81.35 करोड़ लोगों को मिलता रहेगा एक साल तक मुफ्त अनाज, करीब दो लाख करोड़ रुपये के आर्थिक बोझ को केंद्र सरकार खुद उठाएगी, जानें कौन उठा सकता है लाभ
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 23, 2022 21:38 IST2022-12-23T21:37:20+5:302022-12-23T21:38:34+5:30
81.35 करोड़ गरीबों को एक साल तक खाद्यान्न उपलब्ध कराने पर पड़ने वाले करीब दो लाख करोड़ रुपये के आर्थिक बोझ को केंद्र सरकार खुद उठाएगी।

अनाज एनएफएसए के तहत मिलने वाले सब्सिडी-युक्त अनाज से अलग होता है।
नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत 81.35 करोड़ गरीबों को एक साल तक मुफ्त अनाज वितरित करने का शुक्रवार को फैसला किया। केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में गरीबों को मुफ्त अनाज बांटने का फैसला किया गया।
इसमें यह तय किया गया कि 81.35 करोड़ गरीबों को एक साल तक खाद्यान्न उपलब्ध कराने पर पड़ने वाले करीब दो लाख करोड़ रुपये के आर्थिक बोझ को केंद्र सरकार खुद उठाएगी। खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए इस फैसले की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एनएफएसए के तहत गरीबों को मुफ्त में अनाज मुहैया कराया जाएगा।
इसके साथ ही सरकार ने 31 दिसंबर को खत्म होने जा रही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) की अवधि आगे न बढ़ाने का फैसला किया है। इस योजना के तहत सरकार की तरफ से 81.35 करोड़ लाभार्थियों को मुफ्त राशन दिया जाता रहा है। इस योजना के तहत दिया जाने वाला अनाज एनएफएसए के तहत मिलने वाले सब्सिडी-युक्त अनाज से अलग होता है।
खाद्य सुरक्षा की गारंटी देने वाले एनएफएसए कानून के तहत सरकार की तरफ से हरेक पात्र व्यक्ति को हर महीने पांच किलोग्राम खाद्यान्न दो-तीन रुपये प्रति किलो के भाव पर मुहैया कराया जाता रहा है। वहीं अंत्योदय अन्न योजना में आने वाले परिवारों को हर महीने 35 किलोग्राम अनाज मिलता है।
एनएफएस के तहत गरीबों को तीन रुपये प्रति किलो की दर पर चावल और दो रुपये प्रति किलो की दर पर गेहूं मुहैया कराया जाता है। सरकारी अधिकारियों ने एनएफएसए के तहत 81 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त राशन देने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के इस फैसले को देश के गरीबों के लिए 'नए साल का उपहार' बताते हुए कहा कि लाभार्थियों को अब खाद्यान्न के लिए एक भी रुपया नहीं देना होगा। इस पर आने वाले करीब दो लाख करोड़ रुपये के समूचे बोझ को सरकार ही उठाएगी।