राज बाबू की बात ही कुछ और थी, सलमान से लेकर माधुरी तक को दे गए अनोखा मुकाम

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 21, 2019 11:20 PM2019-02-21T23:20:11+5:302019-02-21T23:24:19+5:30

 हिंदी सिनेमा में अपनी एक विशिष्ट पहचान रखने के साथ कई कलाकारों को फिल्मों में लाने वाले फिल्मकार राज कुमार बडजात्या के निधन से पूरा फिल्म उद्योग गमगीन है

producer rajkumar barjatyas passed away. | राज बाबू की बात ही कुछ और थी, सलमान से लेकर माधुरी तक को दे गए अनोखा मुकाम

राज बाबू की बात ही कुछ और थी, सलमान से लेकर माधुरी तक को दे गए अनोखा मुकाम

 हिंदी सिनेमा में अपनी एक विशिष्ट पहचान रखने के साथ कई कलाकारों को फिल्मों में लाने वाले फिल्मकार राज कुमार बडजात्या के निधन से पूरा फिल्म उद्योग गमगीन है. फिल्मी दुनिया में राज बाबू के नाम से मशहूर राज कुमार बडजात्या अपनी फिल्मों के साथ अपनी नम्रता, सभ्यता और संस्कारों के लिए भी मशहूर थे. पिछले करीब 35 वर्षों में उनसे दिल्ली और मुंबई में कितनी ही मुलाकातें हुईं, उनसे फोन पर भी यदा कदा बात होती रहती थी.

लेकिन जिस तरह अपनी बड़ी उम्र के बावजूद वह हमेशा चुस्त-दुरूस्त और अपने काम के लिए समर्पित रहते थे, उससे यह देख कभी नहीं लगा कि वह जल्द दुनिया से कूच कर जाएंगे. राज बाबू उन सुप्रसिद्ध फिल्मकार ताराचंद बडजात्या के सबसे बड़े पुत्र थे जिन्होंने सन 1947 के दौर में राजश्री की स्थापना कर फिल्म वितरण और फिल्म निर्माण दोनों में अपना सिक्का जमाया. राजश्री प्रोडक्शन की पहली फिल्म 'आरती' जब 1962 में आई तभी से ताराचंद जी के तीनों बेटे राज कुमार, कमल कुमार और अजीत कुमार उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करते थे.

ताराचंद जिन्हें सभी सेठ जी कहकर पुकारते थे, उनका जब 1992 में निधन हुआ तो उनकी फिल्म यात्रा को राज बाबू, कमल बाबू और अजीत बाबू की त्रिवेणी ने आगे बढ़ाया. साथ ही राज बाबू के पुत्र सूरज बडजात्या ने निर्माण से आगे बढ़कर निर्देशन में कदम रखा और दर्शकों को एक से बढ़कर एक खूबसूरत और सुपरहिट फिल्में दी. यूं तो राजश्री प्रोडक्शन को तीनों भाई और सूरज मिलकर देखते रहे हैं. सभी फैसले सामूहिक रूप से लिए जाते हैं. लेकिन राज बाबू परिवार के बड़े होने के कारण भी विशेष अहमियत रखते थे. वैसे भी फिल्म निर्माण और उसकी कहानी, पटकथा, संगीत आदि की जिम्मेदारी राज बाबू की ही रहती थी. फिल्म के प्रदर्शन, वितरण आदि की जिम्मेदारियां कमल बाबू और अजीत बाबू संभालते.

अब जब राज बाबू के बेटे सूरज बडजात्या फिल्म निर्देशन के साथ निर्माण पक्ष को भी लगातार देख रहे थे, तब भी राज बाबू अपनी फिल्मों और सीरियल के कायार्ें को बराबर देखते थे. इसके लिए वह हर रोज सुबह 11 बजे अपने मुंबई के प्रभा देवी कार्यालय में पहुंच जाते थे और शाम 6 या 7 बजे तक ऑफिस में रहकर हर मीटिंग, हर सीटिंग में हिस्सा लेते थे. सेठ जी के निधन के बाद आईं राजश्री प्रोडक्शन की 'हम आपके हैं कौन', 'हम साथ साथ साथ हैं', 'मैं प्रेम की दीवानी हूं', 'विवाह', 'एक विवाह ऐसा भी', 'प्रेम रतन धन पायो' और हालिया रिलीज फिल्म 'हम चार' तक राज बाबू की भूमिका सबसे अहम रही.

(प्रदीप सरदाना वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक)

यूं अपने पिता के समय भी बनाईं गई 'दोस्ती', 'उपहार', 'जीवन मृत्यु', 'गीत गाता चल', 'तपस्या', 'दुल्हन वही जो पिया मन भाये', 'अंखियों के झरोखे से' और 'मैंने प्यार किया' तक की सभी फिल्मों में राज बाबू का अहम योगदान रहा. राज बाबू हमेशा नए कलाकारों, नए संगीतकारों और नए निर्देशकों को लेकर फिल्में बनाने को प्राथमिकता देते थे. इस कारण उन्होंने फिल्मी दुनिया को एक से एक कलाकार दिए. इनमें माधुरी दीक्षित भी शामिल हैं. माधुरी को सबसे पहले राज बाबू ने सन 1984 में अपनी फिल्म 'अबोध' में लिया था.

यहां तक कि माधुरी से मेरा पहला परिचय भी तभी राज बाबू ने मुंबई में अपने ऑफिस में कराया था. राज बाबू ने और भी बहुत से नए चेहरों को पहली बार अपनी फिल्म से ही फिल्मी दुनिया से परिचित कराया. बहुत से कलाकार राजश्री की फिल्मों से ही फिल्मी दुनिया में चमके हैं. ऐसे लोगों में सचिन, सारिका, रामेश्वरी, रंजीता, अरुण गोविल, जरीना वहाब, अनिल धवन और भाग्यश्री तक कई नाम हैं. यहां तक कि सलमान खान को भी बतौर हीरो पहली बार राज बाबू ने ही अपनी फिल्म 'मैंने प्यार किया' में ब्रेक दिया था.

Web Title: producer rajkumar barjatyas passed away.

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