'कैंसर को हराकर और अपने डर पर जीत हासिल कर पूरी जिंदादिली के साथ मैने जिंदगी को जीना सीख लिया हैं'- मनीषा कोइराला

By अनुभा जैन | Published: January 27, 2019 07:47 PM2019-01-27T19:47:43+5:302019-01-27T19:52:53+5:30

मनीषा कोइराला ने लोकमत की पत्रकार अनुभा जैन से कहा, "जिन कुछ खास लोगों को मैने समझा था कि वो इस मुश्किल घड़ी में मेरे साथ होंगे, उन्होंने मेरा साथ छोड़ दिया पर जो मेरे लिये अनजान थे उनका साथ मुझे मिला"।

Manisha Koirala talks about her cancer journey in Jaipur Lit fest with Lokmat Anubha jain | 'कैंसर को हराकर और अपने डर पर जीत हासिल कर पूरी जिंदादिली के साथ मैने जिंदगी को जीना सीख लिया हैं'- मनीषा कोइराला

'कैंसर को हराकर और अपने डर पर जीत हासिल कर पूरी जिंदादिली के साथ मैने जिंदगी को जीना सीख लिया हैं'- मनीषा कोइराला

कड़ाके की ठंड के बीच सुबह की हल्की धूप में लोगों से खचाखच भरे डिगगी पैलेस के फ्रंट लॉन में प्रसिद्व फिल्मकारा मनीष कोइराला ने अपनी किताब हील्ड, जिंदगी के उतार-चढ़ाव और कैंसर से अपनी जंग के बारे में आज जयपुर लिट फेस्ट के चौथे दिन खुलकर बातें की। बचपन की यादों को ताजा करते मनीषा के किस्से लोगों को काफी आनंदित करने के साथ अपने से लग रहे थे। सफेद व काले चैक्स जम्पर में सादगी पर जिंदादिली से भरी मनीषा बेहद मनमोहक व आकर्षक लग रहीं थी। 

मनीषा की किताब 'हील्ड' लांच 

1999 में यूएनएफपीए की गुडविल एम्बेसेडर भी रह चुकी मनीषा ने लोकमत से अनुभा जैन से हुई खास बातचीत में महिला मुददों पर भी बात की। मनीषा ने कहा कि मैं महिला होने की कारण किसी तरह की सहानुभूति नहीं चाहती बल्कि गर्व करती हूं कि एक आत्मनिर्भर महिला हूं। यह देखकर दुख होता है कि आज 21वीं सदी के पढ़े- लिखे समाज में भी महिलाओं को अपनी पहचान के लिये जंग लडनी पड रही है। आज भी महिलायें अपने उपर हो रहे कई तरह के अत्याचारों को झेलने के साथ पुरूषों के साथ समानता का दर्जा पाने के लिये संघर्ष कर रही है। 

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इच्छाशक्ति से जीती कैंसर की जंग

बातचीत में मनीषा ने बताया कि कैंसर से जूझना मेरे लिये एक भयानक अनुभव के समान रहा है। मैं पूरी तरह से बिखर सी गयी थी जब यह ह्रदय-विदारक बात मुझे पता चली कि ओवरी कैंसर के लास्ट स्टेज में मैं हूं। मेरा शरीर मुझे संकेत दे रहा था, जैसे कई हफ्तों तक रहने वाली खांसी, जुकाम, वजन बढ़ना और मेरे पेट का सूजना। ट्रीटमैंट के लिये मैं न्यूयार्क गयी जहां न्यूयार्क कैंसर हॉस्पिटल  के डॉक्टर डैनिस ची ने मेरी सर्जरी की। आज अपनी फैमली और मेरे छोटे भाई के सपोर्ट और विलपावर के दम पर कैंसर को मैने हरा दिया है। 

डाक्टर्स ने मेरे शरीर से 95 प्रतिशत कैंसर को खत्म कर दिया है। जिन कुछ खास लोगों को मैने समझा था कि वो मेरे साथ इस मुश्किल घड़ी में होंगे उन्होंने मेरा साथ छोड़ दिया पर जो मेरे लिये अनजान थे उन्होने मेरा साथ दिया।

मनीषा कोइराला की जिंदादिली

मनीषा ने आगे कहा, "सर्जरी के बाद किमोथैरिपी के दौरान मुझे इंफेक्शन भी हुये। कीमोथैरेपी से मेरा इम्यून सिस्टम कमजोर हो गया। इंफेक्शन के डर से मैने बाहर निकलना बंद कर दिया। लेकिन फिर डाक्टर्स के सहयोग से एक सही डाइट पैटर्न और नियमित एक्सरसाइज से मैने खुद को फिर से पा लिया, एक नयी जिंदादिल जिंदगी में ढाल कर"। 

कई असहज अनुभवों का अहसास कराती इस घटना ने मुझे आज पूरी तरह से बदल दिया है। अंत में मनीषा ने कहा कि आज कैंसर को हराकर एक नये व्यक्तित्व और सोच के साथ पूरी जिंदादिली से अपने डर पर जीत हासिल कर मैने जीना सीख लिया है। हर छोटी चीज मुझे आज खुशी देती है। इस नयेपन के साथ ही मैने मेरी यह किताब 'हील्ड' लिखी है।

Web Title: Manisha Koirala talks about her cancer journey in Jaipur Lit fest with Lokmat Anubha jain

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