आपकी सेक्शुअल प्रेफरेंस बिस्तर तक सीमित होनी चाहिए, समलैंगि विवाह पर सुनवाई के बीच बोलीं कंगना- इसे आईडी कार्ड मत बनाइए
By अनिल शर्मा | Published: April 28, 2023 01:31 PM2023-04-28T13:31:57+5:302023-04-28T13:55:56+5:30
कंगना के पास कई प्रोजेक्ट्स हैं। वह अगली बार जीवनी फिल्म इमरजेंसी में दिखाई देंगी। 1977 के भारतीय आपातकाल पर आधारित, इसे अभिनेत्री द्वारा निर्देशित और नियंत्रित किया गया है। वह भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भूमिका निभाती नजर आएंगी।
मुंबईः समलैंगिक विवाह को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बीच अभिनेत्री कंगना रनौत ने शुक्रवार इंस्टाग्राम पर एक नोट साझा किया। इसमें अभिनेत्री ने कहा कि आप पुरुष हैं या महिला, आपके लिंग से किसी को कुछ फर्क नहीं पड़ता है। आपकी पहचान आपके काम से ही है। अभिनेत्री ने इस बात पर जोर देकर कहा कि आपकी सेक्शुअल प्रेफरेंस (यौन प्राथमिकताएं) बिस्तर तक ही सीमित होनी चाहिए।
गौरतलब है कि पिछले करीब एक हफ्ते से समलैंगिक विवाह को मान्यता देने संबंधि याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। केंद्र ने भी इसमें अपने राय रखे हैं। इस बीच कंगना ने कहा कि इस आधुनिक युग में एक्ट्रेस या फीमेल डायरेक्टर जैसे शब्द प्रयोग नहीं होते बल्कि उन्हें हम एक्टर और डायरेक्टर ही बुलाते हैं।
कंगना ने कहा कि दुनिया में आप जो कुछ भी करते हैं, उसी से आपकी पहचान बनती है, इससे नहीं कि आप बिस्तर में क्या करते हैं। आपकी सेक्शुअल प्रेफरेंस बिस्तर तक ही सीमित होनी चाहिए। उसे अपना आईडी कार्ड या मेडल बनाकर मत दिखाइए। इसका हर जगह दिखावा मत करिए।
अभिनेत्री ने पोस्ट में आगे लिखा है कि जरूरी बात यह है कि अगर आपके लिंग से कोई सहमत नहीं है तो उसका गला काटने के लिए चाकू लेकर मत घूमिए। जेंडर आपकी पहचान नहीं। अभिनेत्री ने कहा कि मैं ग्रामीण क्षेत्र की महिला हूं, जीवन ने मुझे कोई रियायत नहीं दी, मुझे अभिनेताओं, फिल्म निर्माताओं, निर्माताओं और लेखकों की दुनिया में अपनी जगह बनानी थी..।
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्या समलैंगिक जोड़ों को उनकी शादी को वैध किए बिना सामाजिक कल्याण लाभ दिए जा सकते हैं। न्यायालय ने कहा कि केंद्र द्वारा समलैंगिक यौन साझेदारों के सहवास के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में स्वीकार करने से उस पर इसके सामाजिक परिणामों को पहचानने का “संबंधित दायित्व” बनता है। इस टिप्प्णी की पृष्ठभूमि में न्यायालय ने केंद्र से उपरोक्त सवाल किया। शीर्ष अदालत ने कहा, “आप इसे शादी कहें या न कहें, लेकिन इसे कुछ नाम देना जरूरी है।