फिल्म इंडस्ट्री में इतने बढ़ गए थे लता मंगेशकर के दुश्मन, चोरी से पिला दिया था स्लो प्वॉइजन
By जनार्दन पाण्डेय | Published: September 28, 2018 09:21 AM2018-09-28T09:21:15+5:302018-09-28T09:21:15+5:30
Lata Mangeshkar Birthday Special, Unknown Facts: लता मंगेशकर को जब धीमा जहर दिया गया था, तब तीन महीने तक उन्हें बेड रेस्ट करना पड़ा और वह कोई गाना नहीं गा पाईं।
सुर साम्राज्ञी भारत रत्न लता मंगेशकर का आज 89वां जन्मदिन है। उनका जन्म 28 सितंबर, 1929 को हुआ था। उन्होंने अपना पहला गाना महज 13 साल की उम्र में 'नाचू या गाडे, सारी मानी हौस भारी' गाया था। यह एक मराठी फिल्म किटी हसाल (1942) का गाना था। हिन्दी में साल 1947 में आई फिल्म 'आपकी सेवा में' से प्लेबैक सिंगिंग की शुरुआत मानी जाती है। लेकिन साल 2012 में आशा भोसले ने कार्यक्रम में साल 1945 आई फिल्म 'बड़ी मां' से ही उनके प्लेबैक सिंगिंग की शुरुआत के बारे में बताया। इस विवाद से परे यह तो जाहिर होता है कि उन्होंने 18 साल की भी कम उम्र से ही गाने की शुरुआत कर दी थी।
उनका आखिरी गाना साल 2015 की फिल्म 'डोनो वाई' के 'जीना क्या है जाना मैंने' को माना जाता है। लेकिन उनकी निरंतर गायकी की बात करें तब भी उन्होंने साल 2010 तक लगातार हिन्दी व अन्य भाषाओं के लिए गाने गाए। यानी छह दशकों तक लगातार गायन। इतनी बड़ी सफलता भारतीय पार्श्व गायकी के क्षेत्र में किसी को अभी नहीं मिली। यही कारण है कि पार्श्वगायकी के क्षेत्र में लता अकेली ऐसी गायिका हैं, जिन्हें भारत रत्न से नवाजा गया है। लेकिन इतनी बड़ी सफलता जिसके कदमों में आती है, उसके दुश्मन भी कम नहीं होते। लता मंगेशकर के ऐसे दुश्मन थे जिन्होंने उन्हें जहर तक पिला दिया था।
लता मंगेशकर की उल्टियों में निकला था हरा पदार्थ
यह बात उस वक्त है कि जब लता मंगेशकर कॅरियर में चरम पर पहुंच चुकी थीं और अपनी शीर्षस्त कद को जारी रखने के लिए संघर्षरत थीं। कई लोगों को डर सताने लगा था अगर लता गानों के सिलसिला फिर चला तो बहुतों को परेशानी हो सकती थी। साल 1962, लता मंगेशकर की उम्र 33 साल। जब उनको जान से मार देने की कुछ लोगों ने ठान ली थी। इस बारे में पद्मा सचदेव ने कई मर्तबे लिखा है, "लताजी ने मुझे इस बारे में बताया था। उन्होंने कहा कि उन्हें एक दिन अचानक सुबह पेट में दर्द होने लगा। शुरुआत में यह आम पेट दर्द जैसा था। मुझे लगा खाने को लेकर कोई समस्या होगी। लेकिन उसके पहले वाली रात में उन्होंने कुछ ऐसा खाया नहीं था। कुछ ही देर बाद उन्हें दो से तीन बार उल्टियां हुई।"
सचदेवा आगे बताती हैं, " उल्टी के बाद पता चला की मामला कुछ और ही है। उल्टियां में हरे रंग का ऐसा पदार्थ निकल रहा था, जिसका उन्होंने सेवन ही नहीं किया था। साथ ही हालत ऐसी खराब हुई कि वह चल-फिर पाने में असमर्थ हो गईं। मामला इतना संगीन था कि शुरुआत में उनके फैमिली डॉक्टर भी पूरी तरह समझ नहीं पाए। उन्होंने कुछ इंजेक्शन देकर लता जी को सोने को बोल दिया। लेकिन वह सो नहीं पाईं।"
तीन महीने तक लता मंगेशकर ने नहीं गाया एक भी गाना
पद्मा सचदेवा के मुताबिक लताजी को धीमा जहर दिया गया था। खुद लताजी ने इसके बारे में उनसे बताया था। उनके अनुसार, "डॉक्टरों ने जब उनकी जांच कराई तब पता चला कि उन्हें धीमा जहर दिया गया है। इस स्लो प्वॉइजन के चलते लता मंगेशकर काफी कमजोर हो गईं। इसके बाद करीब तीन महीने तक उन्हें बेड रेस्ट करना पड़ा और वह कोई गाना नहीं गा पाईं। बल्कि अरसे तक उनकी आंतों में इसी वजह से दर्द रहने लगा।"
लेकिन यह बाधा भी लता मंगेशकर को रोक नहीं पाई। उन्होंने इस पर विजय पाई और सुरों की दुनिया में ऐसी लौटीं कि उनके सारे दुश्मन चित हो गए। सत्तर, अस्सी और नब्बे दशक यहां तक कि 21वीं सदी में भी उनके गाने उनके चाहने वालों के सिर चढ़कर बोले।