कोलकाता, दो अक्टूबर केंद्र ने कच्चे जूट की जमाखोरी को रोकने के लिए पश्चिम बंगाल में इसकी दो किस्मों की अधिकतम कीमत 6,500 रुपये प्रति क्विंटल तय की है, क्योंकि इस जिंस को बाजार में 7,200 रुपये या उससे अधिक कीमत में बेचा जा रहा है। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि यह मूल्य सीमा जून, 2022 तक प्रभावी रहेगी।
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘कच्चे जूट की कीमत 7,200 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचने के बाद इस क्षेत्र के नियामक जूट आयुक्त ने जमाखोरी को हतोत्साहित करने के लिए कच्चे जूट (टीडीएन3 और डब्ल्यूएन3 किस्मों) की अधिकतम कीमत 6,500 रुपये प्रति क्विंटल तय कर दी है।’’
अन्य राज्यों में कच्चे जूट की अधिकतम कीमत 6,800 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा जूट सत्र (जुलाई-जून) के लिए मूल्य नियंत्रण उपाय लागू होंगे।
उद्योग के एक सूत्र ने कहा, ‘‘इसका मतलब है कि सरकार जूट के बोरे की कीमत की गणना करते समय कच्चे जूट की कीमत 6,500 रुपये प्रति क्विंटल को ध्यान में रखेगी।
उन्होंने कहा कि यदि कच्चे माल का बाजार मूल्य, इसकी तय की गई उच्चतम सीमा से अधिक है, तो जूट मिलों को नुकसान होगा।
सूत्र ने कहा, ‘‘चालू वर्ष में उत्पादन बहुत अधिक हुआ है और कई किसानों और व्यापारियों ने अबतक फसल को रोका हुआ है। इस आदेश से जिंस जमा करने की उनकी योजना प्रभावित हो सकती है।’’
बढ़ती कीमतों के साथ सभी जूट उत्पादक जिलों के स्थानीय व्यापारियों ने भविष्य में उच्च कीमत पर इस जिंस को बेचने के लिए अपने घरों में कच्चे जूट का भंडारण करना शुरू कर दिया था।
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