अरुण जेटली ने RBI पर उठाए सवाल, कहा-अंधाधुंध तरीके से कैसे दिए कर्ज

By भाषा | Published: October 30, 2018 04:30 PM2018-10-30T16:30:49+5:302018-10-30T16:30:49+5:30

आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल वी आचार्य ने शुक्रवार को एक संबोधन में कहा था कि केंद्रीय बैंक की आजादी की उपेक्षा करना ‘बड़ा घातक’ हो सकता है। उनकी इस टिप्पणी को रिजर्व बैंक के नीतिगत रुख में नरमी लाने तथा उसकी शक्तियों को कम करने के लिए सरकार के दबाव और केंद्रीय बैंक की ओर से उसके प्रतिरोध के रुप देखा जा रहा है। 

Arun Jaitley questions raising on RBI says, how indirectly the loan given | अरुण जेटली ने RBI पर उठाए सवाल, कहा-अंधाधुंध तरीके से कैसे दिए कर्ज

अरुण जेटली ने RBI पर उठाए सवाल, कहा-अंधाधुंध तरीके से कैसे दिए कर्ज

वित्त मंत्री अरूण जेटली ने 2008 से 2014 के बीच अंधाधुंध कर्ज देने वाले बैंकों पर अंकुश लगाने में नाकाम रहने को लेकर रिजर्व बैंक की आलोचना की है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि इससे बैंकों में फंसे कर्ज (एनपीए) का संकट बढ़ा है।

उन्होंने यह बात ऐसे समय कही है जब केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता को लेकर वित्त मंत्रालय और आरबीआई के बीच तनाव बढ़ने की रिपोर्ट आ रही हैं। 

आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल वी आचार्य ने शुक्रवार को एक संबोधन में कहा था कि केंद्रीय बैंक की आजादी की उपेक्षा करना ‘बड़ा घातक’ हो सकता है। उनकी इस टिप्पणी को रिजर्व बैंक के नीतिगत रुख में नरमी लाने तथा उसकी शक्तियों को कम करने के लिए सरकार के दबाव और केंद्रीय बैंक की ओर से उसके प्रतिरोध के रुप देखा जा रहा है। 

जेटली ने अमेरिका-भारत रणनीतिक भागीदारी मंच द्वारा आयोजित ‘इंडिया लीडरशिप सम्मिट’ में कहा, ‘‘वैश्विक आर्थिक संकट के बाद आप देखें 2008 से 2014 के बीच अर्थव्यवस्था को कृत्रिम रूप से आगे बढ़ाने के लिये बैंकों को अपना दरवाजा खोलने तथा अंधाधुंध तरीके से कर्ज देने को कहा गया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘केंद्रीय बैंक की निगाह कहीं और थी। उस दौरान अंधाधुंध तरीके से कर्ज दिये गये।’’ 

वित्त मंत्री ने कहा कि तत्कालीन सरकार बैंकों पर कर्ज देने के लिये जोर दे रही थी जिससे एक साल में कर्ज में 31 प्रतिशत तक वृद्धि हुई जबकि औसत वृद्धि 14 प्रतिशत थी।

आचार्य ने मुंबई में शुक्रवार को एडी श्राफ स्मृति व्याख्यानमाला में कहा था कि आरबीआई बैंकों के बही-खातों को दुरूस्त करने पर जोर दे रहा है, ऐसे में उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बेहतर तरीके से नियमन के लिये आरबीआई को अधिक शक्तियां देने की मांग की। उन्होंने कहा था कि व्यापक स्तर पर वित्तीय तथा वृहत आर्थिक स्थिरता के लिये यह स्वतंत्रता जरूरी है। न तो वित्त मंत्रालय और न ही जेटली ने अब तक इस टिप्पणी पर कोई बयान दिया है।

जेटली ने अपने संबोधन में आचार्य के भाषण या उनके मंत्रालय तथा आरबीआई के बीच कथित तनाव के बारे में कुछ नहीं कहा। पूर्व में वित्त मंत्री यह कह चुके हैं कि किसी भी गड़बड़ी के लिये राजनेताओं को अनुचित तरीके से आरोप झेलना पड़ता है जबकि निगरानीकर्ता आसानी से बच निकलते हैं।

उन्होंने कहा कि सुधार की दिशा में सरकार के उठाये गये कदमों से राजस्व में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। ‘‘मेरा अपना अनुमान है कि 2014 से 2019 के बीच हम अपना काराधार करीब दोगुना करने के करीब होंगे।’’ 

जेटली ने कहा कि यह वृद्धि बिना कर दर बढ़ाये हुई। राजस्व में वृद्धि की वजह अर्थव्यवस्था में असंगठित रूप से कार्य कर रही इकाइयों को संगठित क्षेत्र के दायरे में लाना और इसकी वजह नोटबंदी, नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था (जीएसटी) तथा अप्रत्यक्ष कर ढांचे में सुधार है। 

उन्होंने कहा, ‘‘नोटबंदी कठिन कदम था लेकिन इससे हमें यह साफ करने में मदद मिली कि हमारा इरादा अर्थव्यवस्था को संगठित रूप देना था।’’ 

वित्त मंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 में जब भाजपा सरकार सत्ता में आयी आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या 3.8 करोड़ थी। ‘‘चार साल में यह संख्या बढ़कर 6.8 करोड़ पर पहुंच गयी है। मुझे भरोसा है कि इस साल यह संख्या 7.5 से 7.6 करोड़ हो जाएगी जो लगभग दोगुना है।’’ 

उन्होंने कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन के पहले साल में ही अप्रत्यक्ष करदाताओं की संख्या 74 प्रतिशत बढ़ी। 

सरकार की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए जेटली ने कहा कि सभी गांव को सड़कों से जोड़ने का काम पूरा होने के करीब है। वर्ष 2022 तक सभी को घर देने का लक्ष्य हासिल किये जाने की उम्मीद है तथा साल के अंत तक सभी घरों में बिजली होगी।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि शासन का पूरा तरीका बिल्कुल बदल गया है। कंपनी मालिकों को अब सत्ता के गलियारों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते क्योंकि मंजूरी अब आनलाइन उपलब्ध है। कोयला खदान या स्पेक्ट्रम जैसे प्राकृतिक संसाधनों के आबंटन में विशेषाधिकार को खत्म किया गया है।

जेटली ने कहा कि इससे भ्रष्टाचार खत्म हुआ है। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि ईमानदारी से कर देने पर चिंता की कोई बात नहीं है लेकिन जो ऐसा नहीं करते, उन्हें भारी कीमत चुकानी होगी। 

Web Title: Arun Jaitley questions raising on RBI says, how indirectly the loan given

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