कोरोना संकट: वैश्विक वित्तीय संकट 2008-09 के बाद एक बार फिर घरेलू कंपनियों के आत्मविश्वास में दिख रही कमी: फिक्की सर्वे

By भाषा | Updated: April 20, 2020 17:18 IST2020-04-20T17:17:24+5:302020-04-20T17:18:44+5:30

फिक्की ने कहा, ‘‘कुल मिलाकर व्यापार भरोसा सूचकांक चालू दौर में 42.9 रहा जबकि पिछले सर्वे में सूचकांक मूल्य 59 था।"

Corona Crisis: After the global financial crisis 2008-09, once again there is a lack of confidence of domestic companies: FICCI survey | कोरोना संकट: वैश्विक वित्तीय संकट 2008-09 के बाद एक बार फिर घरेलू कंपनियों के आत्मविश्वास में दिख रही कमी: फिक्की सर्वे

कोरोना संकट: वैश्विक वित्तीय संकट 2008-09 के बाद एक बार फिर घरेलू कंपनियों के आत्मविश्वास में दिख रही कमी: फिक्की सर्वे

Highlightsइससे पहले 2008-09 में वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान सूचकांक मूल्य 37.8 था।उद्योग मंडल ने कहा ककि मौजूदा स्थिति के साथ-साथ भविष्य को लेकर उम्मीद प्रभावित होने से सूचकांक मूल्य नीचे आया है।

नयी दिल्ली: उद्योग मंडल फिक्की ने कहा है कि घरेलू कंपनियों के आत्मविश्वास में वैश्विक वित्तीय संकट 2008-09 के बाद इस समय सबसे ज्यादा कमी आयी है। कोरोना वायरस महामारी के कारण कंपनियों का करोबार प्रभावित है। फिक्की के ‘ कारोबारी आत्मविश्वास सर्वे ’ के अनुसार सरकार के समय पर कदम उठाने से घरेलू अर्थव्यवस्था तेजी से सामान्य स्थिति में आएगी। उद्योग मंडल ने रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दर में 1 प्रतिशत की और कटौती की भी मांग की है। सर्वे के अनुसार कोरोना वायरस महामारी के कारण वैश्विक आथिक संभावना खराब हुई है।

भारत समेत कई देशों को महामारी को फैलने से रोकने के लिये कड़ाई से सामाजिक दूरी और ‘लॉकडाउन’ (बंद) का पालन करना पड़ा है। इसके कारण आर्थिक गतिविधियां ठप हुई हैं। फिक्की ने कहा, ‘‘कुल मिलाकर व्यापार भरोसा सूचकांक चालू दौर में 42.9 रहा जबकि पिछले सर्वे में सूचकांक मूल्य 59 था। इससे पहले 2008-09 में वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान सूचकांक मूल्य 37.8 था। उद्योग मंडल ने कहा ककि मौजूदा स्थिति के साथ-साथ भविष्य को लेकर उम्मीद प्रभावित होने से सूचकांक मूल्य नीचे आया है।

फिक्की ने कोरोना वायरस महामारी के बीच रोजगार बनाये रखने के लिये पूरे उद्योग खासकर सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों के लिये सब्सिडी, नीतिगत समर्थन, कर अवकाश और विशेष कोष के रूप में सरकार से वित्तीय पैकेज की मांग की। उद्योग मंडल ने कहा, ‘‘बैंकों में निर्णय लेने वालों के बीच एक भरोसा पैदा करने के लिये तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। साथ ही पूरी कर्ज प्रकिया को बेहतर और आसान बनाने के लिये प्रयास किये जाने चाहिए।’’ उसने यह भी कहा कि श्रम बाजार में सुधार समय की जरूरत है और इस दिशा में प्राथमिकता के साथ कदम उठाने की जरूरत है।

फिक्की ने यह भी सुझाव दिया कि रिजर्व बैंक को प्रत्यक्ष रूप से कॉरपोरेट बांड की खरीद करनी चहिए और प्रमुख नीतिगत दर (रेपो) में करीब एक प्रतिशत की और कटौती करनी चाहिए। सर्वे में करीब 190 कंपनियों से प्रतिक्रिया मिली। इन कंपनियों का कारोबार एक करोड़ रुपये से लेकर 98,800 करो़ड़ रुपये के बीच है और ये विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करती हैं। सर्वे में प्रतिभागियों से अप्रैल-सितंबर 2020 की अवधि के लिये उम्मीद के बारे में पूछा गया था। फिक्की ने कहा, ‘‘भारतीय अर्थव्यवस्था मांग, आपूर्ति और वित्तीय मध्यमों के जरिये तिहरे झटके का सामना कर रही है।’’

सर्वे में शामिल ज्यादातर कंपनियों ने संकेत दिया कि कोरोना वायरस माहमारी का उनके कारोबार पर प्रतिकूल असर पड़ा है। करीब 72 प्रतिश्त कंपनियों ने कहा कि उनका परिचालन कोरोना संकट से काफी प्रभावित हुआ है। उद्योग मंडल के अनुसार, ‘‘केवल 5 प्रतिश्त प्रतिभागियों ने कहा कि महामारी का उन पर असर नहीं हुआ है। जबकि 90 प्रतिशत कंपनियों ने कहा कि उनकी आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हुई हैं। फिक्की ने कहा कि कंपनियां अप्रैल-सितंबर 2020 की अवधि के लिये परिचालन को लेकर ज्यादा उम्मीद करके नहीं चल रही। 

Web Title: Corona Crisis: After the global financial crisis 2008-09, once again there is a lack of confidence of domestic companies: FICCI survey

कारोबार से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे