सभी खानों, कुमार, बच्चन पर भारी पड़ने वाली 16 कम बजट फिल्में, जिन्होंने तोड़े कमाई के सारे रिकॉर्ड

By खबरीलाल जनार्दन | Published: March 12, 2018 09:11 AM2018-03-12T09:11:04+5:302018-03-12T13:58:01+5:30

जानिए, उन फिल्मों के बारे में जिन्होंने आमिर खान, सलमान खान, शाहरुख खान, अक्षय कुमार, अमिताभ बच्चन जैसे चेहरों के बल पर नहीं अपने कंटेंट के दम पर बॉक्स ऑफ‌िस लूट लिया।

Top most 16 lower budget blockbuster bollywood movies | सभी खानों, कुमार, बच्चन पर भारी पड़ने वाली 16 कम बजट फिल्में, जिन्होंने तोड़े कमाई के सारे रिकॉर्ड

सभी खानों, कुमार, बच्चन पर भारी पड़ने वाली 16 कम बजट फिल्में, जिन्होंने तोड़े कमाई के सारे रिकॉर्ड

Highlightsविकी डोनर (2012): लागत 5 करोड़, कमाई 66 करोड़रॉक ऑन (2008): लागत 7 करोड़, कमाई 45 करोड़मुंबई मेरी जान (2008):  लागत 8 करोड़, कमाई 81 करोड़

हाल में आई फिल्‍म 'सोनू के टीटू की स्वीटी' की कमाई ने एक बार फिर साबित कर दिया कि बड़ी फिल्‍म बनाने के लिए केवल पैसा, स्टार चेहरों का होना जरूरी नहीं है। अगर आप फिल्म की कथावस्तु यानी कंटेंट पर काम करते हैं तो बेशक आपको इसका फायदा मिलता है।

इसने एक बार फिर से साबित किया कि अब भी हिन्दी सिनेमा के बेहतर कंटेंट को चाहने वालों में कमी नहीं आई है। फिर इस मुगालता को तोड़ा है, जिसमें हिन्दी सिनेमा को कुछ चंद चेहरों की जागीर हो जाना या 250 करोड़ रुपये के बजट के ना होने का रोना होता है।

सोनू के टीटू की स्वीटी (2018):  लागत 30 करोड़, कमाई 77.98 जारी

निर्देशक लव रंजन की 'सोनू के टीटू की स्वीटी' ने रिलीज के 16वें दिन भी 3.5 करोड़ रुपये की कमाई की। इसी के साथ फिल्म की कमाई 77 करोड़ पार हो गई। लव रंजन ने एक बार फिर से अपने सधे हुए अंदाज में कहानी कही। वह शहरी युवा के उस हिस्से को पर्दे पर उकेरते हैं जिनमें वह प्यार और उसके साइडइफेक्ट्स से गुजर रहे होते हैं।

इस बार कहानी एक शादी के इर्द-ग‌िर्द घूमती है, जिसमें होने वाली पत्नी और दूल्हे के दोस्त में टसल चल रही होती है। दूल्हे के दोस्त को ऐसा महसूस होता है लड़की चालाक है और परिवार पर अपना नियंत्रण करना चाहती है। लड़की इसे स्वीकारती भी है। फिल्म के डायलॉग 'दोस्ती और लड़की में जीतती हमेशा लड़की ही है' में फिल्म का सार छिपा हुआ है। लेकिन क्लाइमेक्स चौंकाता है। मुख्य भूमिकाओं में कार्त‌िक आर्यन, नुसरत भारुचा, सनी नीजर हैं।

हिन्दी मीडियम (2017): लागत 22 करोड़, कमाई 110 करोड़

'हिन्दी मीडियम' को बनाने में निर्देशक साकेत चौधरी ने बस 15 करोड़ रुपये खर्च किए थे। बाकी के 7 करोड़ प्रचार व अन्य तरह के खर्चों में लगे थे। और फिल्म वर्ल्डवाइड कमाई का आंकड़ा 100 करोड़ पार कर दिया था। कोईमोई डॉट कॉम के अनुसार फिल्म की वैश्‍विक कमाई 110 करोड़ और केवल भारत सिनेमाघरों से हुई नेट कमाई 67.01 करोड़ रुपये रही।

'हिन्दी मी‌डियम' के साथ एक खास बात यह भी रही कि फिल्म तब मैदान में उतरी, जब दर्शकों पर से 'बाहुबली' का बुखार उतरा भी नहीं था। इस चक्कर में फिल्म की रिलीज एक सप्ताह टालनी पड़ी। लेकिन जब फिल्म पर्दे पर आई, तो टिकट खिड़कियों पर लोगों ने 'बाहुबली' को छोड़कर इसके टिकट खरीदे।

फिल्म पुरानी दिल्ली में देसी अंदाज में पले-पढ़े माता-पिता की बच्ची की इंग्लिश मीडियम में पढ़ाने की ख्वाहिश के बारे में है। अभिनय इरफान खान और सबा कमर का है।

आशिकी 2 (2013): लागत 9 करोड़, कमाई 109 करोड़

कम बजट की जो सबसे मशहूर फिल्म है, वह है, 'आशीकी 2'। यह 1990 में आई म्यूजिकल फिल्म 'आशिकी' की सिक्वल थी। मोहित सूरी के निर्देशन में बनी इस फिल्म पर निर्माता टी-सिरीज व विशेष फिल्म्स ने बस 9 करोड़ रुपये खर्च किए थे। इसकी कुल कमाई 109 करोड़ थी। इस फिल्म ने दो ऐसे नए चेहरों को पहचान दी, जो इससे पहले मल्टीस्टारर फिल्मों में छुपे हुए थे।

फिल्म की कहानी एक ऐसे नामचीन गायक की थी, जो शराब के लत के कारण सब कुछ खो चुका होता है। इसी बीच, उसकी मुलाकात एक छोटे से शराब के ठेके पर गाना गा रही लड़की पर पड़ती है, जिससे उसे प्यार हो जाता है। इसके बाद वह उस लड़की को देश की सबसे बड़ी गायिका बनाने की ठान लेता है। पर उसकी शराब की लत क्या उसे उसके मकसद में कामयाब होने देती है? इसी संघर्ष पर फिल्म आधारित है। मुख्य किरदारों में आदित्य रॉय कपूर और श्रद्धा कपूर थे।

कहानी (2012): लागत 8 करोड़, कमाई 104 करोड़

निर्देशक सुजॉय घोष की 'कहानी' दूसरी ऐसी फिल्म है, जो बड़ी हिट होने के साथ-सा‌थ खूब तारीफें बटोरने में भी सफल रही। आठ करोड़ की लागत से बनी इस फिल्म ने 104 करोड़ जुटाए थे। इसकी खासीयत फिल्म का क्लाइमेक्स और अर्से बाद हिन्दी सिनेमा में अच्छा संस्पेंस थ्रीलर देखने को मिला था। मुख्य किरदार विद्या बालन और नवाजुद्दीन सिद्दकी दोनों ने ही कमाल का अभिनय किया था।

फिल्म में कोलकाता में दो साल पहले हुए गैस हमले में खोए हुए पति की तलाश करने आई गर्भवती महिला के संघर्ष की कहानी है। लेकिन फिल्म का क्लाइमेक्स ऐसा है, जिसकी दर्शक कल्पना नहीं किए होते हैं।

मुंबई मेरी जान (2008):  लागत 8 करोड़, कमाई 81 करोड़

अभिनेता निर्देशक निशिकांत कामत मुंबई को करीब से समझते हैं, इस बात का ठोस सबूत उन्होंने अपनी फिल्‍म 'मुंबई मेरी जान' में दे दिया था। साल 2006 के मुंबई धमाके के बाद वहां बसने वाली जिंदगियों में किस तरह के बदलाव आए, इसको समझना हो तो पांच दमदार अभिनय क्षमताओं वाले अभिनेताओं निशिकांत कामत, इरफान खान, केके मेनन, परेश रावल, आर माधवन से सजी यह फिल्म सबसे बेहतर विकल्प हो सकती है।

एक बम विस्फोट (जिसमें 189 लोगों की मौत और 824 लोग घायल हों) से लगा आघात, दुख, नस्लवाद, और प्रतिशोध को गहरे से समझने का मौका मिलेगा।वह बस एक नजरिये से नहीं, एक पारिवारिक आम आदमी के नजरिये से, एक सड़क के विक्रेता के नजरिये से, दो पुलिसवालों के नजरिये से और एक मुस्लिम के नजरिये से।

नो वन किल्ड जेसिका (2011): लागत 9 करोड़, कमाई 58 करोड़

बहुचर्चित जेसिका लाल हत्याकांड (1999) पर निर्देशक राज कुमार गुप्ता ने मामले की फाइल बंद हो जाने के बाद भारतीय न्यायव्यवस्‍था की सबूतों के आगे लाचारी और प्रभावशाली लोगों की पहुंच को बखूबी पर्दे पर उतारा है।सिनेमा जगत में हमेशा से माना गया है कि एक कहानी, जिसके बारे में सबको सब कुछ पता हो, उसे पर्दे पर लाकर दर्शकों को सिनेमाघर तक खींच पाना कठिन होता है। ऐसे में महज नौ करोड़ की लागत से बनी इस फिल्म ने 58 करोट जुटाकर अपनी महत्ता साबित की थी।

रॉक ऑन (2008): लागत 7 करोड़, कमाई 45 करोड़

निर्देशक अभिषेक कपूर की म्यूजिकल फिल्म 'रॉक ऑन' में भारत में बैंड परंपरा के संघर्षों को उजागर किया गया था। असल में पश्चिम में फिल्मी धुनों, फिल्मी गायकों आदि से कहीं ज्यादा प्रभावी बैंड संगीत और बैंड गायक होते हैं। लेकिन भारत में बैंड कभी उतने प्रभावी नहीं हो पाए। इसके पीछे के कारण को रेखांकित करती इस फिल्म को फरहान अख्तर और अर्जुन रामपाल ने काफी प्रभावशाली बना दिया था। केवल सात करोड़ की लागत में बनी इस फिल्म ने 45 करोड़ की कमाई की थी।

लाइफ इन ए मेट्रो (2007): लागत 7 करोड़, कमाई 30 करोड़

निर्देशक अनुराग बसु की फिल्म 'लाइफ इन ए मेट्रो' आज भी कई लोगों की पसंदीदा फिल्मों में एक है। साल 2007 के आसपास तेजी से भारतीय गांवों के लोग शहर की तरफ पलायन कर रहे थे। उस वक्त शहर में आने के बाद जिंदगी जिस तरह के बदलावों से गुजर रही थी, उस संघर्ष पर आधारित है यह पूरी फिल्म।

शहर, पैसा और पैसे के लिए दांवपेच व झंझटें, फिर समाज, निजता और अंतर्मन के द्वंद्व को इतने रोचक ढंग से पर्दे पर श‌िल्पा शेट्टी, कोंकणा सेन शर्मा, इरफान खान, केके मेनन, शरमन जोशी, कंगना रनौत, शाहिनी अहूजा आदि ने उतारा है कि जिसने भी देखा होगा, उसे दोबारा देखने का मन जरूर होता होगा। इसीलिए सात करोड़ में बनी इस फिल्म ने 30 करोड़ का कारोबार कर डाला।

विकी डोनर (2012): लागत 5 करोड़, कमाई 66 करोड़

टीवी एंकर आयुष्मान खुराना और मॉडल यामी गौतम की पहली ही फिल्म 'विकी डोनर' छोटे बजट की बड़ी फिल्‍म साबित हुई। महज पांच करोड़ बजट से बनी इस फिल्म ने कुल 66 करोड़ की कमाई कर डाली थी। 'विक्की डोनर' पर रुपयों की बारिश का राज फिल्म का विषय था।

फिल्म में दिल्ली में रहने वाले एक गरीब पंजाबी परिवार की कहानी है, जिस परिवार का बेटा कमाई के लिए स्पर्म डोनेशन के पेशे को चुनता है।लेकिन नजीता ये कि हजारों लोगों को स्पर्म डोनेट कर उनके घर में किलकारियां गुंजाने वाले के घर में ही किलकारी नहीं गूंज पाती। निर्देशक सुजित सरकार ने इसे बड़े कौशल से पर्दे पर उतारा है।

पान सिंह तोमर (2012): लागत 5 करोड़,  कमाई 38 करोड़

अभिनेता इरफान खान के दमदार अभिनय और निर्देशक तिग्मांशु धूलिया के सटीक निर्देशन में ओलंपिक में भाग ले चुके धावक पान सिंह तोमर की असल जिंदगी पर बनी फिल्म 'पान सिंह तोमर' जमकर सुर्खियों में रही। महज पांच करोड़ की लागत से बनी फिल्म ने न केवल 38 करोड़ का व्यवसाय किया बल्‍कि कई ख्याति प्राप्त अवार्ड अपने नाम करने में कामयाब रही।

फिल्‍म की कहानी में पान सिंह तोमर के धावक बनने से लेकर बागी बनने और पुलिस की गोली पर उनके मारे जाने तक की कथा को बहुत ही सावधानी से बिना किसी नाटकीय मोड़ दिए दिलचस्प अंदाज में प्रस्तुत किया गया है।

प्यार का पंचनामा (2011): लागत 7 करोड़, कमाई 17 करोड़

हिन्दी सिनेमा में प्यार को अलग-अलग समय में भिन्न-भिन्न तरीके से परिभाषित किया गया है।'प्यार का पंचनामा' ऐसी ही एक फिल्म है, जो प्यार की नई परिभाषा के बारे में बात करती है, जो मेट्रो शहरों में रहने वाले लड़के-लड़कियां करते हैं।

एक इंटरव्यू में फिल्म के निर्देशक लव रंजन ने बताया कि फिल्म की कहानी के कुछ दृश्य असल जिंदगी से लिए गए हैं, जो उनके अपने हैं। अर्से बाद इस फिल्म में एक बेहतर मोनोलॉग (स्क्रीन पर इकलौता किरदार दिखता है और बात करता है) देखने-सुनने को मिला, जिसकी लंबाई करीब सात मिनट की थी।

इसको अभिनेता कार्तिक आर्यन ने बड़े सटीक ढंग से पर्दे पर जीवंत किया जो फिल्म की यूएसपी भी बनी। सात करोड़ की लागत वाली इस फिल्म ने 17 करोड़ निकाल लिए थे।

ए वेडनेसडे (2008): लागत 5 करोड़, कमाई 12 करोड़

एक अच्छी कहानी और नसीरउद्दीन शाह व अनुपम खेर के कंधों पर टिकी निर्देशक नीरज पांडेय की फिल्म 'ए वेडनेसडे' फिल्म ने व्यवसाय पंडितों को चौंकाया था। क्योंकि बगैर किसी बड़े प्रचार और बड़े नाम के इस पांच करोड़ी फिल्म ने 12 करोड़ जुटाए थे। फिल्म की पटकथा एक बम ब्लास्ट के बाद चार आतंकियों के एक आम आदमी द्वारा रोचक ढंग से पुलिस के हाथों मरवाने की है, जो कि 60 वर्ष से अधिक का है और बिना किसी बड़े हथ‌ियार के पूरी मुंबई पुलिस को मजबूर कर देता है कि वे आतंकियों को मारें।

साहेब बीवी और गैंगस्टर (2011): लागत 4 करोड़, कमाई 20 करोड़

निर्देशक तिग्मांशु धूलिया की ही बारीक फिल्मों पर पकड़ वाली फिल्म 'साहेब बीवी और गैंगस्टर' छोटे बजट की बड़ी नाम वाली फिल्म है। हिन्दी सिनेमा के सरताज गुरुदत्त की फिल्म 'साहेब बीवी और गुलाम' को आधार मानकर 2011 में बनाई गई इस फिल्म में तिग्मांशु एक बर्बाद हो चुके साहेब, कत्ल के इल्जाम में फंसे गैंगस्टर की गुलामी और साहेब की बेरुखी से धधकती बीवी को रोचक अंदाज में लेकर आए थे।यह दर्शकों को खूब पसंद आया था। महज चार करोड़ की लागत वाली इस फिल्म ने 20 करोड़ जुटाए थे।

मसान (2015): लागत 3 करोड़, कमाई 9 करोड़

पत्रकारीय पृ‌ष्ठभूमि वाले नीरज घेवन की 'मसान' पहली फिल्म थी। पहली ही फिल्म की कहानी का सार 'जिंदगी रुकती नहीं' थी। ऊपर से कहने का ढंग भी अनोखा था, मतलब साफ, फिल्मों को व्यवसाय के रूप में देखने वाले निर्माता ने उन पर कोई रुचि नहीं दिखाई।

लेकिन जब फिल्म बनकर तैयार हुई, तब कांस फिल्मोत्सव से लेकर भारत भर में फिल्म की जबरदस्त तारीफ हुई।साथ ही, तीन करोड़ में बनी फिल्म ने 9 करोड़ का व्यापार भी कर लिया। फिल्म में दो कहानियां एक साथ चलती हैं।दोनों में एक-एक मौतें होती हैं। छोटे शहर में एक मौत का क्या मतलब होता है, उसका अन्य लोगों की जिंदगी पर कितना व्यापक असर होता है, फिल्म यही दिखाती है।

जॉनी गद्दार (2007): लागत 1 करोड़, कमाई 6 करोड़

दो पीढ़ी की सफल गायकी के बाद तीसरी पीढ़ी ने अभिनय में कदम रखा, नाम 'नील नितिन मुकेश'। आमतौर पर गायकी की दुनिया से संबंध रखने वाले अभिनेताओं को दर्शकों का उतना समर्थन नहीं मिलता, लेकिन नील की पहली फिल्म के साथ ऐसा नहीं हुआ। महज एक करोड़ की लागत से बनी उनकी पहली फिल्‍म जबर्दस्त सफल रही।

सीमित सिनेमाघरों में रिलीज होने के बावजूद निर्देशक श्रीराम राघवन की इस फिल्म ने 6 करोड़ का कारोबार किया था।

शाहिद (2012): लागत 80 लाख, कमाई 2.5 करोड़

निर्देशक हंसल मेहता अपनी सार्थक फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। उनकी फिल्म 'इंटरटेनमेंट, इंटरटेनमेंट एंड इंटरटेनमेंट' की कसौटी पर तो खरी नहीं उतरती पर, गंभीर विषयों को सधे हुए अंदाज में कहने की क्षमता रखती है, जिसके भी भारी संख्या में दर्शक हैं। 'शाहिद' ऐसी ही एक फिल्म है, जिसे बनाने के लिए हंसल मेहता को महज 80 लाख खर्च करने पड़े। लेकिन कमाई भी किसी मायने में कमतर नहीं, अपनी लागत की तीन गुना से भी अधिक और कई बड़े अवार्ड झोली में।ऐसी फिल्मों से न केवल निर्देशक को बल्कि इससे जुड़े ज्यादातर लोगों को भविष्य में जबर्दस्त लाभ होता है।

फिल्मों पर पैसा लगाने वाली बड़ी कंपनियां इन पर निवेश के लिए तैयार हो जाती हैं। शाहिद में अभिनेता राजकुमार राव ने एक ऐसे लड़के का किरदार निभाया था जो माहौल से परेशान होकर आतंकी बनने चला जाता है, लेकिन आतंकियों की मनोदशा देखकर वापस लौट आता है।

पर आतंकी कैंप में शामिल होने मात्र से उसे आतंकी समझ लिया जाता है। मुसलमान होना भी उसके लिए श्रॉप बन जाता है। लेकिन जब वह किसी भी तरह से जेल से छूटता है, तो जीवन का एक लक्ष्य बनाता है, जिसके चक्कर में पहले उसका पत्नी-परिवार से रिश्ता बिगड़ता है और आखिरकार गोली से मार दिया जाता है।लेकिन वह अपने लक्ष्य में काफी सफल होता है। लक्ष्य क्या है, यह जानने के लिए आपको फिल्म कहीं से भी ढूंढकर देखनी चाहिए।

यहां अनुराग कश्यप की गैंग्स ऑफ वासेपुर का जिक्र भी कर लेना चाहिए। पर यह दो फिल्मों की श्रृंखला थी। और ऐसी श्रृंखला फिल्मों का जिक्र हम विस्तार से अगली स्टोरी में करेंगे। हालांकि गैंग्स ऑफ वासेपुर की दोनों कड़िया बनाने में अनुराग ने करीब 36 करोड़ रुपये खर्च किए थे और कमाई कारीब 65 करोड़ रही थी।

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