Chhapaak Review: एसिड अटैक की क्रूरता को बयां करती है दीपिका पादुकोण की 'छपाक', पढ़ें रिव्यू
By ऐश्वर्य अवस्थी | Updated: January 9, 2020 08:35 IST2020-01-09T08:35:51+5:302020-01-09T08:35:51+5:30
दीपिका पादुकोण और विक्रांत मैसी की फिल्म छपाक 10 जनवरी को पर्दे पर रिलीज होगी। इस फिल्म के रिलीज से पहले पढ़ लें इसका रिव्यू-

Chhapaak Review: एसिड अटैक की क्रूरता को बयां करती है दीपिका पादुकोण की 'छपाक', पढ़ें रिव्यू
कलाकार-दीपिका पादुकोण, विक्रांत मैसी
डायरेक्टर-मेघना गुलजार
स्टार-3/5
तलवार और राजी जैसी फिल्में बनाने वाली डायरेक्टर मेघना गुलजार ने एक बार फिर से पर्दे पर एक शानदार कहानी को पेश किया है। मेघना रियल स्टोरी बेस्ट छपाक फैंस के सामने लाई हैं। मेघना गुलजार की छपाक में दीपिका पादुकोण लीड रोल में हैं। यह फिल्म बाकी बॉलीवुड फिल्मों से अलग है। फिल्म में एंटरटेनमेंट के साथ इमोशन्स का तड़का जबरदस्त लगाया गया है। यह फिल्म दर्शकों के अंदर एसिड अटैक सरवाइवर के दर्द को पेश करती है। आइए जानते हैं कि कैसी है फिल्म-
फिल्म की कहानी
छपाक की कहानी मालती (दीपिका पादुकोण) नाम की लड़की की जिंदगी पर आधारित है। मालती को एक शख्स शादी के लिए प्रपोज करता है जिसके लिए वो इंकार कर देती है, जिसके बाद वो शख्स मालती पर एसिड से हमला करता है। इसके बाद मालती की जिंदगी पूरी तरह बदल जाती है। इसके बाद हालातों के कारण मालती नौकरी की तलाश में जुट जाती है। इसी दौरान उसकी मुलाकात अमोल (विक्रांत मैसी) से होती है। जो पत्रकार से साथ समाजसेवक हो चुका है और एक एनजीओ चलाता है।
अमोल एसिड अटैक पीड़ितों का इलाज करवाता है और उनके लिए लड़ता है। मालती भी इस एनजीओ से जुड़ जाती है। साथ ही खुद के खिलाफ हुए हमले पर आवाज उठाती है।वह तेज़ाब बैन कराने के लिए कानून में बदलाव की भी मांग करती है। मालती 12वीं क्लास में थी जब उसको एक लड़ता प्रपोज करता है उसके मना करने पर एक दिन रास्ते पर वह मालती पर तेजाब फेक देता है। इसके बाद मालती सफर कैसा है कितने संघर्ष से भरा है इसको देखने के लिए आपको थिएटर जाना पड़ेगा।
एक्टिंग
निर्देशन
तलवार और राजी के बाद छपाक के जरिए मेघना गुलजार ने साफ कर दिया है कि संवेदनशील मुद्दों पर उनकी बहुत ही मजबूत पकड़ है। सिर्फ निर्देशन नहीं लिखने में भी उन्होंने फिल्म में योगदान दिया है।लक्ष्मी अग्रवाल की कहानी के द्वारा निर्देशक ने एसिड अटैक सर्वाइवर के दर्द, हिम्मत, विश्वास और उम्मीद को बयां किया है। फिल्म पूरी तरह से बंधी नजर आई है। छोटे छोटे सीन को भी मेघना ने बहुत ही खूबसूरती के साथ पेश किया है।
