केन्द्र ने न्यायालय को बताया: सभी तरह के कर्ज पर ब्याज माफी से बैंकों पर छह लाख करोड़ का बोझ पड़ेगा

By भाषा | Updated: December 8, 2020 21:50 IST2020-12-08T21:50:35+5:302020-12-08T21:50:35+5:30

Center told the court: Banks will have to bear the burden of six lakh crores on interest waiver on all types of loans | केन्द्र ने न्यायालय को बताया: सभी तरह के कर्ज पर ब्याज माफी से बैंकों पर छह लाख करोड़ का बोझ पड़ेगा

केन्द्र ने न्यायालय को बताया: सभी तरह के कर्ज पर ब्याज माफी से बैंकों पर छह लाख करोड़ का बोझ पड़ेगा

नयी दिल्ली, आठ दिसंबर केन्द्र ने उच्चतम न्यायालय को मंगलवार को बताया कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर रिजर्व बैंक द्वारा छह महीने के लिये ऋण किस्तों के भुगतान पर स्थगन योजना के तहत सभी वर्गो को यदि ब्याज माफी का लाभ दिया जाता है तो इस मद पर छह लाख करोड़ रूपए से ज्यादा धनराशि छोड़नी पड़ सकती है।

केन्द्र ने कहा कि अगर बैकों को यह बोझ वहन करना होगा तो उन्हें अपनी कुल संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा गंवाना पड़ेगा जिससे अधिकांश कर्ज देने वाले बैंक संस्थान अलाभकारी स्थिति में पहुंच जायेंगे ओर इससे उनके अस्तित्व पर ही संकट खड़ा हो जायेगा।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ को केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने यह जानकारी दी और कहा कि इसी वजह से ब्याज माफी के बारे में सोचा भी नहीं गया और सिर्फ किस्त स्थगित करने का प्रावधान किया गया था।

शीर्ष अदालत कोविड-19 महामारी के मद्देनजर रिअल एस्टेट और ऊर्जा सेक्टर सहित विभिन्न संस्थाओं द्वारा राहत के लिये दायर याचिकाओं पर सुनवाई् कर रही है।

शीर्ष अदालत में दाखिल लिखित दलीलों को पढ़ते हुये मेहता ने कहा कि अगर सभी वर्गो और श्रेणियों के कर्जदारों के सारे कर्जो और अग्रिम दी गयी राशि पर मोरेटोरियम अवधि का ब्याज माफ किया जाये तो यह रकम छह लाख करोड़ रूपए से भी ज्यादा होगी।

एक उदाहरण देते हुये उन्होंने कहा कि देश की सबसे बड़ी बैक भारतीय स्टेट बैंक को अगर छह महीने के ब्याज पूरी तरह से माफ करने हों तो इस बैक द्वारा करीब 65 साल में अर्जित की गयी कुल संपदा का आधे से ज्यादा हिस्सा खत्म हो जायेगा।

मेहता ने कहा, ‘‘जमाकर्ताओं को ब्याज (ब्याज पर ब्याज सहित) का सतत् भुगतान सिर्फ सबसे आवश्यक बैंकिंग गतिविधि ही नहीं है बल्कि यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है जिसके साथ समझौता नहीं किया जा सकता क्योंकि अधिकांश छोटे छोटे जमाकर्ता और पेंशन धारक आदि हैं जो अपनी जमा राशि पर मिलने वाले ब्याज पर निर्भर रहते हैं।’’

सालिसीटर जनरल ने इंडियन बैंक्स एसोसिएशन के 25 सितंबर के हलफनामे का जिक्र करते हुये कहा कि भारतीय स्टेट बैंक ने कहा था कि छह महीने के मोरेटोरियम अवधि का ब्याज करीब 88,078 करोड़ होता है जबकि जमाकर्ताओं को इस अवधि के लिये देय ब्याज करीब 75,157 करोड़ होता है।

मेहता ने कहा कि इस मामले में और आगे जाना कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था के लिये हानिकारक होगा और देश की अर्थव्यवस्था या बैंकिंग सेक्टर इस वित्तीय दबाव को सहन नहीं कर सकेंगे।

सालिसीटर जनरल ने कहा कि केन्द्र ने रेस्तरां और होटल जैसे क्षेत्र सहित छोटे और मझोले आकार के कारोबार/एमएसएमई प्रतिष्ठानों को राहत देने के उपाय किये गये हैं।

उन्होंने कहा कि केन्द्र ने कम ब्याज दर पर पूरी तरह सरकार की गारंटी पर तीन लाख करोड़ रूपए का अतिरिक्त ऋण देने की आपात योजना लागू की है। इस योजना का कोविड-19 से प्रभावित रेस्तरां और होटल सेक्टर सहित 27 सेक्टरों के लिये उच्च वित्तीय सीमा तक विस्तार किया गया है।

मेहता ने रिजर्व बैंक द्वारा नियुक्त के वी कामत की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति के बारे में भी बताया। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों के कर्जदारों को 26 श्रेणियों में बांटा है। समिति ने इसके लिये मानदंड तय किये हैं जिसके तहत बैंकों उनके कर्ज खातों को पुनर्गठित कर सकते हैं।

इस मामले में दिन भर चली सुनवाई अधूरी रही जो कल भी जारी रहेगी।

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Web Title: Center told the court: Banks will have to bear the burden of six lakh crores on interest waiver on all types of loans

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