राजपूती आन-बान-शान की कहानी है पद्मावत, रणवीर सिंह ने की है जबरदस्त एक्टिंग

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: January 24, 2018 07:47 AM2018-01-24T07:47:50+5:302018-01-24T09:13:11+5:30

Padmaavat Film Review: दीपिका पादुकोण, शाहिद कपूर और रणवीर सिंह की पद्मावत 25 जनवरी को पूरे देश में रिलीज हो रही है।

Padmavat Movie Review in Hindi: Deepika Padukone, Ranveer Singh and Shahid Kapoor Film Praise Rajput Glory and Vilify Muslim Sultan | राजपूती आन-बान-शान की कहानी है पद्मावत, रणवीर सिंह ने की है जबरदस्त एक्टिंग

राजपूती आन-बान-शान की कहानी है पद्मावत, रणवीर सिंह ने की है जबरदस्त एक्टिंग

संजय लीला भंसाली की फिल्म "पद्मावत" को सिनेमाघर में देखने के बाद सबसे ज्यादा निराशा उन लोगों को होगी जिन्होंने इसके खिलाफ कुछ नेताओं और कुछ नेता टाइप लोगों के उकसाने पर  गुंडई और तोड़फोड़ की। एक लाइन में कहें तो भंसाली की नई फिल्म राजपूती आन-बान-शान की गौरव गाथा है। कहीं न कहीं भंसाली की फिल्म हिंदुत्ववादियों की उस ग्रंथि की तुष्टि करेगी कि हिन्दू राजपूत राजा बहादुर और "देश" के लिए मर मिटने वाले थे। वहीं मुस्लिम शासक क्रूर और सनकी थे। फिल्म में रानी पद्मावती (दीपिका पादुकोण) "आदर्श हिन्दू नारी" है। राणा रतन सिंह (शाहिद कपूर) "प्राण जाए पर वचन न जाई" वाली परंपरा के क्षत्रिय हैं। अल्लाउद्दीन खिलजी (रणवीर सिंह) दिल्ली का सुल्तान है जो एक महिला की खुबसूरती पर फिदा होकर "लव जिहाद" करना चाहता है। 

पद्मावत की कहानी-

सुल्तान जलालुद्दीन खिलजी (रजा मुराद) का भतीजा अल्लाउद्दीन खिलजी अति-महत्वाकांक्षी है। वो अपने चाचा की बेटी मेहरुनिसा (अदिति राव हैदरी) से निकाह करता है। उसके बाद वो चाचा की हत्या करके दिल्ली का सुल्तान बन जाता है। दूसरी तरफ मेवाड़ के राजा रतन सिंह का दिल सिंघल की राजकुमारी पद्मावती पर आ जाता है। रतन सिंह एक न्यायप्रिय और बहादुर राजा है लेकिन उसका पुरोहित राघव चेतन धूर्त है। राघव चेतन की पोल जब खुल जाती है तो रतन सिंह उसे राज्य से निकाल देता है। रतन सिंह से बदला लेने के लिए राघव चेतन अल्लाउद्दीन खिलजी के पास जाकर उससे रतन सिंह पर हमला करने के लिए उकसाता है। राघव चेतन खिलजी को पद्मावती के "अलौकिक रूप" का ऐसा वर्णन करता है कि वो उसे पाने के लिए व्याकुल हो जाता है।

खिलजी राघव चेतन की बातों में आकर पद्मावती को पाने के लिए मेवाड़ पर हमला कर देता है लेकिन वो रतन सिंह का सुरक्षा घेरा तोड़ नहीं पाता। युद्ध में जीत की संभावना न देखकर खिलजी चाल चलता है और रतन सिंह के पास शांति संदेश भेजवाता है । खिलजी कहता है कि वो बस एक बार पद्मावती को देखना चाहता है और उसके बाद वो दिल्ली लौट जाएगा। पद्मावती खिलजी के सामने आने से इनकार कर देती है तो राघव चेतन उपाय सुझाता है कि रानी को सीधे सुल्तान के सामने आने की जरूरत नहीं है। वो शीशे में रानी का अक्स देखकर ही संतुष्ट हो जाएंगे। युद्ध टालने के लिए रतन सिंह और पद्मावती ये शर्त मान जाते हैं। खिलजी शीशे में रानी पद्मावती की झलक देखने के बाद उसे सामने से देखने के बावला हो जाता है। खिलजी रतन सिंह  को धोखे से गिरफ्तार करके अपने साथ दिल्ली ले आता है। 

खिलजी शर्त रखता है कि वो रतन सिंह को तभी छोड़ेगा जब पद्मावती खुद को उसके हवाले कर देगी। रतन सिंह को छुड़ाने के लिए रानी पद्मावती गोरा और बादल नामक दो वीर राजपूत योद्धाओं और अन्य सैनिकों के साथ दिल्ली जाती है। पद्मावती के साथी सैनिक स्त्री-वेश में पालकी में दिल्ली पहुँचती है। पद्मवती और उसके साथी राजा रतन सिंह को छुड़ाने में कामयाब रहते हैं। खिलजी की पत्नी मेहरुन्निसा भी उसकी मदद करती है। हालाँकि जायसी के पद्मावत में रतन सिंह को दिल्ली से छुड़ाने गोरा और बादल नामक दो राजपूत सिपहसालार जाते हैं और वो भी सफलतापूर्वक अपने राजा को मेवाड़ ले आते हैं। इस हार से आहत खिलजी मेवाड़ पर हमला कर देता है। दोनों के बीच भीषण युद्ध होता है। खिलजी की हार सन्निकट दिखती है तभी उसका एक सिपाही रतन सिंह की पीठ पर वार करके उसके प्राण ले लेता है। राणा की मृत्यु का समाचार मिलते ही रानी पद्मावती और उनकी साथ अन्य रानियों ने खिलजी और उसकी सेना के हाथों में पड़ने से बचने के लिए जौहर करके प्राण त्याग देती हैं।

पद्मावत का ट्रीटमेंट और एक्टिंग

तड़क-भड़क वाले आलीशान सेट और ड्रेस संजय लीला भंसाली की पहचान बन चुके हैं। हम दिल दे चुके सनम, साँवरिया, देवदास, गोलियों की रासलीला राम-लीला, गुजारिश और बाजीराव मस्तानी जैसी फिल्मों से भंसाली की जो छवि बनी है पद्मावत में भी उसकी पुष्टि होती है। ऐतिहासिक-मिथकीय ड्रामा होने के कारण भंसाली के पास काफी अवसर भी था। चाहे दो मेवाड़ का दरबार और राजमहल हो या दिल्ली का, भंसाली की फिल्म देखकर यही लगेगा की ऐसा भव्य सेटअप वही तैयार कर सकते थे। फिल्म में रानी पद्मावती (दीपका) और मेहरुन्निसा (अदिति) के परिधान भी राजसी ठाठबाट वाले हैं। रतन सिंह और अल्लाउद्दीन खिलजी का वेशभूषा पर भी भंसाली ने पूरी तवज्जो दी है।

फिल्म में एक्टिंग के मामले में सभी समीक्षकों को रणवीर सिंह सबसे ज्यादा पसंद आए हैं। दीपिका, शाहिद कपूर और अदिति राव हैदरी का अभिनय भी काबिल-ए-तारीफ है लेकिन खिलजी के रोल में रणवीर सबसे ज्यादा प्रभावशाली लगे हैं। राम-लीला और बाजीराव-मस्तानी के बाद ये तीसरी फिल्म है जिसमें रणवीर और दीपिका साथ-साथ हैं। रियल लाइफ में एक दूसरे से रोमांस कर रहे इस बॉलीवुड जोड़ी की अभिनय के मामले में स्क्रीन पर टक्कर देखने लायक है। बाजीराव-मस्तानी में समीक्षकों ने दीपिका को ज्यादा स्टार दिए थे तो पद्मावत में रणवीर भारी पड़े हैं।

पद्मावत की प्रॉब्लम

भंसाली की पद्मावत दो घंटे 43 मिनट लम्बी है। फिल्म की रफ्तार भी सुस्त है। कहानी उसी दिशा में आगे बढ़ती है जिसकी दर्शक पहले से उम्मीद लगाये बैठे होते हैं। कुल मिलाकार कुछ समीक्षकों को फिल्म सुस्त और उबाऊ लगी है। राजपूतों के गौरव को जिस अतिश्योक्ति की तरीके से दिखाया गया है उससे भी कुछ यथार्थवादियों को समस्या हो सकती है। सिनेमा को विचारधारा के कोण से देखने वालों को खिलजी के चरित्र-चित्रण पर ऐतराज हो सकता है। फिल्म में उसे एक सनकी, लालची और महिला-लोलुप सुल्तान के रूप में पेश किया गया है। भंसाली ने निरपेक्ष होकर दो सुल्तानों के बीच "जर, जोरू और जमीन"  को लेकर हुए युद्ध की पृष्ठभूमि पर फिल्म बनायी होती तो ऐसे समीक्षकों को ज्यादा भला लगता। 

Web Title: Padmavat Movie Review in Hindi: Deepika Padukone, Ranveer Singh and Shahid Kapoor Film Praise Rajput Glory and Vilify Muslim Sultan

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