पद्मावत विवाद: करणी सेना की धमकी के बाद JLF में नहीं गए CBFC चीफ प्रसून जोशी, बताई ये वजह
By पल्लवी कुमारी | Published: January 27, 2018 02:19 PM2018-01-27T14:19:46+5:302018-01-27T14:33:21+5:30
फिल्म 'पद्मावत' को सेंसर बोर्ड से मंजूरी मिलने के बाद करणी सेना के निशाने पर आए सीबीएफसी प्रमुख प्रसून जोशी।
सेंसर बोर्ड चीफ और गीतकार प्रसून जोशी को 27 जनवरी को जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल शामिल होना था लेकिन वह इसमें हिस्सा लेने नहीं गए। इसकी वजह संजय लीला भंसाली की विवादित फिल्म पद्मावत बताई जा रही है। पद्मावत का विरोध कर रहे करणी सेना ने प्रसून जोशी को जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल में शामिल न होने की धमकी दी थी।
प्रसून जोशी ने फेस्टिवल में शामिल न होने की बात पर कहा कि वे नहीं चाहते थे कि उनकी वजह से फेस्टिवल में शामिल होने वाले लोगों और आयोजकों को किसी तरह की परेशानी का सामना करना पड़े। उन्होंने आगे कहा, 'मैं इस बार जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल में भाग नहीं ले पा रहा हूं। साहित्य और कविता के प्रेमियों के साथ इस फेस्टिवल में चर्चा और विचार विमर्श इस वर्ष न कर पाने का दुःख मुझे रहेगा, पर मैं नहीं चाहता कि मेरे कारण साहित्य प्रेमियों, आयोजकों और वहां आए अन्य लेखकों को कोई भी असुविधा हो और आयोजन अपनी मूल भावना से भटक जाए।
Will not be attending #JLF this year&must say will miss sharing great moments with literature and poetry lovers. I am doing this so that the dignity of the event does not get compromised or discomfort caused either to the organisers, fellow writers or the attendees: Prasoon Joshi pic.twitter.com/TRR3eNbm5R
— ANI (@ANI) January 27, 2018
प्रसून ने एक बयान जारी कर कहा, "मैं इस बार जेएलएफ में भाग नहीं ले पा रहा हूं। साहित्य और कविता के प्रेमियों के साथ जेएलएफ में चर्चा और विचार-विमर्श इस वर्ष न कर पाने का दु:ख मुझे रहेगा, पर मैं नहीं चाहता कि मेरे कारण साहित्य प्रेमियों, आयोजकों और वहां आए अन्य लेखकों को कोई भी असुविधा हो और आयोजन अपनी मूल भावना से भटक जाए।"
उन्होंने कहा, "रही बात फिल्म से जुड़े विवादों की, तो यहां मैं एक बार फिर यह कहना चाहता हूं कि फिल्म 'पद्मावत' को..नियमों के अंतर्गत सुझावों को जहां तक संभव हो सम्मिलित करते हुए, सकारात्मक सोच के साथ, भावनाओं का सम्मान करते हुए ही प्रमाणित किया गया है, ये पूरी निष्ठा से एक संतुलित और संवेदनशील निर्णय का प्रयास है।"
प्रसून ने आगे कहा, "अब थोड़ा विश्वास भी रखना होगा। विश्वास एक-दूसरे पर भी और हमारी स्वयं की बनाई प्रक्रियाओं और संस्थाओं पर भी। विवादों की जगह विचार-विमर्श को लेनी होगी, ताकि भविष्य में हमें इस सीमा तक जाने की आवश्यकता न पड़े।"