ध जगह के मुकाबले बुकिंग या उपयोग दर औसतन 65 से 70 प्रतिशत तक थी। मार्च के शुरूआती दिनों में चीजें बेहतर थी। लेकिन कोरोना वायरस महामारी के बाद बुकिंग न के बराबर रह गयी है।’’ उन्होंने कहा कि आने वाले समय में होटलों में उपलब्ध जगह के मुकबले बुकिंग कम रहने वाली है। इसीलिए होटलों को या तो बंद करना होगा या सीमित स्तर पर चलाना होगा।’’ सिग्नेट होटल एंड रिसार्ट के संस्थापक और प्रबंध निदेश्क सरबेन्द्र सरकार ने कहा, ‘‘देशव्यापी बंद से होटल उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है...हम कोई नई बुकिंग नहीं मिल रही और पहले की बुकिंग रद्द करायी जा रही हैं।’’
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक द्वारा कर्ज लौटाने में तीन महीने की मोहलत दिये जाने से कुछ राहत मिली है और उद्योग को उम्मीद है कि सरकार कुछ ऐसी योजनाएं लाएगी जिससे क्षेत्र को राहत मिलेगी। केसवानी ने भी कहा कि उद्योग सरकार से कोई प्रोत्साहन पैकेज नहीं मांग रहा बल्कि हम केवल इतना चाहते हैं कि वह हमें सरकारी शुल्कों में छूट समेत न्यूनतम समर्थन दे जिससे हम अपने कर्मचारियों को वेतन दे सकें।