फिल्म में अश्लील दृश्यों के मामले में कोर्ट ने महेश मांजरेकर को नहीं दी कोई राहत, कहा- गिरफ्तारी होने पर जमानत के लिए आवेदन करें
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: February 25, 2022 07:01 PM2022-02-25T19:01:32+5:302022-02-25T19:07:15+5:30
महेश मांजरेकर पर आरोप है कि उनकी हाल ही में रिलीज़ हुई एक मराठी फिल्म में कथित तौर पर नाबालिगों के साथ यौन दृश्यों को फिल्माया गया है। इस मामले में मुंबई की स्पेशल कोर्ट ने अभिनेता महेश मांजरेकर और उस फिल्म जुड़े निर्माताओं के खिलाफ बच्चों के साथ यौन अपराधों के संरक्षण (पाक्सो) एक्ट के तहत केस दर्ज करने का आदेश दिया था।
मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने फिल्म अभिनेता और निर्माता महेश मांजरेकर को मराठी भाषा से जुड़ी एक फिल्म में बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा को बढ़ावा देने के मामले में राहत देने से इनकार कर दिया है।
मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस एसएस शिंदे और एनआर बोरकर की बेंच ने अभिनेता और फिल्म निर्माता महेश मांजरेकर और मराठी फिल्म से जुड़े अन्य लोगों को पाक्सो एक्ट में दर्ज हुए केस में किसी भी तरह की राहत देने से इनकार करते हुए मामले की सुनवाई 28 फऱवरी को तय की है।
महेश मांजरेकर पर आरोप है कि उनकी हाल ही में रिलीज़ हुई एक मराठी फिल्म में कथित तौर पर नाबालिगों के साथ यौन दृश्यों को फिल्माया गया है। इस मामले में मुंबई की स्पेशल कोर्ट ने हाल ही में अभिनेता महेश मांजरेकर और उस फिल्म जुड़े निर्माताओं के खिलाफ बच्चों के साथ यौन अपराधों के संरक्षण (पाक्सो) एक्ट के तहत केस दर्ज करने का आदेश दिया था। जिसका पालन करते हुए मुंबई पुलिस ने माहिम पुलिस स्टेशन में महेश मांजरेकर समेत अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
बॉम्बे हाईकोर्ट में महेश मांजरेकर और अन्य आरोपियों के वकील शिरीष गुप्ते ने बचाव की दलील में कहा, "पॉक्सो का उद्देश्य यौन प्रदर्शन से बच्चों, उनके शरीर और दिमाग को बचाना है और फिल्म में नाबालिग लड़कों के साथ वास्तव में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। फिल्मांकन सिर्फ कला के निर्माण का एक तरीका है। फिल्म के ट्रेलर में दिखाए गये दृश्य वास्तव में कभी भी फिल्म का हिस्सा थे ही नहीं और उस आपत्ति दर्ज होने के बाद फिल्म के ट्रेलर को भी यू-ट्यूब से हटा दिया गया था।"
इसके अलावा मांजरेकर के वकील शिरीष गुप्ते ने बेंच के सामने फिल्म 'बैंडिट क्वीन' का हवाला देते हुए कहा, "फिल्म 'बैंडिट क्वीन' के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि "ऐसे दृश्यों को देखा जाना चाहिए ताकि समाज ऐसे अपराधों के बारे में जागरूक हो सके।"
इसके साथ ही उन्होंने कोर्ट से अपील की कि वह स्वयं उन दृश्यों को देखें, जिन्हें कथित तौर पर "अश्लील" कहा जा रहा है। जिसके जवाब में जस्टिस एसएस शिंदे और एनआर बोरकर की बेंच ने कहा, "हमें आपके क्लाइंट की फिल्म नहीं देखनी है, हमें तो सिर्फ मामले में दर्ज हुए केस को देखना है।"
जिसके जवाब में शिरीष गुप्ते ने कोर्ट में तर्क दिया, "जब तक आप फिल्म के आपत्तिजनक दृश्यों को नहीं देखेंगे तो आप कैसे तय कर पाएंगे कि वह दृश्य वाकई में अश्लील हैं भी या नहीं।"
गुप्ते के तर्क पर बेंच ने कहा, "पुलिस को इस मामले में जांच करने दीजिए। जिसके जवाब में गुप्ता ने कहा कि उन्हें पुलिस जांच में कोई समस्या नहीं है। पुलिस बिल्कुल अपनी जांच करे लेकिन किसी भी कला के निर्माण के लिए इस तरह की गंभीर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।
हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद साफ शब्दों में कहा कि अगर आरोपी इस मामले में जांच के दौरान गिरफ्तार होते हैं तो वह जमानत के लिए अर्जी दे सकते हैं, लेकिन फिलहाल कोर्ट से उन्हें कोई राहत नहीं मिलेगी।
बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस एसएस शिंदे और एनआर बोरकर की बेंच ने महेश मांजरेकर के वकील गुप्ते से कहा कि सोमवार को रेगुलर बेंच के पास अपना केस लेकर जा सकते हैं।