फिल्मों में आने वाले युवा पीढ़ी को एक्टर वरुण बडोला की नसीहत, कहा- मेंटली स्ट्रांग हुए बिना फिल्म इंडस्ट्री में टिकना मुश्‍किल

By भाषा | Published: June 18, 2020 07:20 PM2020-06-18T19:20:39+5:302020-06-18T19:20:39+5:30

Struggle in industry more mental than physical Varun Badola | फिल्मों में आने वाले युवा पीढ़ी को एक्टर वरुण बडोला की नसीहत, कहा- मेंटली स्ट्रांग हुए बिना फिल्म इंडस्ट्री में टिकना मुश्‍किल

(फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)

Highlights‘कोशिश - एक आशा’, ‘देस में निकला होगा चांद’, ‘अस्तित्व - एक प्रेम कथा’ जैसे धारावाहिकों से अपनी पहचान बनाने वाले वरुण वडोला यह भी मानते हैं कि उतार एवं चढ़ाव के दौरान संतुलित बने रहना भी जरूरी है। कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन से पहले वरुण बडोला धारावाहिक ‘मेरे डैड की दुल्हन’ में नजर आए थे।

अभिनेता वरुण बडोला का कहना है कि फिल्म और टीवी उद्योग में काम करने में शारीरिक से अधिक मानसिक चुनौतियों का सामना होता है और यही वजह है कि कलाकार को मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने की कोशिश करनी चाहिए। ‘कोशिश - एक आशा’, ‘देस में निकला होगा चांद’, ‘अस्तित्व - एक प्रेम कथा’ जैसे धारावाहिकों से अपनी पहचान बनाने वाले वरुण वडोला यह भी मानते हैं कि उतार एवं चढ़ाव के दौरान संतुलित बने रहना भी जरूरी है। 

उन्होंने कहा ‘‘सबसे बड़ी चुनौती मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखना है। इस उद्योग में, शारीरिक संघर्ष की तुलना में मानसिक संघर्ष कहीं अधिक है। कई बार ऐसा हुआ है जब मैंने शानदार भूमिकाएँ की हैं लेकिन समस्या यह है कि इस ओर किसी की नजर ही नहीं गई।’’ बडोला ने कहा ‘‘ऐसा भी हुआ कि मैंने कुछ ऐसी भूमिकाएं कीं जिन्हें मैंने खुद ही पसंद नहीं किया। लेकिन शो लोगों को पसंद आया इसलिए मुझे आगे वही करना पड़ा। बहरहाल, जो भी हो, आपको संतुलन बनाए रखना होता है।’’

‘मेरे डैड की दुल्हन’ में कर रहे हैं काम 

कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन से पहले धारावाहिक ‘मेरे डैड की दुल्हन’ में नजर आए 46 वर्षीय वडोला ने कहा ‘‘उद्योग जगत की हलचल के बीच, खुद को अलग रखना मुश्किल होता है और इसके साथ चलते रहना पड़ता है। यह हमेशा आसान नहीं होता। जितना जूझ सकते हैं, उतना जूझना होता है। दबाव कितना भी क्यों न हो, मैं खुद पर इसे हावी नहीं होने देता।’’ 

रोल नहीं मिलने पर निर्देशन और लेखन का रुख 

अपने तीन दशक के करियर में वडोला ने फिल्में भी कीं। ‘हासिल’ और ‘चरस’ फिल्मों के निर्माण के दौरान तिग्मांशु धूलिया के सहायक निर्देशक रहे वडोला ने कहा ‘‘एक समय ऐसा भी आया जब मुझे कोई रोल नहीं मिल रहा था। तब मैंने निर्देशन और लेखन का रुख किया।’’ उन्होंने कहा ‘‘दुनिया में हर व्यक्ति हर काम नहीं कर सकता। जैसे मैं, कई काम नही कर सकता। समय के साथ चीजें मुश्किल भी होती जाती हैं और कभी कभी बहुत ज्यादा मुश्किल हो जाती हैं। लेकिन समय भी बदलता रहता है।’’ 

Web Title: Struggle in industry more mental than physical Varun Badola

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