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कपास बीज उद्योग की सरकार से एचटी बीटी कपास की अवैध खेती करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की अपील

By भाषा | Updated: June 18, 2021 18:03 IST

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नयी दिल्ली, 18 जून भारतीय बीज उद्योग महासंघ (एफएसआईआई) और भारतीय राष्ट्रीय बीज संघ (एनएसएआई) ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से इस साल देश में हर्बिसाइड टॉलरेंट (एचटी) बीटी कपास की अवैध ढंग से होने वाली खेती में अचानक आयी तेजी के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया है।

बयान में कहा गया है कि अगर बिना मंजूरी वाले एचटी-बीटी कपास के बीज की बिक्री नहीं रुकी तो यह उद्योग और किसानों के लिए आपदा का कारण बनेगा।

एनएसएआई ने कहा कि नियामक केवल लाइसेंस प्राप्त डीलरों और बीज कंपनियों तक ही अपनी जांच सीमित रखे हुये हैं, जबकि एचटी बीज की बिक्री की यह अवैध गतिविधि ज्यादातर असंगठित और झटपट बिक्री कर फरार होने वाले विक्रेताओं द्वारा की जाती है। ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए।

बयान में कहा गया है कि बीज उद्योग संगठनों ने इस संबंध में केंद्रीय कृषि और पर्यावरण मंत्रालयों को अपना मांगपत्र दिया है और तत्काल कार्रवाई की मांग की है।

उद्योग निकायों ने कहा, ‘‘इस तरह के कपास की प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में कई वर्षों से कम मात्रा में बिक्री हो रही थी, लेकिन इस साल बिक्री अचानक बढ़ गई, जिससे पर्यावरण, किसानों, वैध बीज कंपनियों और सरकारी राजस्व के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया है।’’

एफएसआईआई और एनएसएआई ने कहा कि यह मुद्दा वर्ष 2017 में ही संसद में उठाया गया था, जिसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के तहत फील्ड निरीक्षण और वैज्ञानिक मूल्यांकन समिति (एफआईएसईसी) का गठन किया गया था।

उन्होंने कहा कि इस समिति ने पुष्टि की थी कि एचटी बीटी कपास पूरे देश में अवैध रूप से उगाया जाता है। उन्होंने कहा कि एफआईएसईसी समिति ने कई हजार नमूनों का परीक्षण करने के बाद निष्कर्ष निकाला कि बगैर मंजूरी वाले एचटी बीटी कपास का लगभग 15 प्रतिशत भाग का प्रसार महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और गुजरात में हुआ था।

एफएसआईआई के अध्यक्ष एम रामासामी ने कहा, ‘‘अवैध एचटी कपास की खेती का रकबा पिछले वर्षों में निरंतर बढ़ रहा है। हालांकि, इस साल इस तरह की अवैध खेती, विशेष रूप से प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में, पिछले साल के अनुमानित 35 लाख पैकेट के मुकाबले उछाल दर्शाती इस साल लगभग 70 लाख पैकेट तक पहुंच गई है।’’

उन्होंने कहा कि इसमें कई प्रौद्योगिकियों की उपस्थिति की बात सामने आयी है जो खेतों में बहुत गंभीर स्थिति पैदा कर सकते हैं। उन्होंने कहा, और चेतावनी दी, ‘‘अगर इसे सरकारों द्वारा तुरंत नियंत्रित नहीं किया जाता है, तो यह उद्योग और किसानों के लिए आपदा का कारण बनेगा।’’

एनएसएआई के अध्यक्ष प्रभाकर राव ने चिंता जताते हुए कहा, ‘‘यह न केवल छोटी कपास बीज कंपनियों को नष्ट कर देगा बल्कि इससे भारत में पूरे वैध कपास बीज बाजार को भी खतरा पैदा होगा।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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