बर्थडे स्पेशल: इश्क में डूबी आशा पारेख ने आखिर क्यों नहीं की शादी, पढ़ें जीवन की कुछ खास बातें
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: October 2, 2019 06:33 AM2019-10-02T06:33:20+5:302019-10-02T06:33:20+5:30
राजेश खन्ना के साथ आशा पारेख कीहिंदी सिनेमा में अपनी एक्टिंग से फैंस को दीवाना करने वाली एक्ट्रेस आशा पारेख का आज जन्मदिन है। आशा आज तक फैंस के दिलों पर राज करती हैं। 1959 से लेकर 1973 तक आशा ने बॉलीवुड पर जमकर राज किया।आशा पारेख का जन्म 2 अक्टूबर 1942 को गुजरात के एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। राजेश खन्ना के साथ उनकी सबसे अच्छी जोड़ी मानी जाती है। आज भी आशा के दीवानों की लिस्ट बहुत लंबी है। नहीं किया ऐसों के साथ काम 70 के दशक में जहां हर कोई दिलीप कुमार का दीवाना था उनके साथ काम करना चाहता था। वहीं, आशा की सोच इससे अलग थी। शायद यही कारण है कि बतौर हीरोइन फिल्मों में आईं लेकिन दिलीप कुमार के साथ कभी नहीं दिखीं। अतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में आशा ने कहा था कि वे दिलीप कुमार को पसंद नहीं करती थीं। उन्होंने कहा था कि जिसे वे पसंद नहीं करतीं, उसके साथ काम नहीं कर सकतीं। कभी नहीं की शादी एक वक्त ऐसा था जब आशा पारेख के सभी दीवाने थे। लेकिन आशा का दिल जो बस एक बार ही किसी के लिए धड़का और फिर आजीवन कभी किसी और का दामन नहीं थामा। अपने जामने में आशा पारेख और निर्देशक नासिर हुसैन के इश्क के चर्चे खूब होते थे। हालांकि उन खबरों में कितनी सच्चाई थी ये किसी को पता नहीं लेकिन एक इंटरव्यू में आशा पारेख ने खुलासा किया था कि लंबे समय तक उनका एक ब्वॉयफ्रेंड रहा था और ये ब्वॉयफ्रेंड कोई और नहीं निर्देशक नासिर हुसैन थे। खुद आशा ने बताया था कि वो नहीं चाहती थीं कि नासिर हुसैन कभी भी अपने परिवार से अलग हों, इस वजह से उन्होंने शादी नहीं की। हीरोइन ना बनने को था कहा आशा के अभिनय का भला कौन दीवाना नहीं है। लेकिन आशा पारेख को फिल्मकार विजय भट्ट ने सन 1959 में अपनी फिल्म 'गूंज उठी शहनाई' से यह कहकर बाहर का रास्ता दिखाया था कि वह हीरोइन मैटेरियल नहीं हैं। लेकिन इस घटना के कुछ दिनों बाद ही उन्हें निर्देशक नासिर हुसैन ने उनको फिल्म 'दिल देके देखो' के साइन किया और फिल्म ने पर्दे पर वो धमाल किया कि हर कोई देखता रह गया। सेंसर बोर्ड की बनीं पहली महिला अध्यक्ष 1992 में आशा को पद्म श्री पुरस्कार से भी नवाजा गया था। आशा 1998 से 2001 तक सेंसर बोर्ड की पहली महिला अध्यक्ष रहीं थीं। आशा पारेख को बोर्ड में सख्त रवैये के कारण आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। सबसे अच्छी जोड़ी मानी जाती है। आज भी आशा के दीवानों की लिस्ट बहुत लंबी है।
हिंदी सिनेमा में अपनी एक्टिंग से फैंस को दीवाना करने वाली एक्ट्रेस आशा पारेख का आज जन्मदिन है। आशा आज तक फैंस के दिलों पर राज करती हैं। 1959 से लेकर 1973 तक आशा ने बॉलीवुड पर जमकर राज किया।आशा पारेख का जन्म 2 अक्टूबर 1942 को गुजरात के एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। राजेश खन्ना के साथ उनकी सबसे अच्छी जोड़ी मानी जाती है। आज भी आशा के दीवानों की लिस्ट बहुत लंबी है।
नहीं किया ऐसों के साथ काम
70 के दशक में जहां हर कोई दिलीप कुमार का दीवाना था उनके साथ काम करना चाहता था। वहीं, आशा की सोच इससे अलग थी। शायद यही कारण है कि बतौर हीरोइन फिल्मों में आईं लेकिन दिलीप कुमार के साथ कभी नहीं दिखीं। अतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में आशा ने कहा था कि वे दिलीप कुमार को पसंद नहीं करती थीं। उन्होंने कहा था कि जिसे वे पसंद नहीं करतीं, उसके साथ काम नहीं कर सकतीं।
कभी नहीं की शादी
एक वक्त ऐसा था जब आशा पारेख के सभी दीवाने थे। लेकिन आशा का दिल जो बस एक बार ही किसी के लिए धड़का और फिर आजीवन कभी किसी और का दामन नहीं थामा। अपने जामने में आशा पारेख और निर्देशक नासिर हुसैन के इश्क के चर्चे खूब होते थे। हालांकि उन खबरों में कितनी सच्चाई थी ये किसी को पता नहीं लेकिन एक इंटरव्यू में आशा पारेख ने खुलासा किया था कि लंबे समय तक उनका एक ब्वॉयफ्रेंड रहा था और ये ब्वॉयफ्रेंड कोई और नहीं निर्देशक नासिर हुसैन थे। खुद आशा ने बताया था कि वो नहीं चाहती थीं कि नासिर हुसैन कभी भी अपने परिवार से अलग हों, इस वजह से उन्होंने शादी नहीं की।
हीरोइन ना बनने को था कहा
आशा के अभिनय का भला कौन दीवाना नहीं है। लेकिन आशा पारेख को फिल्मकार विजय भट्ट ने सन 1959 में अपनी फिल्म 'गूंज उठी शहनाई' से यह कहकर बाहर का रास्ता दिखाया था कि वह हीरोइन मैटेरियल नहीं हैं। लेकिन इस घटना के कुछ दिनों बाद ही उन्हें निर्देशक नासिर हुसैन ने उनको फिल्म 'दिल देके देखो' के साइन किया और फिल्म ने पर्दे पर वो धमाल किया कि हर कोई देखता रह गया।
सेंसर बोर्ड की बनीं पहली महिला अध्यक्ष
1992 में आशा को पद्म श्री पुरस्कार से भी नवाजा गया था। आशा 1998 से 2001 तक सेंसर बोर्ड की पहली महिला अध्यक्ष रहीं थीं। आशा पारेख को बोर्ड में सख्त रवैये के कारण आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।