Adani Group News: वित्त मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि पांच सरकारी बीमा कंपनियों का अडाणी समूह से संबंधित कंपनियों में कुल 347.64 करोड़ रुपये का निवेश है, जो इनकी (बीमा कंपनियों) कुल संपत्ति का 0.14 प्रतिशत है। वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
उनसे अडाणी समूह की कंपनियों में बैंकों एवं वित्तीय संस्थाओं द्वारा किए गए निवेश या कर्ज के संदर्भ में सवाल किया गया था। मंत्री ने बताया कि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने 30 जनवरी को कहा था कि 31 दिसंबर, 2022 तक उसकी अडाणी समूह की कंपनियों से जुड़ी कुल हिस्सेदारी एवं कर्ज 35,917.31 करोड़ रुपये थी।
उन्होंने कहा कि यह राशि एलआईसी की कुल पूंजी 41.66 लाख करोड़ रुपये का सिर्फ 0.975 प्रतिशत है। केंद्र सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि शेयर बाजार के लिए नियामकीय तंत्र को मजबूत करने के लिए विशेषज्ञों की समिति गठित करने प्रस्ताव को लेकर उसे कोई आपत्ति नहीं है।
उच्चतम न्यायालय हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद अडाणी समूह के शेयरों में गिरावट के मामले की सुनवाई कर रहा था। केंद्र सरकार ने हालांकि मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि व्यापक हित को देखते हुए वह सीलबंद लिफाफे में समिति के लिए विशेषज्ञों के नाम और उसके कार्यक्षेत्र की जानकारी देना चाहती है।
केंद्र सरकार और सेबी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बाजार नियामक और अन्य वैधानिक इकाइयां हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद उपजी परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, “सरकार को समिति बनाने में कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन विशेषज्ञों के नामों का सुझाव हम दे सकते हैं। हम सीलबंद लिफाफे में नाम सुझा सकते हैं।”
मेहता ने आशंका जताई कि पैनल की स्थापना पर किसी भी ‘अनजाने’ संदेश का धन प्रवाह पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। शीर्ष अदालत ने निवेशकों को नुकसान पहुंचाने और अडाणी समूह के शेयरों को कृत्रिम तरीके से गिराने संबंधी दो जनहित याचिकाओं (पीआईएल) की शुक्रवार सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया है।
उच्चतम न्यायालय ने अडाणी समूह के शेयर बाजारों में गिरावट की पृष्ठभूमि में 10 फरवरी को कहा था कि भारतीय निवेशकों के हितों की रक्षा की जरूरत है। न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति गठित कर नियामकीय तंत्र को मजबूत करने के लिए विचार करने के लिए कहा था।