आजादी के बाद भारत के सामने सबसे भीषण मंदी का संकट, क्रिसिल ने कहा-यह चौथी और उदारीकरण के बाद पहली मंदी है

By भाषा | Published: May 26, 2020 07:25 PM2020-05-26T19:25:33+5:302020-05-26T19:25:33+5:30

देश में कोरोना कहर जारी है। इस बीच क्रिसिल ने कहा कि देश में खराब अर्थव्यवस्था का दौर जारी है। यह अब तक की सबसे खराब मंदी है। इकोनॉमी में 5 प्रतिशत की गिरावट आने की संभावना है।

Coronavirus Delhi lockdown India faces the worst recession crisis, Crisil said - this is the fourth and first recession after liberalization | आजादी के बाद भारत के सामने सबसे भीषण मंदी का संकट, क्रिसिल ने कहा-यह चौथी और उदारीकरण के बाद पहली मंदी है

वास्तविक आधार पर करीब 10 प्रतिशत जीडीपी स्थायी तौर पर खत्म हो सकती है। (file photo)

Highlights‘लॉकडाउन’ (बंद) से अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष में 5 प्रतिशत की गिरावट आने की आशंका है।भारत के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के आकलन के बारे में कहा, ‘‘पहली तिमाही (अप्रैल से जून) में 25 प्रतिशत की बड़ी गिरवट की आंशका है।’’

नई दिल्लीः साख निर्धारण कंपनी क्रिसिल ने मंगलवार को कहा कि भारत अबतक की सबसे खराब मंदी की स्थिति का सामना कर रहा है। उसने कहा कि आजादी के बाद यह चौथी और उदारीकरण के बाद पहली मंदी है तथा यह संभवत: सबसे भीषण है।

रेटिंग एजेंसी के अनुसार कोरोना वायरस महामारी तथा उसकी रोकथाम के लिये जारी ‘लॉकडाउन’ (बंद) से अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष में 5 प्रतिशत की गिरावट आने की आशंका है। क्रिसिल ने भारत के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के आकलन के बारे में कहा, ‘‘पहली तिमाही (अप्रैल से जून) में 25 प्रतिशत की बड़ी गिरवट की आंशका है।’’

उसने कहा, ‘‘वास्तविक आधार पर करीब 10 प्रतिशत जीडीपी स्थायी तौर पर खत्म हो सकती है। ऐसे में हमने महामारी से पहले जो वृद्धि दर देखी है, अगले तीन वित्त वर्ष तक उसे देखना या हासिल करना मुश्किल होगा।’’ उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार पिछले 69 साल में देश में केवल तीन बार-वित्त वर्ष 1957-58, 1965-66 और 1979-80...में मंदी की स्थिति आयी है। इसके लिये हर बार कारण एक ही था और वह था मानसून का झटका जिससे खेती-बाड़ी पर असर पड़ा और फलस्वरूप अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा प्रभावित हुआ।

क्रिसिल ने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2020-21 में मंदी कुछ भिन्न है क्योंकि इस बार कृषि के मोर्चे पर राहत है और यह मानते हुए कि मानसून सामान्य रहेगा, यह झटके को कुछ मंद कर सकता है। प्रवृत्ति के अनुसार इसमें वृद्धि का अनुमान है। कोरोना वायरस महामारी ओर उसकी रोकथाम के लिये ‘लॉकडाउन’ से आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं। सबसे पहले 25 मार्च से देशव्यापी बंद की घोषणा की गयी। बाद में इसे तीन बार बढ़ाते हुए 31 मई तक कर दिया गया।

क्रिसिल के अनुसार, ‘‘चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही सर्वाधिक प्रभावित हुई। न केवल गैर कृषि कार्यों बल्कि शिक्षा, यात्रा और पर्यटन समेत अन्य सेवाओं के लिहाज से पहली तिमाही बदतर रहने की आशंका । इतना ही नहीं इसका प्रभाव आने वाली तिमाहियों पर भी दिखेगा। रोजगार और आय पर प्रतिकूल असर पड़ेगा क्योंकि इन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोगों को कामकाज मिला हुआ है।’’

उन राज्यों में भी आर्थिक गतिविधियां लंबे समय तक प्रभावित रह सकती हैं जहां कोविड-19 के मामले ज्यादा हैं और उससे निपटने के लिये लंबे समय तक बंद जारी रखा जा सकता है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि इन सबका असर आर्थिक आंकड़ों पर दिखने लगा है और यह शुरूआती आशंका से कहीं अधिक है। मार्च में औद्योगिक उत्पादन में 16 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आयी, अप्रैल में निर्यात में 60.3 प्रतिशत की गिरावट आयी और नये दूरसंचार ग्राहकों की संख्या 35 प्रतिशत कम हुई है।

इतना ही नहीं रेल के जरिये माल ढुलाई में सालाना आधार पर 35 प्रतिशत की गिरावट आयी है। देश में अबतक 68 दिन का ‘लॉकडाउन’ हो चुका है। एस एंड पी ग्लाोबल के अनुसार एक महीने के ‘लॉकडाउन’ से पूरे एशिया प्रशांत क्षेत्र में सालाना जीडीपी में औसतन 3 प्रतिशत की कमी आने का अनुमान है।, चूंकि भारत में एशिया के अन्य देशों की तुलना में बंद की स्थिति अधिक कड़ी है, ऐसे में आर्थिक वृद्धि पर प्रभाव अधिक व्यापक होगा। एस एंड पी ग्लोबल की अनुषंगी क्रिसिल का अनुमान है कि भारत की जीडीपी वृद्धि दर में 2020-21 में 5 प्रतिशत की गिरावट आएगी।

क्रिसिल के अनुसार इससे पहले 28 अप्रैल को हमने वृद्धि दर के अनुमान को 3.5 प्रतिशत से कम कर 1.8 प्रतिशत किया था। उसके बाद से स्थिति और खराब हुई है। हमारा अनुमान है कि गैर-कृषि जीडीपी में 6 प्रतिशत की गिरावट आगी। हालांकि कृषि से कुछ राहत मिलने की उम्मीद है और इसमें 2.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है। सरकार के 20.9 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज बारे में क्रिसलि ने कहा कि इसमें अर्थव्यवस्था को राहत देने के लिये अल्पकालीन उपायों का अभाव है लेकिन कई महत्वपूर्ण सुधार किये गये हैं, जिनका असर मध्यम अवधि में देखने को मिल सकता है। 

Web Title: Coronavirus Delhi lockdown India faces the worst recession crisis, Crisil said - this is the fourth and first recession after liberalization

कारोबार से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे