बॉलीवुड फिल्मों में छाया हिंग्लिश का जादू, पढ़ें इनका अब तक का सफर
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: January 2, 2018 01:45 PM2018-01-02T13:45:14+5:302018-01-02T13:52:31+5:30
बॉलीवुड के फिल्म निर्माताओं के मन में यह बात बैठ गई है कि आज का युवा हिन्दी नहीं समझता, इसलिए फिल्मों के नाम अंग्रेजी में रखे जा रहे हैं।
बॉलीवुड फिल्मों में हिंगिल्श का जोर चरम पर है। 'ए जेंटलमैन', 'पोस्टर बॉयज', 'ट्यूबलाइट', 'मॉम', 'पैडमैन', 'गोल्ड' जैसी बड़े स्टार की फिल्मों के नाम से दर्शक बखूबी रूबरू हैं, क्या इन नामों को खुद दर्शक एक बार में समझ पाते हैं, इस बारे में शायद एक्टर, फिल्ममेकर कोई नहीं जानता होगा। हिन्दी फिल्मों के नाम पर पैसा कमाने वाले अधिकांश फिल्मकार अब अंग्रेजी में नाम रखने लगे हैं। फिल्म को अंग्रेजी रूप देने का एक प्रचलन सा चल पड़ा है। शायद बॉलीवुड के फिल्म निर्माताओं के मन में यह बात बैठ गई है कि आज का युवा हिन्दी नहीं समझता, इसलिए फिल्मों के नाम अंग्रेजी में रखे जा रहे हैं। शायद हिंग्लिश/इंग्लिश टाइटलों का अधिकांश फिल्मों को लाभ भी मिला है।
इस तरह के टाइटल ग्लोबल एप्रोच का एक बढ़िया उदाहरण होते हैं। ऐसी फिल्में अगर साउथ में भी रिलीज होती हैं तो लोग समझ जाते हैं। इसके साथ बॉलीवुड फिल्में अब विदेशों में भी रिलीज होने लगी हैं, जिनका लाभ फिल्ममेकर को मिल रहा है। निर्माताओं का टारगेट व्यूअर पर भी ध्यान होता है क्योंकि एक समय फिल्म केवल पांच हजार में बन जाती थी और अब करोड़ों में बनती है। इस लिहाज से यह बेहतर है कि कठिन हिन्दी की जगह फिल्म का शीर्षक आम बोलचाल वाला हो, फिर चाहे वह अंग्रेजी पर ही आधारित हो।
पर्दे पर अंग्रेजी टाइटलों ने दिखाया कमाल
'माइ नेज इज खान', 'हाउसफुल सीरीज' 'थ्री इडियट्स', 'वांटेड', पैडमैन, गोल्ड , सिंग इज किंग इन सभी फिल्मों में समानता यह है कि इनके टाइटल अंग्रेजी शब्दों पर आधारित रहे और इनका कमाल बड़े पर्दे पर बखूबी देखने को मिला। इस तरह के नाम की सभी फिल्मों को जमकर फैंस ने सराहा।
2000 के दशक से हिंगिल्श का आंकड़ा बढ़ रहा
जनवरी 2010 से अब तक बॉलीवुड में कई फिल्में रिलीज हुईं जिनमें सबसे ज्यादा इंग्लिश/हिंग्लिश पर टाइटल रहे। वैसे साल 2009 में भी 84 फिल्मों में से 50 फिल्मों के नाम अंग्रेजी के थे। पिछले कुछ सालों में भी अंग्रेज़ी टाइटल के साथ आईं हिन्दी फिल्मों की लंबी फेहरिस्त है। जहां 2008 में 'सिंह इज़ किंग', 'रेस' और 'फैशन' जैसी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर खूब धूम मचाई थी तो उसी तरह 2007 में भी 'वेलकम', 'चक दे इंडिया', 'हे बेबी' और 'पार्टनर' ने भी जमकर कमाई की। इसके बाद इसका जादू ऐसा शुरू हुआ कि अभी तक बरकरा है। 'वन्स अपोन ए टाइम इन मुंबई', 'नो वन किल्ड जेसिका' , 'हिंदी मीडियम'. 'एक था टाइगर', 'टाइगर जिंदा है','टॉयलेट एक प्रेम कथा' इस श्रेणी के प्रमुख नाम हैं।
इन फिल्मों पर नहीं चला हिंग्लिश का जादू
'काइट्स', 'ट्यूबलाइट', 'जब हैरी मेट सेजल', 'स्ट्राइकर', 'राइट या रॉन्ग' और 'लव, सेक्स और धोखा' 'फैंन' जैसी कई अन्य फिल्में भी इसी साल आयीं और बुरी तरह फ्लाप रहीं। यानी इससे एक बात स्पष्ट है कि अंग्रेज़ी टाइटल सफलता की गारंटी नहीं हैं।
मजबूरी में भी लगा टाइटल में अंग्रेजी का तड़का
फिल्म टाइटलों में बढ़ते अंग्रेजी नामों के प्रचलन के बीच कुछ फिल्मों को अपने नाम मजबूरी में अंग्रेजी से सजाने पड़े हैं। इसका एक प्रमुख रूप है- निर्देशक राजकंवर को यह नाम (दाग) अपनी फिल्म के लिए एकदम सही लग रहा था। लेकिन दाग पहले से फिल्म बनी हुई थी तो उन्होंने फिल्म का नाम कर दिया ‘दाग : द फायर’। फिल्म के पोस्टर्स में दाग शब्द बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था और द फायर बिलकुल छोटे अक्षरों में ही नजर आया था।
वे फिल्में जो आज तक हैं फैंस के दिलों में जिंदा
पुरानी फिल्मों की बात करें तो बिना अंग्रेजी नामों के भी ये फिल्में आज भी दर्शकों के दिलो में जिंदा हैं। 'दिल एक मंदिर', 'मेरे हमदम मेरे दोस्त', 'मैं तुलसी तेरे आँगन की', 'परिचय', 'सत्यकाम', 'सत्यम् शिवम् सुन्दरम्', 'बंदिनी','प्यासा', 'प्रेमरोग', 'आनंद', नवरंग, जैसे उम्दा नाम फिल्मों के हुए। अभी भी कुछ फिल्मों के नाम इस श्रेणी के होते हैं, लेकिन उनकी संख्या ना के बराबर होती जा रही है, जो भविष्य में विलुप्त होने की कगार पर भी है।