जन्मदिन विशेषः जॉय मुखर्जी को आप किस रूप में याद करना चाहते हैं?

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: February 24, 2018 07:41 AM2018-02-24T07:41:59+5:302018-02-24T07:41:59+5:30

जॉय मुखर्जी ने कई सुपरहिट फिल्में दी हैं जिनमें लव इन टोक्यो, जिद्दी, शागिर्द और फिर वही दिल लाया हूं शामिल हैं।

Joy Mukherjee Birthday Special his life journey and interesting facts | जन्मदिन विशेषः जॉय मुखर्जी को आप किस रूप में याद करना चाहते हैं?

जन्मदिन विशेषः जॉय मुखर्जी को आप किस रूप में याद करना चाहते हैं?

जॉय मुखर्जी बॉलीवुड के एक ऐसे अभिनेता हैं जिनके व्यक्तित्व के अलग अलग रंग देखने को मिले। कोई चॉकलेटी हीरो मानता है जिसकी कातिलाना मुस्कान है। कोई सीधा-साधा शर्मीले व्यक्तित्व का समझता है। कुछ का कहना है कि जॉय मुखर्जी बेहद मजाकिया तबियत के थे। अलग-अलग लोगों ने जॉय के अलग-अलग रंग देखे हैं। आज जॉय मुखर्जी का जन्मदिन है। इस मौके पर हम आपको उनकी जिंदगी के कुछ रोचक पहलुओं को बताने जा रहे हैं। इस लेख को पढ़ने के बाद आप तय कीजिएगा कि जॉय मुखर्जी को किस रूप में याद रखना चाहते हैं।

60 के दशक में जॉय मुखर्जी ने कई सुपरहिट फिल्में दी जिनमें लव इन टोक्यो, जिद्दी, शागिर्द और फिर वही दिल लाया हूं शामिल हैं। इन सभी फिल्मों के गानों ने भी उन्हें एक नई पहचान दी। जॉय मुखर्जी पर फिल्माए गए कुछ लव सॉन्ग आज भी उनके फैन्स की जुबां पर चढ़े हैं। इनमें वो हैं जरा खफा खफा (शागिर्द), ओ मरे साहे कुबा ( लव इन टोक्यो) और फिर वही दिल लाया हूं का टाइटल सॉन्ग हैं।

जॉय मुखर्जी का जन्म 24 फरवरी 1939 को उत्तर प्रदेश के झांसी में हुआ था। उनके पिता का नाम शशिधर मुखर्जी और माता सती देवी थीं, जो कि हिन्दी फ़िल्मों के मशहूर अभिनेता अशोक कुमार की बहन थीं। जॉय मुखर्जी का इरादा टेनिस खिलाड़ी बनकर अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्धि प्राप्त करने का था। लेकिन किस्मत उन्हें फिल्मों की ओर ले आई। 

लव इन शिमला' के बाद इसे महज संयोग ही मानना होगा कि जॉय मुखर्जी को लगातार रोमांटिक फ़िल्में करना पड़ीं, जैसे- 'लव इन टोकियो', आशा पारेख के साथ; 'शागिर्द', सायरा बानो के साथ; 'एक मुसाफिर एक हसीना' और 'एक बार मुस्करा दो'। 

जॉय मुखर्जी ने फिल्म हमसाया का निर्देशन किया था लेकिन यह फिल्म फ्लॉप साबित हुई। उन्होंने 'हमसाया' के बाद राजेश खन्ना और जीनत अमान को लेकर उन्होंने 'छैला बाबू' फ़िल्म भी निर्देशित की, किंतु इस बार भी नाकामयाबी हाथ लगी। 

जॉय मुखर्जी के परिवार का फ़िल्मों से काफ़ी पुराना रिश्ता रहा है। वे स्वयं मशहूर अभिनेता अशोक कुमार के भांजे थे। काजोल और तनीषा जॉय मुखर्जी के भाई शोमू मुखर्जी की बेटियां हैं।

अब अंत में उनकी सहकर्मी रही सायरा बानो की जुबानी सुनिए। वो किस रूप में जॉय मुखर्जी को याद रखना चाहती हैं।

मैं जॉय मुखर्जी को हमेशा एक हैंडसम लड़के के रूप में याद रखना चाहती हूं। मेरा उनके साथ सेट पर प्यार-तकरार वाला रिश्ता था। जब भी हम किसी फिल्म के सेट पर पहली बार मिलते तो देखते ही चिल्लाते थे, अरे नहीं। आज भी तुम्हारे साथ काम करना पडे़गा। एकबार हम फिल्म शागिर्द की शूटिंग कर रहे थे। जुहू में एक नारियल पानी की दुकान के सामने मेरा सीन था। जॉय लगातार आड़े-तिरछे चेहरे बनाकर मुझे परेशान कर रहे थे। मैं खीझकर निर्देशक सुबोध मुखर्जी के पास गई (जो कि जॉय के अंकल थे) और कहा कि मैं इस पागल आदमी के साथ काम नहीं करूंगी। उन्होंने बड़ी मुश्किल से मुझे समझाया और दोबारा काम शुरू किया जा सका। शागिर्द मराठा मंदिर सिनेमा में सिल्वर जुबली साबित हुई लेकिन जॉय में सेलेब्रिटी का नशा सवार नहीं हुआ। लड़कियां उनकी एक झलक के लिए मरती थी। लड़कियों को देखकर वो हाथ हिलाते और चुपचाप आगे बढ़ जाते। उस दौर में जब जिम जाना फैशन में नहीं था जॉय के पास अपनी व्यायामशाला थी ताकि वो शारिरिक रूप से फिट रह सकें।

Web Title: Joy Mukherjee Birthday Special his life journey and interesting facts

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