Chhichhore Movie Review: दोस्ती और जिंदगी के सही मायने को समझाती है सुशांत-श्रद्धा की 'छिछोरे'
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: September 6, 2019 09:04 AM2019-09-06T09:04:57+5:302019-09-06T10:35:27+5:30
Chhichhore Movie Review Hindi (छिछोरे मूवी रिव्यु): दंगल के निर्देशक नितेश तिवारी द्वारा निर्देशित सुशांत सिंह राजपूत, श्रद्धा कपूर और वरुण शर्मा अभिनीत फिल्म छिछोरे का फैंस का इंजरा अब खत्म हो गया है। फिल्म आज रिलीज हो गई है।
दंगल के निर्देशक नितेश तिवारी द्वारा निर्देशित सुशांत सिंह राजपूत, श्रद्धा कपूर और वरुण शर्मा की छिछोरे आज पर्दे पर पेश कर दी गई है। फिल्म में जो जीता वो सिंकदर और थ्री इडियट्स का फ्रेवर अच्छे से देखने को मिल रहा है। दोस्ती में लगाई और प्यार फिल्म में भरपूर रूप से पेश किया गया है। नितेश ने फिल्म में हर चीज को बहुत की खुबसूरती के साथ पेश किया है। दोस्ती यारी के मजे के साथ खेल खूद की आनंद सब फिल्म में देखने को मिलने वाला है। एक बार फिर अपने डायरेक्शन से सभी का दिल जीतने में कामयाब रहे हैं। फिल्म की अहम बात है कि ये आम जिंदगी के दोस्ती से कन्टेक्स आसानी से कर लेती है। आइए जानते हैं कैसी है छिछोरे है-
छिछोरे फिल्म की कहानी
कहानी शुरू होती है 45 साल के अनिरुद्ध (सुशांत सिंह राजपूत) से जो अपनी पत्नी माया (श्रद्धा कपूर) से तलाक लेकर अपने बेटे राघव के साथ अलग रहता है। फिल्म में 7 दोस्तों की कहानी को पेश किया गया है जो एक दूसरे के लिए सब कुछ हैं। हालांकि कहानी की शुरुआत अधेड़ उम्र के अनिरुद्ध (सुशांत सिंह राजपूत) से होती है। अनिरुद्ध का बेटा लूजर बनने के डर से ख़ुदकुशी करने की कोशिश करता है। इस हादसे मे वो बच तो जाता है, लेकिन उसकी हालत बेहद गंभीर होती है। तभी अनिरुद्ध अपने बेटे को अपने दोस्ती की पूरी कहानी सुनाता है कि कैसे वह भी कॉलेज में लूजर हुआ करते थे। लेकिन पढ़ाई के बाद वह दोस्तों से अलग हो गए और फिर कभी मुलाकात नहीं हो पाई।
फिल्म की बाकी की कहानी फ्लैशबैक में ले जाती है, जो जवानी से कॉलेज के दिनों से शुरू होती है।। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान अनिरुद्ध, माया, सेक्सा (वरुण शर्मा), एसिड (नवीन पोलिशेट्टी), मम्मी (तुषार पांडे), बेवड़ा (साराह शुक्ला), और डेरेक (ताहिर राज भसीन) दो जिस्म एक जान वाले दोस्त बन जाते हैं। वहीं, इसी कॉलेज का एक एक और स्टूडेंट है रैगी (प्रतीक बब्बर)। जहां ये सातों लूज़र होते हैं वहीं रैगी और उसके दोस्त चैम्पियन होते हैं। अनिरुद्ध और उसके दोस्त अपने माथे पर लगा लूज़र का टैग हटाने की ठानते हैं। वो ख़ूब कोशिश करते हैं। लेकिन क्या वो कामयाब हो पाते हैं? क्या अनिरुद्ध के बेटे की जान बचती है? क्या सारे दोस्त एक बार फिर से मिलते हैं इन सभी सवालों के लिए आपको फिल्म थिएटर में देखनी होगी।
एक्टिंग
फिल्म मे सुशांत सिंह राजपूत, श्रद्धा कपूर ने हमेशा की तरह से अपने रोल के साथ न्याय किया है। दोनों ने बहुत ही शानदार अभिनय को पेश किया है। वरुण शर्मा की बात की जाए तो उन्होंने भी अच्छी एक्टिंग पेश की है। लेकिन इनके अलावा ताहिर राज भसीन, प्रतीक बब्बर, नवीन पोलिशेट्टी, तुषार पांडे, साराह शुक्ला समेत सभी कलाकारों ने बेहतरीन अदाकारी की है। कुल मिलाकर हर कोई अपनी जगह फिट बैठा है।
निर्देशन
दंगल जैसी फिल्म बनाने के बाद नितेश ने एक बार फिर फैंस को सरप्राइज कर दिया है।फिल्म की सबसे मजबूत कड़ी है फिल्म का निर्देशन। नितेश तिवारी की जितनी तारीफ़ की जाए उतनी कम है। फिल्म का हर एक पार्ट बहुत ही खुबसूरती के साथ बुना गया है। कोई भी पार्ट बोर या ऊबाई के नजरिए से नितेश ने फैंस के सामने पेश नहीं किया है।